भारतीय ज्ञान परम्परा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य एवं प्रसार के लिये पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया, वाराणसी चैप्टर ने कुलपति प्रो शर्मा का किया सम्मानित

संस्कृत भाषा से ही राष्ट्र मजबूत होगा: कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।

जनसम्पर्क के विविध स्रोतों से भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा के बहुमुखी आयामों में अभिवृद्धि: कुलपति प्रो शर्मा

विश्व जनसंपर्क दिवस के उपलक्ष में, प्रतिष्ठित पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया, वाराणसी ,चैप्टर ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा को संस्कृत और विश्वविद्यालय के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए एक शानदार सम्मान प्रदान किया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें चैप्टर के सचिव श्री प्रदीप उपाध्याय और उनकी टीम द्वारा कुलपति कार्यालय में आयोजित गरिमा और गरिमा से परिपूर्ण एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया, जिसमें उन्हें एक शानदार संस्था का स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्रम देकर सम्मानित किया गया, जो उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए समाज के गहन सम्मान और प्रशंसा का प्रतीक है।

इस प्रतिष्ठित सम्मान को स्वीकार करते हुए कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा के बहुमुखी आयामों, संस्कृत के महत्व और प्रभावी संचार, समझ और सद्भाव को बढ़ावा देने में जनसंपर्क की महत्वपूर्ण भूमिका पर एक विद्वत्तापूर्ण और वाक्पटु वाचन किया।

भारतीयता का बोध संस्कृत में निहित है:

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि यह धरती बाबा विश्वनाथ एवं माँ अन्नपूर्णा की है।य़ह धरती देव भाषा संस्कृत और ज्ञान की है।अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर काशी में स्थापित इस संस्था के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये संकल्पित विचारधारा से प्रत्येक क्षण समर्पित हूं। संस्कृत भाषा से ही राष्ट्र मजबूत होगा।भारतीयता का बोध भी इसी भाषा में निहित है।य़ह सम्मान विश्वविद्यालय परिवार को समर्पित करता हूँ।

अटूट समर्पण और दूरदर्शी नेतृत्व से संस्कृत का व्यापक विकास:

चैप्टर के सचिव श्री प्रदीप उपाध्याय ने कहा कि यह सम्मान प्रोफेसर शर्मा के अटूट समर्पण, दूरदर्शी नेतृत्व और अकादमिक समुदाय के लिए अनुकरणीय सेवा के लिए एक शानदार पुष्पांजलि है, जो दूसरों को समान उत्कृष्टता और विशिष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।

अन्य वक्ताओं के विचार:

उस दौरान न्याय वैशेषिक शास्त्र के विद्वान आचार्य रामपूजन ने कहा कि शास्त्रों में जनसम्पर्क के विविध आयाम हैं जिसमें रामायण, गीता सहित अनेकों ग्रंथों का योगदान मानवतावाद और राष्ट्रवाद को बढावा देता है।
अन्य वक्ताओं में छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष प्रो हरिशंकर पाण्डेय, वेद वेदांग संकाय के प्रमुख प्रो अमित कुमार शुक्ल,
वेद के अध्यक्ष प्रो महेंद्र पाण्डेय आदि ने व्यक्त किया।

उपस्थित ज़न:

प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो हरिशंकर पाण्डेय, प्रो महेंद्र पाण्डेय, प्रो अमित कुमार शुक्ल,डॉ सत्येन्द्र कुमार यादव,हर्ष अग्रवाल, प्रभु नाथ सिंह यादव आदि उपस्थित थे।

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