भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर 5.4% रह गई, जो पिछले दो वर्षों में सबसे कम है। इस गिरावट की वजह मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन को माना जा रहा है। हालांकि, भारत ने तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति बनाए रखी है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की तुलना में चीन की इसी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 4.6% रही।
पिछले आंकड़ों से तुलना
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.1% थी। इससे पहले, वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सबसे कम 4.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
कृषि क्षेत्र में तेजी, मैन्युफैक्चरिंग और खनन में गिरावट
- कृषि क्षेत्र: इस तिमाही में कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (GVA) 3.5% की दर से बढ़ा, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.7% था।
- मैन्युफैक्चरिंग: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि घटकर 2.2% रह गई, जो पिछले साल 14.3% थी।
- खनन और उत्खनन: खनन और उत्खनन क्षेत्र में GVA लगभग शून्य (0.01%) पर आ गया, जबकि पिछले वर्ष यह 11.1% था।
अन्य प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन
- वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं: इन सेवाओं की वृद्धि दर 6.7% रही, जो पिछले साल 6.2% थी।
- बिजली, गैस और पानी आपूर्ति: यह क्षेत्र 3.3% की दर से बढ़ा, जबकि पिछले साल यह 10.5% था।
- निर्माण क्षेत्र: इस क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल 13.6% थी।
आर्थिक वृद्धि के कुल आँकड़े
- अप्रैल-जून तिमाही: 2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.7% थी।
- जुलाई-सितंबर तिमाही: स्थिर कीमतों पर जीडीपी ₹44.10 लाख करोड़ रही, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह ₹41.86 लाख करोड़ थी।
- सकल नाममात्र जीडीपी: यह 8% बढ़कर ₹76.60 लाख करोड़ हो गई, जो पिछले साल ₹70.90 लाख करोड़ थी।
पहली छमाही का प्रदर्शन (अप्रैल-सितंबर 2024-25)
- वास्तविक जीडीपी: ₹87.74 लाख करोड़, जो पिछले साल ₹82.77 लाख करोड़ थी।
- नाममात्र जीडीपी: ₹153.91 लाख करोड़, जो पिछले साल ₹141.40 लाख करोड़ थी।
राजकोषीय घाटे पर नजर
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में केंद्र का राजकोषीय घाटा वार्षिक लक्ष्य का 46.5% पहुंच गया है।
- अप्रत्यक्ष रूप से घाटा: यह घाटा ₹7,50,824 करोड़ है।
- पिछले साल की स्थिति: 2023-24 की समान अवधि में यह घाटा 45% पर था।
भारत की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति मिश्रित संकेत देती है। जहां एक ओर कृषि और कुछ सेवाएं मजबूत बनी हुई हैं, वहीं मैन्युफैक्चरिंग और खनन जैसे क्षेत्रों में गिरावट चिंता का विषय है। इसके बावजूद, भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम है।