अक्सर पैरेंटस अपनी आपसी झगड़े में यह भूल जाते हैं कि इसका असर उनके बच्चों पर क्या पड़ता हैं। बच्चा अकेला-अकेला रहने लगता हैं और उसका मन भी कहीं नहीं लगता। वे मानसिक तौर पर कमजोर होने लगता है, चूंकि उसे यही लगने लगता है कि कहीं झगड़े के कारण उसके पैरेंट्स अलग ना हो जाए। जिससे उसका भी बटवारा होने की नौबत आ जाए। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स निम्न बातों का अवश्य ध्यान रखेंः-
झगड़े में ना घसीटें बच्चों को
जाने-अनजाने में कभी भी बच्चों को झगड़े में न घसीटें। बच्चों से संबंधित कोई मामला हो, तो फिर भूलकर बच्चों के सामने जिक्र न करें। इससे बच्चे खुद को झगड़े का कारण मानते हुए ग्लानि महसूस करते हैं। बच्चों के मन में भी आप प्रभावी पैरेंट्स नहीं रह पाते। ऐसे मामलों में पति-पत्नी में जो बच्चों के साथ होता, बच्चे उसी के साथ हो लेते हैं और फिर उनकी मांग और अपेक्षाएं भी उससे बढ़ जाती हैं।
चीखने-चिल्लाने से बचें
झगड़ा करते समय आप यह भुल जाते हैं कि आपका स्वर किस ऊचांई तक पहुंच चुका हैं और आप जोर-जोर से एक-दूसरे पर चीखते-चिल्लाते हैं। इसलिए चीखें नहीं, धमकी न दें और न ही नाम से बुलाएं। केवल मुद्दे को ध्यान में रखें। चीखने-चिल्लाने से बच्चे यही समझते हैं कि उनके माता-पिता का रिश्ता बहुत खराब है। बिना चीखे-चिल्लाए झगड़े से बच्चों को लगेगा कि आप दोनों झगड़ तो रहे हैं, लेकिन एक-दूसरे से उतना ही प्यार भी करते हैं।
प्रोब्लम को समाधान बच्चें को भी बताएं
जब आप झगड़ा बच्चें के सामने करते है तो उसका समाधान भी उसी के सामने करने की कोशिश करें जिससे बच्चें को लगे की मामला सुधर चुका हैं। चूंकि अधिकांश पैरेंट्स झगड़ा तो बच्चे के सामने कर लेते है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में झगड़ा सुलझा लेते है। जिससे वे स्कूल, घर और कार्यस्थल पर मन नहीं लगा पता हैं।
बच्चे से ना कराएं फैसला
अधिकांश पैरेंट्स बच्चों को अपने झगड़े में घसीटनें के बाद, उससे फैसला करवाने की कोशिश भी करते हैं। बेटा तु बताओं मैं सही हूं या गलत। इसलिए आपको न केवल बच्चों के सामने झगड़ा नहीं करना है, बल्कि उनसे अपनी तरफदारी या फैसला करने के लिए भी नहीं कहना है। उन्हें अपने माता-पिता दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए न कहें। यदि वे देखते हैं कि उनके पैरेंट्स किसी झगड़े या मुद्दे को उनकी साइड की मदद से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनमें यह गलत भावना उत्पन्न होने लगती है कि परिवार में उसी का फैसला अहम हैं। इसलिए वे अपनी जिंदगी के फैसले भी स्वयं लेने लगते हैं। इसके अलावा उनमें किसी एक की साइड लेने पर ग्लानि भी पैदा हो सकती है।
खास टिप्स
आप दोनों की किसी एक मुद्दे पर राय जुदा हो सकती है, लेकिन झगड़े को परे रखने का कोई न कोई एक तरीका तो होता ही है। कोई भी समस्या या विवाद शांतिपूर्वक बैठकर बेहतर ढंग से हल किया जा सकता है।
परफेक्ट पेरेंट्स बनने की कोशिश करें।
ध्यान रखें, बच्चों से बात जरूर कर लें, क्योंकि वे इस झगड़े के बारे में अपने दोस्तों और स्कूल में शिक्षकों से भी बात कर सकते हैं और आपके घर की बातें सबके सामने जा सकती हैं।