वाराणसी: सफलता और सुरक्षा के लिए लोग सतयुग में तपस्या, त्रेता में यज्ञ, द्वापर में उपासना करते थे। अगर कलयुग में सफल और सुरक्षित रहना है तो संगठित होना होगा। अपनी भारतीय संस्कृति और पहचान पर गर्व करना होगा। यह कहना है आचार्य शांतनु महाराज का।
शिवपुर स्थित मिनी स्टेडियम में क्षत्रिय धर्म संसद की ओर से आयोजित दो दिवसीय शौर्य कथा के पहले दिन प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा में शस्त्र चलाना धर्म है। विधर्मियों के सामने नतमस्तक होना अधर्म है। कहा कि हनुमान जी आत्मरक्षा सिद्धांत के प्रतिपादक है। हनुमान जी ने लंका में असुरों के नतमस्तक नहीं हुए। अपने बल और शौर्य से असुरों का नाश किए। कहा कि, व्यक्ति में संगति से गुण-दोष उभरते हैं। शौर्य जागरण के लिए महापुरुषों का स्मरण जरुरी है। इस अवसर पर रणविजय सिंह, राहुल सिंह, डॉ अरविंद सिंह, पीठाधीश्वर अभय सिंह, महापौर अशोक तिवारी, संजीव कुमार सिंह, महेश्वर सिंह, दृग बिंदु मणि सिंह, अरुण कुमार सिंह, ठाकुर कुश प्रताप सिंह, पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह, सत्येंद्र सिंह, संजय कुमार सिंह, डॉ राम मूर्ति सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, आशुतोष श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।