बांग्लादेश के चटगांव में शनिवार को एक और हिंदू पुजारी की गिरफ्तारी की खबर सामने आई है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई। गिरफ्तार किए गए पुजारी श्याम दास प्रभु हैं, जो reportedly जेल में बंद आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास से मिलने गए थे।
सूत्रों के अनुसार, उन्हें बिना किसी आधिकारिक वारंट के गिरफ्तार किया गया, जो बांग्लादेश में प्रचलित एक प्रथा है। इस प्रथा के तहत अधिकारियों को किसी को अस्थायी रूप से हिरासत में लेने और बाद में रिहा करने की अनुमति होती है।
आईएस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पुजारी की गिरफ्तारी की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आज चटगांव पुलिस ने एक और ब्रह्मचारी श्री श्याम दास प्रभु को गिरफ्तार किया।”
हिंदू पुजारी की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में हिंसा
आईएस्कॉन बांग्लादेश के पूर्व सदस्य और हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को राजद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद ढाका और चटगांव सहित विभिन्न स्थानों पर हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास को जमानत देने से इनकार कर दिया। इस फैसले के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की मौत हो गई।
पुलिस ने शनिवार तक इस हत्या के मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। मामले में 46 लोगों, जिनमें से अधिकांश अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सफाई कर्मचारी हैं, के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
चटगांव में हिंदू मंदिरों पर हमला
इस बीच, शुक्रवार को चटगांव के हरिश चंद्र मुंसेफ लेन में तीन हिंदू मंदिरों पर हमला किया गया। इनमें शांतनेश्वरी मातृ मंदिर, निकटवर्ती शनि मंदिर, और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर शामिल हैं।
BDNews24.com की रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला दोपहर करीब 2:30 बजे हुआ। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि “सैकड़ों की भीड़ ने नारेबाजी करते हुए मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके, जिससे शनि मंदिर और अन्य दो मंदिरों के द्वार को नुकसान पहुंचा।”
कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रमुख अब्दुल करीम ने हमले की पुष्टि की और कहा कि हमलावरों ने मंदिरों को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद से देश में राजनीतिक हिंसा तेज हो गई है।
नए सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार, जिसकी अगुवाई मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लग रहा है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश की 17 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 8 प्रतिशत है।