– सुरेश सिंह बैस
रायपुर।’आखिर बहन आखिर बहन ही होती है वह भी अगर छोटी बहन हो तो और भी स्नेह बेटी के जैसे रहता है। बहन भाई को राखी अपनी रक्षा के लिए बांधती है ना… अब मैं उसकी रक्षा कैसे करूं’… ये कहना है 83 साल के नील कमल का। 54 साल पहले वे परिवार के साथ बांग्लादेश छोड़कर छत्तीसगढ़ आ गए थे, लेकिन एक बहन और एक भाई वहीं रह गए।
फिलहाल बांग्लादेश के हालात अच्छे नहीं हैं लिहाजा नीलकमल को अपनी बहन शोभा की चिंता और याद दोनों सता रही है। हिंदुओं और हिन्दू मंदिरों में कट्टरपंथियों के हमले हो रहे हैं। बताया गया कि, शोभा के घर के आसपास भी हिन्दू मंदिर हैं। नीलकमल बताते हैं कि वे शोभा से लगातार सम्पर्क में थे लेकिन हिंसा के बाद संपर्क कट गया था।1970 की हिंसा में सब छोड़कर आए, अब फिर वही दिन देखने पड़ रहे हैं। भावुक होकर नीलकमल बताते हैं कि, बांग्लादेश से भारत आने के बाद हमने पहली बार रक्षा बंधन का त्योहार मनाया। वहां रहने वाली छोटी बहन शोभा हर साल खुद से राखी बनाकर भेजती थी, लेकिन इस साल नहीं आई। वहां के हालात ही ऐसे हैं। बहन को हर दिन याद करता हूं। खुद को इतना कमजोर कभी महसूस नहीं किया।’नील कमल बताते हैं कि हम चार भाई और दो बहनें हैं। 1970 की हिंसा में सब बांग्लादेश छोड़कर हिन्दुस्तान चले आए लेकिन एक भाई और बहन वहीं रह गए। इस समय फिर वही हालात हैं। हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार की खबरें सुनकर फिर दर्द भरे दिन याद आ रहे हैं। वहां रह रहे भाई-बहन की चिंता में नींद नहीं आती। खासकर बहन शोभा की ज्यादा याद आती है, वो बेहद मासूम है….।शोभा सभी भाई-बहनों में सबसे छोटी है। नीलकमल ने बताया कि, 8 से 10 दिन बहुत परेशान रहे लेकिन आपके आने से पहले ही बात हुई है और पता चला कि धीरे-धीरे हालात सामान्य होने की उम्मीद है।वे बताते हैं कि भाई-बहनों में शोभा सबसे छोटी और सबकी लाडली है, इसलिए ज्यादा फिक्र रहती है। 8-9 साल पहले शोभा रायपुर आई थी, मैं भी उनसे मिलने बांग्लादेश जाता हूं लेकिन इस साल ये भी संभव नहीं है।
यहां पूरा परिवार है लेकिन बहन तो बहन होती है
नीलकमल की पत्नी शांती को ठीक से हिन्दी बोलनी नहीं आती लेकिन बंगाली भाषा में ही वो कहती हैं कि ‘आमार छेले, पूतेर बोउ, नाती पूती शॉबाई आछे। किंतु बोन नेई एखाने, ताई बोनेर कॉथा मोने पौरे।’
यानी मैं, मेरा बेटा, बहू, नाती-पोते सभी हैं मगर बहन नहीं है इसलिए उन्हें बहन की बहुत याद आती है.. शांति बताती हैं कि जब से बांग्लादेश में हिंसा के बारे में पता चला है तब से उनके पति नीलकमल अपनी बहन को याद कर रहे हैं।
बांग्लादेश में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन
शांति बताती हैं कि बांग्लादेश में रक्षा बंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता। लेकिन भारत आने के बाद हिन्दू परम्पराओं और यहां के रीति-रिवाजों के मुताबिक पूरा परिवार रक्षा बंधन का त्योहार मनाता है। लगातार बात होने से शोभा को रक्षाबंधन त्योहार का पता चला तो वह खुद ही राखी बनाकर बांग्लादेश से भेजने लगी।
कोयला और मछली बेचने का किया काम
1970 में भारत आने के बाद तत्कालीन सरकार ने ही उन्हें रायपुर (माना )में बसाया और यहां की नागरिकता दी। नीलकमल बताते हैं कि यहां आने बाद खेतों में मजदूरी का काम किया। इसके बाद बड़े व्यापारी से कोयला खरीदकर उसे घूम-घूमकर बेचा करते थे। फिर मछली बेचने का काम शुरू किया और धीरे-धीरे अब यही उनका फैमिली बिजनेस बन गया है।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा- जल्द हालात सामान्य होंगे
स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर से अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे। वहां हिन्दू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश की विकास यात्रा को लेकर शुभेच्छा रहेगी।