आंतरिक सौंदर्य की तलाश ही है जीवन की सार्थकता

-राष्ट्रीय आंतरिक सौंदर्य दिवस-7 अक्टूबर, 2023 पर विशेष-

संयुक्त राज्य अमेरिका में 7 अक्टूबर को राष्ट्रीय आंतरिक सौंदर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आन्तरिक सौैन्दर्य यानी मानवीय गुणों को बल देते हुए मानव तस्करी के पीड़ितों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें सहायता प्रदान करना है। यह दिवस हमें अपनी आंतरिक सुंदरता और हमारे मूल मूल्यों को अपनाने की याद दिलाता है जो हमें सुंदर बनाते हैं। आन्तरिक सुन्दरता से व्यक्ति में विनम्रता, सदाशयता, करुणा, दया, क्षमा, सत्यम्, शिवम् एवं सुंदरम् का भाव आता है। भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के अनुसार, आंतरिक सुंदरता हमें संपूर्ण बनाती है और यही हमारे सकारात्मक व्यक्तित्व और बाहरी सुंदरता की नींव है। मूलतः भारतीय अंतःकरण सौंदर्य के दर्शन पर केंद्रित है।

हमारे ऋषियों ने भी आंतरिक सुंदरता को खोजने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान आदि का प्रयोग किया। वास्तविक सौन्दर्य से ही हम वर्तमान जीवन शैली को सहज व अनुकूल बना सकते हैं। भारतीय सौंदर्यबोध की श्रेष्ठता तुलसीदास के साहित्य बोध, तानसेन के संगीत बोध और ताजमहल जैसी कृतियों के उत्कृष्ट स्थापत्य बोध द्वारा आंकी जा सकती है। भारतीय दर्शन शास्त्र में महात्मा बुद्ध, सम्राट अशोक, मुगल शासक जहांगीर, शाहजहां, कवि रविन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद आदि सौंदर्यबोध के प्रखर ज्ञाता व विवेचक माने जाते हैं।

सौन्दर्य हमारा स्वभाव है, विभाव नहीं। सौन्दर्य जब भी निखरता है हमारा आभामंडल पवित्र बनता है। आभामंडल की शुद्धता और दीप्ति शरीर और मन का सौन्दर्य है। इसलिए पवित्र आभामंडल चेतना के ऊर्ध्वारोहण का संवाहक है। जैन आगम की भाषा में वह व्यक्ति सुन्दर है जो व्यवहार से विनम्र है, जिसकी इन्द्रियां नियंत्रित हैं, जो प्रशांत हैं, जो सहिष्णु हैं, जो मितभाषी हैं। हमारा बदलाव या परिवर्तन कुछ इसी तरह के सौन्दर्य के लिए हों, यह अधिक उपयोगी एवं प्रासंगिक लगता है। ऐसे आन्तरिक सौन्दर्य की आज ज्यादा जरूरत विश्व में बढ़ती हिंसा, आतंक एवं अपराध की स्थितियों को देखतेे हुए महसूस की जा रही है। सर्वव्यापी प्राकृतिक सौंदर्य, वृक्ष, झरने, पर्वत, बादल, मौसम, पशु-पक्षी, हरियाली, नदियां, समुद्र, धरती, आकाश, चांद सितारे व सूरज इत्यादि प्रकृति का सौंदर्य है, जिसको संरक्षित एवं सुरक्षित करके ही विनाश की कगार पर खड़ी प्रकृति एवं पर्यावरण को बचा सकते हैं। मनु ने भी कहा- शरीर जल से, मन सत्य से, बुद्धि ज्ञान से और आत्मा धर्म से पवित्र होती है।

दुनिया में सौन्दर्य के प्रति बढ़ता आकर्षण एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अधिकांश युवा पुरुष एक सुंदर पत्नी की चाहत रखते हैं, जो उनके लिए बहुत अपरिपक्व होती है और अधिकतर ऐसा होता है कि यह ‘खूबसूरत’ पत्नी एक ‘समस्याग्रस्त’ पत्नी बन जाती है। एक महिला का आकर्षण बहुत लंबे समय तक नहीं रहता है और प्रारंभिक आकर्षण हवा में उड़ जाता है। विवाह के मामलों में बाहरी सौन्दर्य की लालसा परिवारों के बिखराव का बड़ा कारण बनी है, इसलिये आज व्यक्ति की आंतरिक सुंदरता को अधिक महत्व देना जरूरी है। आंतरिक सुंदरता वाली महिला सबसे अच्छी जीवनसाथी साबित हो सकती है। फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक, डॉ. जॉन ओकर्ट ने इस सन्दर्भ में कहा है कि ‘खूबसूरत महिलाओं को लगता है कि सुंदरता ही उनकी एकमात्र संपत्ति है और वे बढ़ती उम्र को सहन नहीं कर सकती हैं।

हॉलीवुड की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक मर्लिन मुनरो के बारे में कहा जाता है कि जब उन्होंने दर्पण में झुर्रियों के पहले निशान देखे तो वह फूट-फूट कर रोने लगीं। जबकि सुकरात जब भी आईने में अपना भद्दा चेहरा देखता, शिष्य हंस पड़ते। एक दिन सुकरात ने बोधपाठ दिया- मैं इतना भद्दा, कुरूप हूं फिर भी आईना इसलिए बार-बार देखता हूं कि ऐसा कोई गलत काम मुझसे न हो जाए कि जिससे यह चेहरा ज्यादा बदसूरत बन जाए। राजा जनक ने अपनी राज परिषद में बोध दिया- मैं अपनी सभा में आते वक्त लोगों के वस्त्र देखकर सम्मान देता हूं पर जाते वक्त अष्टावक्र जैसे ज्ञानी पुरुषों के चरित्र को देखकर सम्मान देता हूं। सम्मान, प्रतिष्ठा, यश, पूज्यता, श्रद्धा पाने का हक चरित्र को मिलता है, चेहरे को नहीं। मनु ने भी कहा- शरीर जल से, मन सत्य से, बुद्धि ज्ञान से और आत्मा धर्म से पवित्र होती है। महात्मा गांधी के शब्दों में व्यवहार का सौंदर्य है- बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। हम संकल्प के साथ पवित्रता की साधना शुरू करें कि मन, भाषा, कर्म के सौन्दर्य को निखारने में हम निष्ठाशील बनेंगे, जागरूक बनेंगे और पुरुषार्थी बनेंगे। न केवल हमारी सूरत बल्कि सीरत भी उज्ज्वल होगी, पवित्र होगी और अधिक मानवीय होगी। ऐसा होने पर ही हमारा चाहे मुखमंडल बदले या हम स्वयं बदले, वह सार्थक होगा।

सौंदर्य एक आध्यात्मिक प्रेरणा हुआ करता था, यह कला, साहित्य, स्थापत्य का आधार माना जाता रहा है, लेकिन आज सौन्दर्य भी व्यवसाय हो गया है, यही कारण दुनियाभर में तरह-तरह की सौन्दर्य प्रतियोगिताओं का बाजार चरम पर है। इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं ने इस विचार को मजबूती दी हैं कि लड़कियों और महिलाओं को मुख्य रूप से उनकी शारीरिक उपस्थिति के लिए महत्व दिया जाना चाहिए और इससे महिलाओं पर फैशन, सौंदर्य प्रसाधन, हेयर स्टाइलिंग पर समय और पैसा खर्च करके पारंपरिक सौंदर्य मानकों के अनुरूप होने का जबरदस्त दबाव पड़ता है।

अब तो सौन्दर्य में अव्वल आने के लिये कॉस्मेटिक सर्जरी भी होने लगी है। शारीरिक सुंदरता की चाहत में कुछ महिलाएं इस हद तक डाइटिंग कर खुद को नुकसान पहुंचा रही हैं। इस तरह ओढ़े हुए सौन्दर्य में बनावटीपन है, प्रदर्शन है, अनुकरण है। यह फैशनपरस्ती, दिखावा और विलासिता है। इस तरह सौन्दर्य-सामग्री एवं फैशन की अंधी दौड में नारी अपने आचार-विचार एवं संस्कृति को भी ताक पर रख दिया है। पर अनेक गुणों की स्वामिनी नारी में तो वास्तविक सुंदरता जीवंत होती है। जिसमें नैसर्गिक प्रभावकता है, दिल बांध लेने वाली सम्मोहकता और सर्वांगीण मानवीय श्रेष्ठता है। एक संवाद है भीतर कुछ अच्छा होने का। ऐसा सौंदर्य अमिट होता है। जिसे मौसम एवं माहौल छूता नहीं, नजर नहीं लगाता, उम्र का पड़ाव बदलाव नहीं देता। व्यक्ति असमय न बूढ़ा होता है और न बीमार।

बहुत से ऐसे लोग हैं जो बाहर से सुंदर दीखते हैं मगर भीतर से बहत कुरूप, भद्दे होते हैं जबकि ऐसे भी लोग हैं जो बाहर से सुंदर नहीं होते मगर भीतर की सुंदरता भावों की पवित्रता के साथ इतनी आकर्षक होती है कि उसकी आकृति ही नहीं, मुद्राएं, विचार, व्यवहार, भाषा और शैली सभी कुछ चुंबकीय बन जाते हैं। फिर क्यों कृत्रिम सौन्दर्य को निखारने की होड़ लगी है, क्यों निरीह  एवं बेजुबान पशु-पक्षियों की निर्मम हत्या से बने सौन्दर्य-प्रशासनों का उपयोग करते हुए मन बेचैन नहीं बनता? हमारे भीतर अपनी इज्जत, मान-प्रतिष्ठा की सुरक्षा में यदि विवेक, साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का सुरक्षा कवच है तो फिर शरीर ढांकने के लिए कीमती वस्त्रों का न होना गरीबी नहीं कहला सकती।

भले आज बाहरी सौंदर्य की चकाचौंध में हम अपने आदर्शों से, नैतिक मूल्यों से फिसल जाएं, आधुनिक विलासिता और पाश्चात्य संस्कृति डिंªक्स, डांस और ड्रग्स तक ले जाएं मगर इन सबकी उम्र लंबी नहीं होती। किसी भी मोड़ पर इनका अंत संभव है। पहले क्षण में सुखद आकर्षक दीखने वाला सौंदर्य दुखदायी ही होता है। इसलिए आंतरिक सौंदर्य की तलाश, प्राप्ति, प्रयोग और परिणाम सभी कुछ श्रेयस्कर है। बाहरी सौंदर्य का मूल्य है पर इसका मतलब यह नहीं कि लोग अपनी दौलत ही नहीं, ईमान तक बेच दें। ऐसे लोगों को हर फेंका हुआ रद्दी कागज एक मूल्यवान वसीयतनामा दीखता है, हर चमकने वाला कांच का टुकड़ा चिंतामणि लगता है मगर सबकी नियति मात्र मृग मरीचिका है। जबकि भीतरी साैंदर्य अमूल्य है। इससे संपन्न व्यक्तित्व बिना स्वादिष्ट व्यंजन, बहुमूल्य पोशाक, ऊंची अट्टालिका, चमकती कार, आधुनिक संस्कृति से रंगी सोसाइटी, अपार धन-वैभव के बिना भी अपनी आंतरिक सुंदरता को ऊंचाइयां दे सकता है।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »