इंसोम्निया सोने नहीं देता

अनिद्रा वो रोग या वो स्थिति है जो लंबी अवधि तक बनी रहती है और जिसका आपकी कार्यक्षमता, संबंध, निर्णय क्षमता और जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है

विनीता झा
कार्यकारी संपादक

ऐसा अक्सर देखा जाता है की जब लोग बीमार होते हैं या उन्हें कोई पीढ़ा, समस्या आदि होती है तो उनकी नींद उड़ जाती है। परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी सारी समस्याओं का कारण उनकी नींद ही होती है। या यूँ कहें की नींद आने का इंतजार ही उनकी बीमारी बन जाती है। इस समस्या को कहते हैं इंसोम्निया यानी अनिद्रा। अनिद्रा एक स्लीपिंग विकार यानी डिसऑर्डर है, जिसमे जागते रहना या नींद का ना आना इसकी विशेषता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को नींद से जुडी कुछ समस्याओं जैसे नींद न आना, रात के समय अक्सर नींद खुल जाना, फिर से नींद न लगना या जल्दी नींद खुल जाना आदि का सामना करना पड़ता है। हम सबको समय-समय पर रात में नींद नहीं आती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम अनिद्रा रोग के शिकार हैं। अनिद्रा वो रोग या वो स्थिति है जो लंबी अवधि तक बनी रहती है और जिसका आपकी कार्यक्षमता, संबंध, निर्णय क्षमता और जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति गहरी नींद नहीं ले पाता है। नींद के लिए पर्याप्त समय होने के बावजूद भी ऐसा होता है कि व्यक्ति देर से सोता है या उसे किसी वजह से जल्दी जागना पड़ता है। परंतु अनिद्रा रोग ऐसा है, जो नींद की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को प्रभावित करता है।
अनिद्रा के प्रकार
अनिद्रा के दो प्रकार होते हैंः-
प्राइमरी इंसोम्निया
प्राइमरी इंसोम्निया बहुत आम समस्या है। यह अधिकतम 30 दिन तक ही रहती है। प्राइमरी इंसोम्निया के कारणों में बहुत लंबी यात्रा, बहुत अधिक बिजी रहना, मानसिक परेशानी, तनाव आदि शामिल है।
सेकंडरी इनसोम्निया
दूसरी ओर गंभीर समस्याओं के कारण नींद आने के परिणामस्वरूप सेकंडरी इनसोम्निया की समस्या होती है। सेंकडरी इनसोम्निया का मुख्य कारण डिप्रेशन है। सेकंडरी इनसोम्निया का इलाज विशेष तौर पर डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि इसके कारण आगे चलकर कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं जो जीवन के लिए घातक हो सकती हैं। जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ह्रदय रोग आदि।
इंसोम्निया से पीड़ित होने के लक्षण
नींद ना आना

नींद का ना आना इस रोग का एक बुनियादी और सबसे पहला लक्षण है। जिन इंसोम्नियाक्स यानि इंसोम्निया से पीड़ित लोगों को रात में नींद नहीं आती, उन में से कुछ या तो सुबह जल्दी जाग जाते हैं और बाकी पीड़ित रात में केवल कुछ मिनट के लिए ही सो पाते हैं।
थकान से साथ जागना
यह सभी जानते हैं की रात की नींद पूरी होना कितनी जरूरी है। रात में अच्छी नींद ना आने के कारण कई लोग सुबह ताजगी महसूस कर पाते। नींद न होने से पूरा नुकसान शरीर की चयापचय प्रक्रिया को भुगतना पड़ता है। जो जागने के बाद आपको खुमारी या सर भारी होना जैसे अजीब तरह के भावों का आभास कराती है।
दिनभर सुस्त रहना
रात में नींद ना आने के कारण अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति दिनभर सुस्त रहता है और यह बहोत ही आम लक्षण है क्योंकि जब व्यक्ति रात भर सो नहीं पायेगा तो दिन में सुस्ती होना या नींद आना आदि लक्षण लाजमी हैं।
व्यवहार में चिड़चिड़ापन और बदलाव
जब एक व्यक्ति कि रोज की नींद पूरी नहीं होती है तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना कोई अचमबे की बात नहीं है। ऐसे लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है तथा वह चिंता या डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। वह असामान्य व्यवहार प्रकट कर सकते हैं, यहाँ तक की वह चीजों को याद करने में किसी बात पर ध्यान देने में भी नाकाम हो सकते हैं।
इंसोम्निया के कारण
आमतौर पर, अनिद्रा रोग निम्न स्थितियों की वजह से होता है, जैसे-
तनावः
तनाव अनिद्रा रोग का एक सामान्य कारण है। इसका संबंध रोजाना की समस्याओं से हो सकता है, जैसे काम का दबाव, पैसे या स्वास्थ्य की चिंता। यह तनाव जीवन में घटित किसी गंभीर घटना से भी हो सकता है।
ज्यादा उम्र होना
नींद ने आने की बड़ी वजह आपकी उम्र भी हो सकती है, अगर आपकी उम्र 50 से 60 साल के बीच है, तो आपकी नींद बच्चे की तरह नहीं हो सकती। इसलिए इस उम्र में अनिद्रा रोग की समस्या से जुझना आम बात है।
दवाओं का साइड अफेक्ट होना
अनिद्रा रोग, कई दवाओं के साइड अफेक्ट से भी होता है। कई दर्दनिवारक दवाओं और साधारण सर्दी जुकाम की दवाओं में कैफीन होता है जिससे नींद को बाधित करता है। डिप्प्रेशन की दवाएँ, ब्लडप्रेशर की दवाएँ और हृदय रोग की दवाओं से भी अनिद्रा रोग हो सकता है।
डिप्रेशन
चिंता और डिप्रेशन नींद न आने की एक बड़ी वजहों में से एक है। डिप्रेशन और नकारात्मक सोच के कारण भी नींद नहीं आती है। मानसिक और भावनात्मक असुरक्षा भी अनिद्रा की एक बड़ी वजह है।
अल्कोहल और नशीले पदार्थ
शराब, कैफीन, निकोटीन और नशीले पदार्थों का सेवन भी अनिद्रा का कारण बन सकते हैं। कैफीन नींद में जाने की आपकी क्षमता को सीमित करता है जबकि शराब और अन्य नशे नींद में खलल डालते हैं और इनका सेवन करने से बार बार नींद टूटती है।
अनुकूल वातावरण न मिलना
अगर आप सोने जा रहे हो और वातावरण आपके सोने के अनुकूल नहीं है तो आप को नींद नहीं आएगी। जैसे कि सोते समय घर में ज्यादा रोशनी होना, ट्यूब लाइट जलना और आसपास में आवाज होना या बेड आदि का ठीक नहीं होना भी नींद न आने की वजह है।
इन्सोमिया का उपचार
अनिद्रा रोग आपके जीवन स्तर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है लेकिन इसका इलाज संभव है। यह कोई ऐसा रोग नहीं जिसका इलाज करना बहोत मुश्किल हो। अगर आपको नींद लेने में दिक्कत का अनुभव होता रहा है और इससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है तो ऐसी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
अनिद्रा रोग के इलाज में आमतौर पर उन्हीं समस्याओं को पहचानने पर ध्यान दिया जाता है जिनकी वजह से अनिद्रा रोग होता है। डॉक्टर उचित दवाएँ लेने की सलाह दे सकता है। वो अनिद्रा रोग के इलाज के लिए कुछ बेहेवरियल थेरेपी कराने का परामर्श भी दे सकता है जैसे कॉगनिटिव बेहेवरियल थेरेपी आदि।
(क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट, कौस्तुभि शुक्ला, पी.एस.आर.आई से बातचीत पर आधारित)

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