भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी और भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के शेयर्स अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पिछले एक साल में एलआईसी के शेयर में 61% की तेजी आई है। इसकी तुलना में, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस इसी अवधि के दौरान केवल -10% से 13% के रिटर्न के साथ काफी पीछे रह गए हैं।
इसी तरह, इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अपने हाई इन्वेस्टमेंट के कारण एसबीआई के स्टॉक में 48% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसके प्रतिद्वंद्वियों एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक के स्टॉक में सिर्फ -3% से 24% की बढ़ोतरी हुई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में कोई भी निवेश नहीं करने से कोटेक और एचडीएफसी बैंक सबसे खराब प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके शेयर्स सिर्फ -4% और 1% रिटर्न दे रहे हैं।
पिछले साल ही शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आने के बाद एलआईसी और एसबीआई सेबी के जाँच के दायरे में आ गए थे। इस जाँच ने उनके अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश के फैसले पर सवाल उठाए थे। हालाँकि, एक साल बाद एक पूरी तरह से अलग कहानी सामने आई। हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट से अदाणी समूह को क्लीन चिट तो मिली ही, साथ ही बीमा कंपनी ने अदाणी समूह की कंपनियों में अपने निवेश पर 60% से अधिक का लाभ या 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर कमाया।
इसी तरह, रिटेल लोन पर ज्यादा ध्यान और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को नजरअंदाज करना एचडीएफसी बैंक और कोटेक बैंक के शेयरधारकों पर भारी पड़ा और इससे उन्हें काफी नुकसान हो रहा है।
यह एक बड़ी विफलता है, जहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारतीय बीमा कंपनियों और बैंकों ने अभी तक भारत के ऐतिहासिक विकास का लाभ नहीं उठाया है। ये लंबे समय से कैपिटल एलोकेशन में यह रणनीतिक बदलाव नहीं कर पा रहे हैं और इसका खामियाजा शेयरधारक ही नहीं, बल्कि बीमा कंपनियों के पॉलिसीधारक भी उठा रहे हैं।
भारतीय बीमा कंपनियों ने बीएफएसआई, आईटी और उपभोक्ता क्षेत्रों में निवेश केंद्रित किया है, ये सभी हाल के दिनों में खराब प्रदर्शन वाले रहे हैं। उनका सिर्फ 8-14% निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में है। ग्लोबल स्टैंडर्ड से अगर इसकी तुलना करें, तो यह बहुत कम है। एलियांज, निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस, मेटलाइफ जैसी बड़ी वैश्विक बीमा कंपनियों और बर्कशायर हैथवे जैसी अन्य बीमा कंपनियों का इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 15% से 40% तक का बड़ा निवेश है।
भारत में बड़े पैमाने पर खर्च, प्रोजक्ट सर्पोट, नीतियों को प्रोत्साहित करने और प्रशासन में सुधार के साथ मजबूत सरकार का फोकस रहा है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र थोड़ी परेशानी है, जो फंड मैनेजर भी नहीं समझ पा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में, वैश्विक बीमाकर्ता तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के निवेश को ‘मुख्य’ निवेश के रूप देख रहें है, क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की संपत्तियों का स्थिर और लंबे समय तक कैश फ्लो से बीमाकर्ताओं की देनदारियाँ सुनिश्चित और सुरक्षित रहती है।
अदाणी समूह को भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर किंग कहा जाता है, जिसकी भारत की रेटिंग ‘A+’ या उससे ऊपर है।