मौसम में बदलाव में कैसे रहें स्वस्थ्य

मौसम धीरे-धीरे बदल रहा है गर्मी ने दस्‍तक दे दी है। बदलते मौसम के प्रभाव से हमारा शरीर अप्रभावित हुए बिना नहीं रहता। गर्मियों के मौसम में अपच से लेकर अस्थमा अटैक तक के मामले बढ़ जाते हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाएं। यही हमें बीमारियों की चपेट में आने से बचाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। सब्‍जियों, फलों और दुग्‍ध उत्‍वादों से भरपूर पोषक भोजन खाएं। दिन में आधा घंटा अपने शरीर के लिए भी निकालें, पैदल चलें, योग और व्‍यायाम करें। शारीरिक और मानसिक तनाव न लें।

पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं

सर्दियों के बाद जब तापमान बढ़ने लगता है तो आंतों में रहने वाले बैक्‍टीरिया का कंपोजिशन बदल जाता है इससे हमारा पाचन तंत्र प्रभावित हुए बिना नहीं रहता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में भूख न लगना, अपच, कब्ज, एसिडिटी आदि के मामले काफी बढ़ जाते हैं।  

अपने पाचन तंत्र को रखें दुरूस्‍त:
  • अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न करें।
  • तनाव भी कब्‍ज का एक प्रमुख कारण है इसलिए तनाव से दूर रहने की हर संभव कोशिश करें।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। नियमित रूप से एक्‍सरसाइज और योग करें।
  • कब्‍ज पेट में गैस बनने का एक कारण है जितने लंबे समय तक भोजन बड़ी आंत में रहेगा उतनी मात्रा में गैस बनेगी। 
  • खाने को धीरे-धीरे और चबाकर खाएं। दिन में तीन बार मेगा मील खाने की बचाए कुछ-कुछ घंटों के अंतराल पर मिनी मील खाएं।
  • खाने के तुरंत बाद न सोएं। थोड़ी देर टहलें। इससे पाचन भी ठीक होगा और पेट भी नहीं फूलेगा।
  • अपनी बॉयोलाजिकल घड़ी को दुरस्‍त रखने के लिए एक निश्‍चित समय पर खाना खाएं।
  • मौसमी फल और सब्‍जियों का सेवन करें।
  • चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक का इस्‍तेमाल कम करें।
  • जंक फूड और स्‍ट्रीट फूड न खाएं।
  • संतुलित भोजन करें।
  • धुम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • अपने भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार भोजन को शामिल करें।
  • प्रतिदिन सुबह एक गिलास गुनगुने पानी का सेवन करें।
  • सर्वागसन, उत्‍तानपादासन, भुजंगासन जैसे योगासन करने से पाचन संबंधी विकार दूर होते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है।
अस्‍थमा अटैक

एक सामान्‍य धारणा है कि अस्‍थमा सर्दियों का रोग है जिसके कारण गर्मियों के मौसम में कईं अस्‍थमा रोगी अपनी दवाईयां लेने और आवश्‍यक सावधानी बरतने में भी लापरवाही करते हैं जिससे अस्‍थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है इसके अलावा गर्मियों में प्रदूषण के बढ़ते स्‍तर और धूल, पराग कण, जानवरों की मृत त्‍वचा जैसे अस्‍थमा के ट्रिगरों का एक्‍सपोज़र बढ़ने से भी अस्‍थाम की समस्‍या बढ़ जाती है इसलिये गर्मियों में विशेष सावधानी रखने की आवश्‍यकता है।

कैसे बचें ?
  • जब तापमान अधिक हो तो कड़े शारीरिक परिश्रम से बचें।
  • ऑडटडोर खेल, स्‍विमिंग, चलना या पहाड़ पर चढ़ना अधिक ना करें; ये अस्‍थमा के लिये ट्रिगर का कार्य करते हैं।
  • एलर्जी की दवाईयों का उचित समय और पर्याप्‍त मात्रा में सेवन करें। अगर लक्षण गंभीर हो जाएं तो बिना डॉक्‍टर की सलाह के दवाईयों की मात्रा ना बढ़ाएं।
  • अपने घर और कार में एअरकंडीशनर का प्रयोग करें।
  • भीड़भाड़ या अधिक ट्रैफिक वाले स्‍थान पर मॉस्‍क का प्रयोग करें।
  • आउटडोर गतिविधियों से पहले इनहेलर का प्रयोग करें।

गर्मियों स्वस्थ्य रहना इतना कठिन भी नहीं है। अगर हम अपने खानपान का ध्यान रखें और जरूरी सावधानियां अपनाएं तो गर्मियों का मौसम भी आनंद के साथ बीत सकता है। 

फूड प्वॉयजनिंग

गर्मी के मौसम में बासी खाना खाने, दूषित जल पीने व बाहर के कटे-खुले खाद्य पदार्थों को खाने के कारण फूड प्‍वायजनिंग व अनेक प्रकार के सक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। फूड प्वॉयजनिंग गंभीर होकर घातक भी हो सकता है।

कैसे बचें ?
  • उबला हुआ या फिल्‍टर किया हुआ पानी ही पिएं।
  • ताजे और स्‍वच्‍छ भोजन का सेवन करें।
  • आवश्‍यकता से अधिक खाना ना खाएं
  • कच्‍ची सब्‍जियों और फलों को ठीक प्रकार से धोकर इस्‍तेमाल करें।
  • सड़क किनारे लगी रहड़ियों और ढाबों पर न खाएं क्‍योंकि इस प्रकार के

भोजन से संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

माइग्रेन

गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होने से स्‍लीप पैटर्न गड़बड़ा जाता है इससे कईं लोगों में माइग्रेन अटैक की आशंका बढ़ जाती है। लगातार तेज धूप और गर्मी के कारण सिरदर्द और चक्‍कर आने की समस्‍या हो सकती है, इससे भी माइग्रेन अटैक ट्रिगर हो सकता है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन की आशंका काफी बढ़ जाती है। कईं लोगों में डिहाइड्रेशन माइग्रेन का सबसे बड़ा ट्रिगर है। माइग्रेन के रोगी रोशनी के प्रति अत्‍यधिक संवेदनशील होते हैं गर्मियों में सूर्य पूरी तेजी से चमकता है जिससे कईं लोगों में माइग्रेन का दर्द शुरू हो जाता है। गर्मियों में प्रदूषण बढ़ने से एलर्जी के मामले बढ़ जाते हैं। एलर्जी भी माइग्रेन का एक ट्रिगर है।

कैसे बचें ?

कोई एक ऐसा निश्‍चित तरीका नहीं है जिसके द्वारा सिरदर्द या माइग्रेन से पूरी तरह बचा जा सके। लेकिन कुछ आवश्‍यक सावधनियां अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।सूर्य की सीधी किरणों के संपर्क में आने से बचें।एसी से तुरंत गर्म वातावरण में न जाएं, ना ही इसके विपरीत करें।तेज धूप में बाहर न निकलें, अगर निकलना आपकी मजबूरी हो तो सनस्‍क्रीन, गॉगल, स्‍कार्फ, छतरी, हैट आदि के बिना न निकलें।गर्मियों में अपने खाने और सोने के समय को न बदलें।शरीर में पानी की कमी न होने दें, तरल पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करें।

जल और खाद्यजनित रोग

डायरिया, टायफाइड और पीलिया को खाद्य और जलजनित रोग माना जाता है। ये दूषित खाद्य पदार्थों और जल के सेवन से होते हैं। वैसे तो ये किसी को कभी भी हो सकते हैं, लेकिन गर्मियों में इनके मामले काफी बढ़ जाते हैं।  

कैसे बचें ?

  • जब भी जरूरी हो हाथ धोएं।

  • बासी और प्रदूषित भोजन के सेवन से बचें।

  • सड़क किनारे लगी रहड़ियों से न खाएं।

  • साफ पानी का सेवन करें।

  • दही का सेवन अधिक मात्रा में करें इससे पाचन तंत्र दुरूस्‍त रहता है।

  • अधपके मांसाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

  • सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोने के बाद ही उपयोग करें।

  • यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है डॉक्टर से सलाह अवश्य ले।

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