परीक्षा का समय निकट आते ही छात्रों की दिनचर्या अनियमित होने लगती है जिससे छात्रों का समय व्यवस्थापन, खानपान, आराम का समय, खेलकूद, मनोरंजन सभी की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाता है। छात्रों के संवेगात्मक अवस्था में नकारात्मकता अधिक होने से उनकी संज्ञानात्मक क्षमताएं (सीखना, स्मृति, चिंतन, प्रत्यक्षीकरण व अन्य) ठीक से काम नहीं करती। छात्र अधिक श्रम करते हैं फिर भी अधिगम व स्मृति कम ही होता है जिसके परिणाम स्वरूप छात्रों में तनाव बढ़ने लगता है और यह श्रृंखलाबद्ध तरीके से बढ़ता ही जाता है।
इसलिए हर स्तर पर छात्रों के परीक्षा संबंधित तनाव को नियंत्रित एवं व्यवस्थित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। 2022 में एनसीईआरटी द्वारा की गई एक सर्वे के अनुसार कक्षा 9 से 12 तक के 80% छात्रों मैं परीक्षा एवं प्राप्तांक संबंधित दुश्चिंता पाई गई जो उनके निष्पादन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है। अध्ययनों में यह पाया गया है कि छात्रों में परीक्षा तनाव परीक्षा के एक सप्ताह पहले सबसे उच्चतम स्तर पर होता है। परीक्षा तनाव के गंभीर परिणाम और उसके व्यवस्थापन के महत्व को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी प्रतिवर्ष छात्रों से बातचीत करके परीक्षा तनाव व्यवस्थापन अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर गति प्रदान करते हैं।
परीक्षा तनाव के कारण
- नियमित अध्ययन न करना
- परीक्षा की घोषणा हो जाने पर तैयारी करना
- समय की कमी
- असफलता का डर
- प्रयास के बजाय परिणाम पर अधिक सोचना
- अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव
- शिक्षक एवं माता-पिता द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के लिए भय का माहौल खड़ा करना
अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा
- जीवन में परीक्षा प्राप्तांक को ही सब कुछ मान लेना
- अभिभावकों द्वारा बच्चों का अतार्किक रूप से दूसरे बच्चों से तुलना करना
- अभिभावकों व शिक्षकों द्वारा बच्चों की क्षमता से अधिक की अपेक्षा रखना।
- परीक्षा में प्राप्त प्राप्तांको को ही जीवन की सफलता का मानक मान लेना।
- अभिभावक एवं परिवार के सदस्यों द्वारा छात्र के परीक्षा के अंक को अपने अहम् एवं मान-सम्मान से जोड़कर देखना।
- दूसरों से परीक्षा अंको के लिए प्रतिस्पर्धा रखना
- पिछले परीक्षा में कम प्राप्तांक
परीक्षा तनाव के लक्षण
- हमेशा तनाव ग्रस्त रहना
- अनिद्रा
- सिर दर्द
- पेट दर्द
- मिचली
- उदासी
- थकान
- चिडचिडापन
- ध्यान की समस्या
- भूख में गड़बड़ी
- अव्यवस्थित दिनचर्या
- नकारात्मक विचार आना
- परीक्षा संबंधित डरावने सपने आना
- अध्ययन में ध्यान केंद्रित न कर पाना
- परीक्षा नजदीक आते ही शारीरिक बीमारी के लक्षण बिना कारण प्रदर्शित होना
समय व्यवस्थापन है महत्वपूर्ण
समय व्यवस्थापन अध्ययन कौशल का एक अहम् हिस्सा है जो विद्यार्थी अध्ययन समय-सारणी के अनुसार करते हैं वे न केवल कम समय में ज्यादा सीखते हैं बल्कि देर से भूलते भी हैं। जो विद्यार्थी लिखित समय- सारणी नहीं बनाते वे न केवल अधिक समय खर्च करते हैं बल्कि परीक्षा में उनकी सफलता संदिग्ध बनी रहती है क्योंकि वे कुछ विषय अधिक पढ़ते हैं तथा कुछ विषय कम पढने से परीक्षा के समय उच्च स्तर का तनाव होता हैं जिससे पढ़े हुए विषयों के भी विस्मरण होने की संभावना उच्च स्तर की रहती है। परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु लिखित समय-सारणी बनाकर अध्ययन वाले स्थान पर लगा के रखना चाहिए ताकि वे आवश्यकता अनुसार सभी विषयों को समुचित समय प्रदान कर सकें।
मनोवैज्ञानिक समय-सारणी का प्रारूप
मनोवैज्ञानिक समय-सारणी
समय | कार्य |
---|---|
सुबह | |
4:30 बजे | जगने का समय |
4:30-4:45 बजे | नित्यक्रिया |
4:45-6:00 बजे | अध्ययन |
6:00-6:15 बजे | हल्का नाश्ता |
6:15-7:15 बजे | अध्ययन |
7:15-8:00 बजे | व्यक्तिगत कार्य |
8:00-9:00 बजे | अध्ययन |
9:00-9:30 बजे | मनोरंजन |
9:30-10:30 बजे | अध्ययन |
10:30-12:00 बजे | स्नान, भोजन एवं आराम |
दोपहर | |
12:00-1:00 बजे | अध्ययन |
1:00-2:00 बजे | मित्रों व शिक्षकों से परिचर्चा |
2:00-3:00 बजे | अध्ययन |
3:00-4:00 बजे | खेलकूद व मनोरंजन |
शाम | |
4:00-4:15 बजे | नाश्ता |
4:15-5:15 बजे | अध्ययन |
5:15-6:00 बजे | व्यक्तिगत कार्य |
6:00-7:00 बजे | अध्ययन |
रात्रि | |
7:00-8:00 बजे | अभिभावक से चर्चा |
8:00-9:00 बजे | अध्ययन |
9:00-10:00 बजे | भोजन व चर्चा |
10:00-4:30 बजे | रात्रि विश्राम |
उपरोक्त समय सारणी में छात्र अपने अभिभावक एवं शिक्षकों से चर्चा करके समय एवं क्रम में परिवर्तन कर सकते हैं। अपने रुचि के कार्य तथा खेल एवं मनोरंजन के लिए भी समय सारणी में पर्याप्त समय प्रदान करना चाहिए।
पाठ्यक्रम के अनुसार योजना बनाएं
विषयों के पाठ्यक्रम की मात्रा, उनकी प्रकृति तथा छात्र की उस विषय की तैयारी की स्थिति के अनुसार अध्ययन की योजना बनानी चाहिए जिस विषय का पाठ्यक्रम बडा तथा कठिन हो उस विषय को अपेक्षाकृत अधिक समय प्रदान करना चाहिए तथा जिस विषय की तैयारी हो चुकी हो उसे थोड़ा कम समय देना चाहिए लेकिन उसका भी नियमित अभ्यास करते रहना चाहिए अन्यथा उसके विस्मरण होने का जोखिम बढ़ जाता है।
अध्ययन के लिए सावधानियां
- हल्का नाश्ता करके पढ़ाई करना चाहिए।
- अध्ययन सदैव कुर्सी मेज पर बैठकर करें, बिस्तर पर लेटकर अध्ययन करने से अधिगम की गति, मात्रा व गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है। जिससे सीखी गई विषयवस्तु की धारण कमजोर होती है।
- विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में टेलीविजन, रेडियो एवं मल्टीमीडिया मोबाइल न रखें। यथासंभव अध्ययन कक्ष एकांत में एवं शांत वातावरण का होना चाहिए।
- अध्ययन कक्ष में पर्याप्त प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था रखें क्योंकि प्रकाश एवं हवा की कमी होने से जल्दी थकान होता है तथा सिर दर्द होने की संभावना बनी रहती है।
- परीक्षा की तैयारी स्वलिखित विवरणिका एवं पुस्तक से करना चाहिए मोबाइल का उपयोग कम से कम करना चाहिए।
परीक्षा की तैयारी
- फ्लैश कार्ड बनाएं
- रटने की वजाय समझकर सीखने की कोशिश करें
- नोट्स को व्यवस्थित लिखें नोट्स स्पष्ट एवं साफ सुथरा होना चाहिए
- पढ़ने में विभिन्न संसाधनों का उपयोग करें
- परीक्षा के प्रारूप को समझकर उसके अनुरूप तैयारी करें
- किसी पाठ को सफलतापूर्वक सीख लेने पर स्वयं को शाबाशी एवं पुनर्बलन दें
- सभी प्रश्नों का समुचित उत्तर ढूंढे और सोचें कि कोई उत्तर सही क्यों है इससे प्रश्नों के प्रारूप में परिवर्तन होने पर भी परीक्षा में भ्रम नहीं होगा
- सीखने के बाद बोल कर दोहराने के बजाय लिखकर दोहराने से परीक्षा में भूलने की संभावना कम रहती है
- कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान दें
- परीक्षा की तैयारी करते समय किसी भी प्रकार का भ्रम होने पर अपने मित्रों एवं शिक्षकों से संपर्क करना चाहिए।
- समय-समय पर अपने परीक्षा की तैयारी की समीक्षा करते रहें
- अध्ययन के दौरान बीच-बीच में चहल कदमी करते रहना चाहिए ताकि बोरियत/ झपकी आदि से बचा जा सके
- तैयारी में लघु शीर्षक एवं चित्रों की सहायता लेनी चाहिए
परीक्षा के एक माह पहले से
- अध्ययन समय सारिणी में विषयों की तैयारी के सापेक्ष परिवर्तन कर लें
- पूर्व के वर्षों के प्रश्न- पत्रों का समय सीमा का ध्यान रखते हुए हल करने का अभ्यास करें।
- दिनचर्या को नियम नियमित रखें
- नियमित व्यायाम एवं योग करें
- मित्रों से चर्चा करते रहे किंतु ऐसे साथियों से चर्चा से बचें जो परीक्षा संबंधित तनाव उत्पन्न करने की कोशिश करते हैं
- प्रत्येक विषय एवं चैप्टर की तैयारी गहनता से करें
- शॉर्टकट न अपनाएं
- महत्वपूर्ण तथ्यों, सूत्रों व तिथियां को हाईलाइट कर लें
परीक्षा से 1 सप्ताह पहले
- अध्ययन को नियमित रखें
- परीक्षा परिणाम के बजाय अपने तैयारी पर ध्यान दें
- कम से कम 7 घंटे गुणवत्तापूर्ण नींद लें
- संतुलित आहार लेते रहें
- नियमित दिनचर्या अपनाएं
- नियमित व्यायाम एवं योग अभ्यास करते रहें
परीक्षा से पूर्व की शाम
- मन को शांत रखते हुए आवश्यक हो तो महत्वपूर्ण विषयवस्तु को दोहराएं
- बिल्कुल नए विषय वस्तु को सीखने का अधिक प्रयास न करें
- परीक्षा हेतु आवश्यक सामग्री को एक स्थान पर एकत्र कर रख लें जैसे- प्रवेश -पत्र, पेन, पेंसिल इत्यादि
- परीक्षा के पूर्व की रात में देर रात तक अध्ययन करने का प्रयास न करें # नियमित समय से सोए और अगले दिन निर्धारित समय पर उठे
- मित्र मंडली से अनावश्यक चर्चा न करें।
परीक्षा के दिन
- समय से उठे
- नित्य क्रिया इत्यादि के बाद यदि समय हो तो शांत मन से मुख्य तथ्यों को दोहराने का प्रयास करें
- परीक्षा केंद्र के लिए निकलने से पूर्व आवश्यक प्रपत्र एवं सामग्री का निरीक्षण कर लें
- घर से परीक्षा केंद्र पहुंचने में लगने वाले समय को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त समय पहले निकलना चाहिए ताकि जाम इत्यादि की स्थिति में भी समय परीक्षा केंद्र पहुंच सकें।
परीक्षा केंद्र पर
- परीक्षा केंद्र पर अन्य लोगों से अनावश्यक चर्चा न करें इससे विस्मरण होने की संभावना बढ़ जाती है
- उत्तेजना पूर्ण व्यवहार से बचें
- अनावश्यक बातों या अफवाहों पर ध्यान न दें जैसे- परीक्षा टल सकती है, पेपर आउट हो गया है, प्रश्न- पत्र कठिन आ रहा है इत्यादि
परीक्षा हाल में
- मन को शांत रखें
- लघु शंका इत्यादि से निवृत हो लें ताकि परीक्षा के दौरान समय का सही सदुपयोग किया जा सके।
- अपने आस-पास के स्थान का निरीक्षण कर लें कोई संदिग्ध वस्तु हो या विषम परिस्थिति हो तो कक्ष निरीक्षक को तुरंत सूचित करें।
- प्रश्न पत्र मिलने पर उसे ध्यानपूर्वक शुरू से अंत तक अवलोकन करें कोई पृष्ठ न होने या सही ढंग से प्रिंट न रहने पर कक्ष निरीक्षक से बात कर दूसरी प्रति ले लें।
- यथासंभव उस प्रश्न को सबसे पहले हल करने का प्रयास करें जिसे आप सबसे अच्छे से हल करने में सक्षम हो क्योंकि परीक्षा के प्रारंभिक समय में विद्यार्थियों का तनाव बढ़ा रहता है जिससे वे अपनी संज्ञानात्मक क्षमताओं का ठीक उपयोग करने में सक्षम नहीं होते, वे चिंतन, स्मृति एवं प्रत्यक्षीकरण की क्षमता का उपयोग ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं और जब कुछ प्रश्नों को सफलतापूर्वक हल कर लेते हैं तो उनके तनाव का स्तर सामान्य हो जाने से वे कठिन प्रश्नों को भी समझ कर हल करने में सक्षम होते हैं। जिस विषय की परीक्षा बीत जाए तो उसके प्रश्न-पत्र को उस दिन उत्तर से मिलन न करें बल्कि अगले विषय की तैयारी में जुड़ जाए क्योंकि बीते हुए विषय के प्रश्न-पत्र के प्रश्नों का उत्तर संतोषजनक न होने पर तनाव उत्पन्न होता है जो आगे आने वाले विषय के तैयारी को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करता है।
अभिभावक की जिम्मेदारी
- बच्चे को व्यवस्थित रूप से अध्ययन करने हेतु प्रोत्साहित करें
- परीक्षा की तैयारी के समय सारिणी के बारे में बच्चों से चर्चा करें
- संतुलित आहार की व्यवस्था करें
- अध्ययन हेतु उचित वातावरण का निर्माण करें
- परीक्षा के प्रति तनावपूर्ण माहौल न बनने दे
- बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
- बच्चों के व्यवहार में अचानक से यदि कोई बड़ा परिवर्तन हो तो उससे बातचीत कर उसके कारण जानने का प्रयास करें यदि उसे किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो तो उसे उपलब्ध करें।
शिक्षकों की जिम्मेदारी
- छात्रों में आत्मविश्वास जगाएं
- छात्रों से चर्चा करें कि जैसे अन्य परीक्षाएं हुई है वैसे ही बोर्ड परीक्षा भी होगी घबराने ऐसी कोई बात नहीं है
- बच्चों में शुरू से अध्ययन हेतु आदत विकसित करने का प्रयास करें
- छात्रों को अध्ययन कौशलों की जानकारी प्रदान करें
- छात्रों को बताएं की परीक्षा कोई चुनौती नहीं बल्कि आपके उन्नति के लिए अवसर है।
- छात्रों को एहसास दिलाएं कि किसी प्रकार की कठिनाई होने पर हम आपके सहयोग के लिए उपलब्ध है।
- बच्चों के मनोदशा में व्यापक परिवर्तन दिखाई पड़े तो उससे सहानुभूति पूर्वक बातचीत करके कारण का पता लगाएं तथा उसके निवारण में सहयोग प्रदान करें।
मीडिया की भूमिका
समाज को सही दिशा प्रदान करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मीडिया को चाहिए कि वह परीक्षा संबंधी नकारात्मक खबरों को चलाते समय सावधानी बरतें तथा छात्रों के परीक्षा संबंधी तनाव के व्यवस्थापन हेतु व्यापक प्रचार प्रसार करें, प्रश्न पहर में मनोवैज्ञानिकों से छात्रों को प्रश्न पूछने कर तनाव प्रबंधन के तरीकों को जानने का अवसर प्रदान करें, ऐसी स्टोरी व उदाहरण प्रकाशित करें जिसमें कम परीक्षा प्राप्तांक वाले भी जीवन में सफल व्यक्तियों के बारे में चर्चा करें। परीक्षा को उत्सव एवं अवसर के रूप में प्रस्तुतीकरण करके छात्रों के उज्जवल भविष्य तथा राष्ट्र निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
समाज की भूमिका
छात्रों की परीक्षा संबंधित तनाव प्रबंधन में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है समाज को चाहिए कि वर्ष भर बच्चों को मेहनत करने हेतु प्रोत्साहित करें तथा उन्हें बताएं कि समाज में ऐसे लोग भी है जो परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद भी आज जीवन में सफल है। परीक्षा के समय अधिक शोरगुल न होने दें। समाज में तनावपूर्ण वातावरण न बनने दे जैसे- दंगा फसाद या कर्फ्यू इत्यादि का माहौल नहीं बनने देना चाहिए।
मनोवैज्ञानिक से मदद लेने में न करें संकोच
छात्रों को परीक्षा संबंधित तनाव न हो इसके लिए माता-पिता परिवार के सदस्यों, शिक्षकों, साथी समूह एवं समाज सभी की जिम्मेदारी है। उपर्युक्त बताए गए उपाय का उपयोग करने के बाद भी यदि छात्र का तनाव नियंत्रित न हो तो निसंकोच मनोवैज्ञानिक से मदद ली जा सकती है मनोवैज्ञानिक विशेष परामर्श विधियों, रिलैक्सेशन एक्सरसाइज व सोने के तरीके में बदलाव के माध्यम से छात्र के परीक्षा संबंधित तनाव को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण रूप से मददगार साबित होते हैं। यदि छात्र के परीक्षा तनाव को सही समय पर व्यवस्थित नहीं किया जाता है तो न केवल उसका कैरियर खराब होता है बल्कि कई बार विद्यार्थी आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं।