हमारे जीवनशैली से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी का नाम है कैंसर। देश में युवाओं में मुंह और गले का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। चिकित्सक मुंह के कैंसर के लगभग 90 प्रतिशत मामलों के लिए तंबाकू को मुख्य कारण मान रहे हैं। लेकिन समय पर पहचान से इस जानलेवा बीमारी से बचाव भी संभव है।

युवाओं में बढ़ती तंबाकू की लत और कैंसर का खतरा
सोनू चावला, उम्र केवल 35 वर्ष, मुंह के कैंसर के रोगी बन गए। सौभाग्य से, समय रहते उनकी जांच हो गई और इलाज ने उन्हें नया जीवन दे दिया। सोनू कॉलेज के दिनों से ही पान मसाला खाने के आदी हो गए थे, जिसका नतीजा मुख के कैंसर के रूप में सामने आया। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, भारत में मुंह के कैंसर के कारण हर साल लगभग 77,000 नए मामले सामने आते हैं और लगभग 52,000 मौतें होती हैं स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरे विश्व में मुंह के कैंसर के मामले ब्राजील और भारत में सबसे अधिक हैं।
तंबाकू के प्रति गलत धारणाएं और उनकी सच्चाई
आज की युवा पीढ़ी तंबाकू को आत्मविश्वास बढ़ाने का साधन मानती है, लेकिन यह एक खतरनाक भ्रम है। दिल्ली सहित पूरे देश में पुरुषों में गले और मुंह के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और अब महिलाएं भी इससे अछूती नहीं हैं। शहरी महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। आज बाजार में तंबाकू के कई उत्पाद उपलब्ध हैं, जैसे पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, सिगार और बीड़ी। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पंद्रह-सोलह वर्ष तक के बच्चे भी बड़ी संख्या में इसके आदी होते जा रहे हैं।
मुख के कैंसर के लक्षण और प्रारंभिक पहचान
मुख के कैंसर में सबसे अधिक प्रभावित अंग होठ, जीभ, गाल और मुंह होते हैं। तंबाकू, गुटखा या पान मसाला खाने से ऊतकों में बदलाव आता है, जिससे ‘स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा’ नामक कैंसर हो जाता है। यह भारत में पाया जाने वाला तीसरा सबसे प्रमुख कैंसर है।
इसके प्रारंभिक लक्षणों में शामिल हैं:
- जीभ पर सफेद दाग या छाले
- कोमल जीभ का कठोर होना
- मुंह खोलने में कठिनाई
प्रारंभिक चरण में अल्ट्रासाउंड, छाती के एक्स-रे और खून की जांच से इसका पता लगाया जा सकता है। यदि कैंसर गले तक नहीं पहुंचा है, तो सर्जरी द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। यदि यह दूसरे चरण में है, तो प्रभावित क्षेत्र की पहचान कर सर्जरी और रेडियोथेरेपी से उपचार किया जाता है।
धूम्रपान और अन्य बीमारियों का संबंध
धूम्रपान से कैंसर का रिश्ता जगजाहिर है। यह न केवल फेफड़े बल्कि मूत्राशय और अन्य अंगों के कैंसर का भी कारण बनता है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को भी फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए अभिशाप है।
मुख के कैंसर में सैलिवरी ग्लैंड का कैंसर भी आम है। इसमें ‘एडिनॉइड सिस्टिक कार्सिनोमा’ और ‘प्लियोमार्फिक एडिनोमा’ जैसे कैंसर होते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं। जबड़े, जीभ या अन्य प्रभावित अंगों को हटाने के बाद उनके पुनर्निर्माण की आवश्यकता होती है, ताकि मरीज सामान्य जीवन जी सके।
तंबाकू की लत: मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रभाव
तंबाकू का सेवन सामाजिक रूप से स्वीकृत है, और कई अवसरों पर इसका उपयोग किया जाता है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि पहली खुराक ही व्यक्ति को इसकी लत में डाल देती है। इसमें मौजूद निकोटीन सीधे मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है और व्यक्ति को इसका आदी बना देता है। परिणामस्वरूप, युवा कैंसर जैसी घातक बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
बचाव ही सबसे अच्छा इलाज
मुख और गले का कैंसर हमारी जीवनशैली और आदतों से जुड़ी बीमारी है, और इसका परिणाम बेहद घातक हो सकता है। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान की प्रगति ने इसके उपचार को संभव बना दिया है, फिर भी बचाव ही सबसे अच्छा और सरल उपाय है। तंबाकू और धूम्रपान से दूरी बनाकर हम खुद को और अपने परिवार को इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते हैं।