– सुरेश सिंह बैस शाश्वत
क्या आपने पहले कभी तिन्दुक नाम सुना है? असल में तिन्दुक नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा लेकिन तेंदू, गैब, गैब नाम बहुत जाना जाता है। तेंदू एक प्रकार का फल होता है जो चीकू से भी मीठा होता है और औषधीय गुणों वाला होता है। तेंदू के फल विशेष पीले रंग के होते हैं। शायद आप सोच रहे होंगे कि इस छोटे से फल को आजमाने के लिए इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, तो ये बात जानने से पहले इसके बारे में जान लें। तेंदू के पेड़ मध्यमाकार पाए जाते हैं। इसके टीचर से बीड़ी बनाई जाती है। इसकी लकड़ी की लकड़ी और काले रंग की होती है। इसका उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। चरक संहिता से उदान प्रशमन महाक्षय तथा सुश्रुत संहिता के न्यग्रोध्रादि-गण में इसका वर्णन है। यह 8-15 मी ऊँचा, मध्यमाकार, मनोविज्ञान शाखा-प्रशाखाआचार्य सदाहित वृक्ष होता है। इसके प्रशाखाएं अरोमिल और तने की शिष्याएं भूरे-भूरे या लाल रंग के, उद्यम खांचयुक्त होती हैं। इसके पत्ते सरल, एक अनुवाद, 13.7-24 सेमी लम्बाई एवं 5 सेमी केमिस्ट्री कुंथाग्र या लगभग-लैम्बाग्र चिकन और टिकाऊ होते हैं। इसके फूल एकलिंगी, छोटे, सफेद-पीले रंग के, सुगंधित गुच्छों में होते हैं। इसके सामान्य फलताया एकल, 2.5-5 सेमी व्यास (डेमामीटर) के, अंडकार-नुकीले, अर्धगोलाकार, अत्यंत कषाय रस प्रधान स्तंभ में भूरे भूरे रंग के तथा पक्के में पीले रंग के होते हैं। इसके फलों में चीकू (चीकू के फायदे) के समान मिठास और पतला गुडा रहता है, जो खाया जाता है। बीज संख्या में 4-8, गोलाकार या अंडकार तथा टिकाऊ होते हैं। यह मार्च-जून महीने में फलते- फूलते हैं।फूलते हैं।