केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की पहल पर कृषि विज्ञान केन्द्र, खूँटी एवं भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, रांची द्वारा आयोजित किए गए तीन दिवसीय मेले का समापन आज समारोहपूर्वक हुआ। इसमें, मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि किसान ही हमारी धरा को सुरक्षित रखने में सहायक है, देश का प्रत्येक जन सदैव इनका ऋणी रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से निश्चित ही क्षेत्र के किसानों को कृषि के क्षेत्र में हो रहे नए प्रयोग, विकास, नवीनीकरण तथा अनुसंधानों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है, इस प्रकार के कार्यक्रमों से लाभ उठाने का पूरा प्रयास करना चाहिए, ताकि जिन उद्देश्यों से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, उसकी सिद्धि हो सके।
राज्यपाल श्री राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने जनजाति क्षेत्र के प्रथम कृषि मंत्री के रूप में श्री अर्जुन मुंडा को नियुक्त कर निश्चित ही इस क्षेत्र के लिए विकास के मार्ग को अत्यधिक सुव्यवस्थित और सरल किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि की सालाना ₹6000 की धनराशि किसानों को कृषि कार्य करने के लिए बहुत ही सहायक साबित हो रही है। उन्होंने मेले में लगाये गए स्टालों का अवलोकन किया एवं स्टालकर्मियों से उनके द्वारा प्रदर्शित उत्पादों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित वैज्ञानिकों एवं नीति निर्धारकों से आग्रह किया कि वह किसानों के लिए उच्च मूल्य वाली फसल किस्मों को विकसित करें, जिससे कि किसानों की आय वृद्धि में और सहायता हो। उन्होंने कहा कि राजभवन के द्वार सदा किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए खुले रहेंगे एवं कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सदा उनके कार्य में आ रही बाधाओं को सुचारू रूप से दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम में उपस्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.सी. दुबे ने कहा कि जिन उत्पादों की विश्व स्तर पर मांग है, हमें ऐसी फसलों और उत्पादों की पैदावार को अपनाना है। वर्तमान परिवेश में हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर कृषि क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में अपना स्थान निश्चित करना है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को किसानों की ओर समस्या आधारित दृष्टिकोण अपनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने स्वागत भाषण दिया। इस मेले में पूर्वी भारत के राज्यों के हजारों किसानों की भागीदारी रही। विभिन्न स्टॉल प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। मेले में किसानों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी गई। इसमें खेती से संबंधित विभिन्न विषयों (उन्नत कृषि पद्धति, बागवानी, रेशम कीट पालन, पशुपालन, मत्स्यपालन, कृषि योजनाओं, मधुमक्खी पालन, लाख एवं तसर उत्पादन इत्यादि) पर किसान गोष्ठियों का आयोजन किया गया तथा कृषकों की समस्याओं का समाधान किया गया। मेले में स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन मेला संयोजक डॉ. निर्मल कुमार द्वारा किया गया।