तबला के महानायक और “नृत्य करती उंगलियों” के जादूगर, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। 73 वर्षीय ज़ाकिर हुसैन लंबे समय से फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनके परिवार ने एक बयान जारी कर यह दुखद जानकारी दी।
“उन्होंने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनकी कला आने वाली पीढ़ियों तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी,” परिवार के बयान में कहा गया।
पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती ज़ाकिर हुसैन की हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था। उनकी बहन खुर्शीद औलिया ने बताया कि “भाई साहब ने बहुत शांति से अंतिम सांस ली।”
ज़ाकिर हुसैन के निधन के साथ संगीत जगत में एक युग का अंत हो गया है।
संगीत के सूरज का उदय
9 मार्च 1951 को जन्मे ज़ाकिर हुसैन एक संगीतप्रेमी परिवार से थे। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खुद तबला के दिग्गज कलाकार थे। बचपन से ही एक संगीत प्रतिभा के रूप में पहचाने जाने वाले ज़ाकिर ने महज 12 साल की उम्र में अपना पेशेवर करियर शुरू कर दिया था।
ज़ाकिर हुसैन ने बचपन में कई बार संगीत से भागने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें मां की फटकार सुननी पड़ती। आखिरकार, उन्होंने महसूस किया कि उनका भविष्य संगीत के इसी घर से शुरू होता है।
18 वर्ष की आयु तक ज़ाकिर हुसैन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन करने लगे थे। उनकी बेहतरीन संगत, चमकदार एकल प्रस्तुतियां और उत्तर और दक्षिण भारतीय संगीत के बीच संवाद स्थापित करने के लिए उनके अनूठे प्रयासों ने तबले को विश्वभर में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
यादगार सहयोग और वैश्विक पहचान
ज़ाकिर हुसैन ने शक्ति, रिमेम्बर शक्ति, मास्टर्स ऑफ परकशन, प्लैनेट ड्रम, ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट, और तबला बीट साइंस जैसे कई ऐतिहासिक प्रोजेक्ट्स में काम किया।
उनका संगीत केवल शास्त्रीय तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने जॉर्ज हैरिसन, सेलिस्ट यो-यो मा और जैज़ म्यूज़िशियन हरबी हैनकॉक जैसे विश्व प्रसिद्ध कलाकारों के साथ भी सहयोग किया।
सम्मान और उपलब्धियां
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को कई मानद डॉक्टरेट्स और 2019 में भारत के सर्वोच्च सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
इस साल की शुरुआत में, वह एक साथ तीन ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय संगीतकार बने। उन्होंने बेस्ट ग्लोबल म्यूज़िक एल्बम, बेस्ट ग्लोबल म्यूज़िक परफॉर्मेंस, और बेस्ट कंटेम्परेरी इंस्ट्रुमेंटल एल्बम के लिए ये सम्मान प्राप्त किए।
शोक संदेशों की बाढ़
सोशल मीडिया पर दुनियाभर के संगीत प्रेमियों, कलाकारों और प्रशंसकों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। सरोद के मशहूर उस्ताद अमजद अली खान ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“शब्दों में अपना दुख व्यक्त करना मुश्किल है। ज़ाकिर भाई के निधन की खबर से मैं टूट गया हूं। वह संगीत जगत की अद्वितीय प्रतिभा थे।”
आखिरी पोस्ट में प्रकृति से जुड़ी भावना
अक्टूबर में, ज़ाकिर हुसैन ने अपनी आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट में अमेरिका के पतझड़ के मौसम की खूबसूरती साझा की थी। उन्होंने लिखा था,
“पेड़ों के बदलते रंग, हल्की हवा में झूमते पत्ते… इसे देखना कितना खूबसूरत है। यहां टहलने का मन करता है…”
उनके निधन के साथ, भारतीय और वैश्विक संगीत जगत ने एक ऐसा सितारा खो दिया है, जिसकी चमक सदियों तक बनी रहेगी।