मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता की चुनौतियां  

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भारतीय जनता पार्टी ने फिर एक बार दिल्ली मुख्यमंत्री के रूप में श्रीमती रेखा गुप्ता के नाम को लेकर न केवल चौंकाया बल्कि एक तीर से अनेक निशाने साधे हैं। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने एक साथ कई समीकरणों को साधने का प्रयास किया है। इस चौंकाने वाले फैसले के पीछे भाजपा की कई रणनीतियां हैं, एक तरफ जहां जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश है वहीं दूसरी तरफ नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को भी खत्म किया गया है। रेखा गुप्ता के रूप में भाजपा ने एक ऐसे चेहरे को आगे बढ़ाया है जो महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। रेखा गुप्ता भले ही पुरानी संघ के जुड़ी नेता रही हो, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव कोई बहुत ज्यादा नहीं रहा है।

लेकिन भाजपा की इस नई तरह की राजनीति एवं सोच ने राजनीतिक दिग्गजों एवं कद्दावर नेताओं के स्थान पर नये चेहरों को आगे करके राजनीति की नई परिभाषा गढ़ती रही है, जो सफल भी रही है और राजनीति में परिवार एवं परम्परा को नकारा है। निश्चित ही अन्य राज्यों की भांति दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता भी नया इतिहास का सृजन करते हुए विकास की नई गाथा लिखेंगी। दिल्ली से पहले भाजपा की 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार थी लेकिन कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। दिल्ली में चौथी मुख्यमंत्री के रूप में भले ही रेखा गुप्ता का नाम राजनीति गलियारों में व्यापक चर्चा का विषय बन रहा हो, लेकिन राजनीति में महिलाओं के वर्चस्व को बढ़ाने की यह कोशिश अभिनन्दनीय एवं सराहनीय है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में भाजपा ने मुख्यमंत्री के नामों को लेकर चौंकाया था। लेकिन यह संदेश भी दिया था कि पार्टी में बड़ा चेहरा होना सब कुछ नहीं है। कर्मठ कार्यकर्ता होना बहुत कुछ है, जो बिना अभिमान पार्टी नेतृत्व के सोच को आसमानी ऊंचाई दे सकता है। रेखा गुप्ता शालीमार बाग सीट से जीतकर पहली बार विधायक बनी हैं। शुक्रवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में रेखा गुप्ता ने नौवें मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे। रेखा गुप्ता पेशे से एक वकील हैं। भाजपा में उनकी गिनती अग्रणी नेताओं में होती है, वे दिल्ली भाजपा की महासचिव और भाजपा के महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद में हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई है।

रेखा गुप्ता से पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं। रेखा गुप्ता पुरानी संघ से जुड़ी नेता रही हैं, दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र संघ अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपना राजनीतिक सफर शुरु करने वाली रेखा गुप्ता कोमल स्वभाव, खुशमिजाज, संवेदनशील लेकिन बेबाकी, बेखौफ एवं बुलन्द आवाज में अपनी बात रखने का उनका माद्दा उनको एक खास पहचान देता है। निश्चित ही दिल्ली का नया मंत्रिमण्डल सशक्त एवं कार्यक्षम है। वैसे एक बड़ी सच्चाई तो यही है कि दिल्ली की जीत अगर किसी एक चेहरे पर हुई थी, तो वह नरेंद्र मोदी थे। दिल्ली की जनता से मोदी ने जो वायदे किये हैं, उनको पूरा करने के लिये वे स्वयं दिल्ली पर निगरानी रखेंगे। उनका मार्गदर्शन एवं नेतृत्व ही दिल्ली के विकास की नई गाथा लिखेगा। प्रवेश वर्मा सहित छह लोगों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

इस सूची में पंकज सिंह, आशीष सूद, रवींद्र इंद्रराज, कपिल मिश्रा और मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम शामिल है। पंकज सिंह बिहार के रहने वाले हैं और राजपूत चेहरा हैं, इसके अलावा रविंद्र इंद्राज दलित चेहरा हैं, कपिल मिश्रा ब्राह्मण तो सिरसा सिख।  भाजपा ने सभी वर्गों को मंत्रिमण्डल में जगह दी है। मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का सफर चुनौतीपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि उनका उन सारी घोषणाओं और वादों को पूरा करना है, जो चुनाव के दौरान तीन किश्तों में जारी चुनाव घोषणा पत्र में किए थे और जिसे सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बार-बार दोहराया था।

इनमें यमुना की सफाई, स्वच्छ पेयजल, साफ प्रदूषण रहित हवा दिल्ली को देना, प्रति वर्ष 50 हजार नई नौकरियों का सृजन, महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना, वृद्धों को पेंशन, मुफ्त बस यात्रा, नालों गलियों सीवर की सफाई, सड़कों की मरम्मत, ट्रैफिक जाम से निजात समेत आप सरकार की मुफ्त बिजली पानी जैसी लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखना शामिल होगा। खासकर 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं और दिल्ली की सूरत बदलने वाली शीला दीक्षित के कामकाज से रेखा सरकार के कामकाज की तुलना होगी। इसके साथ ही रेखा गुप्ता को उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ तालमेल बिठाते हुए भी ये संदेश भी देना होगा कि वे कठपुतली मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसके लिए उन्हें शीला और सुषमा का उदाहरण सामने रखकर नयी रेखाएं खिंचनी होगी। भले ही मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ रेखा गुप्ता दिल्ली के दिलों पर छा गईं हो, एकाएक उनके फॉलोअर्स की रफ्तार देख हर कोई हैरान हो, उन्होंने दिग्गजों को पछाड़ा हो, लेकिन असली परीक्षा अब होगी और वह परीक्षा है उनका काम करने का तरीका एवं दिल्ली को दुनिया की अव्वल राजधानियों में शुमार कराने का।

रेखा गुप्ता के सामने विपक्ष आम आदमी पार्टी के आक्रामक विरोध से निपटने की भी चुनौती होगी। 22 विधायक और 43 फीसदी मत प्रतिशत वाली आप विधानसभा के भीतर बाहर सरकार के विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इन बाहरी चुनौतियों के साथ ही पार्टी के भीतर वो नेता जिनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी, उनके भीतरघात से भी सजग रहने व निपटने की चुनौती होगी। हालांकि, मौजूदा भाजपा नेतृत्व के दौर में भीतरघात बहुत असरदार नहीं बचा है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा नेताओं की ही एक जमात उन्हें विफल होते भी देखना चाहेगी। मुख्यमंत्री को उन पर भी नजर रखनी होगी। आखिरी सबसे बड़ी चुनौती नौकरशाही पर सार्थक नियंत्रण और उसे जनोन्मुखी बनाने की होगी।

साथ ही दिल्ली के सभी वर्गों समूहों और क्षेत्रों में संतुलन साधते हुए विकास करने की होगी। दिल्ली देश की राजधानी और केंद्र के सीधे नियंत्रण में है, इसलिए उनके हर काम पर देश एवं दुनिया के मीडिया के साथ-साथ केन्द्र की नजर रहेगी, इसलिए उन्हें फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे। दिल्ली का विकास केजरीवाल सरकार के दौर में अवरुद्ध रहा है। जीत के बाद विजयी भाषण में प्रधनमंत्री मोदी ने यमुना को लेकर कई बड़े वादे किए हैं, जिनपर रेखा गुप्ता सरकार को खरा उतरना होगा। तय डेडलाइन पर यमुना का जीर्णोद्धार हो पाए इसका इंतजार दिल्ली की जनता कर रही है। दिल्ली की जनता यमुना नदी को अहमदाबाद की साबरमती नदी की तर्ज पर सौन्दर्यकरण के साथ विकसित होते हुए देखने को उतावली है। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में इस वक्त सड़क कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसके अलावा दिल्ली में कई स्थानों पर सड़कों का बुरा हाल है। इन सड़कों को दुरुस्त कराना भी एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। दिल्ली में पूर्ववर्ती आप सरकार ने चार अस्पताल बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सकता है। वहीं, आयुष्मान आरोग्य मंदिर से जुड़ी योजना भी लागू करना होगा।

दिल्ली में जिस प्रकार सार्वजनिक परिवहन की जरूरत बढ़ती जा रही है, उस अनुरूप बसों की संख्या बढ़ानी होगी। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या रही है। भाजपा इन मुद्दों पर आप पर हमलावर रही है लेकिन अब जब खुद भाजपा सत्ता में आ गई है तो इसके लिए कोई बहाना दिल्ली की जनता को रास नहीं आएगा। वायु प्रदूषण के कारण ना केवल लोगों के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि बच्चों के स्कूल बीच सेशन बंद भी कराने पड़ते हैं। भाजपा ने चुनाव के वक्त अपनी पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। रेखा गुप्ता अपनी टीम की छवि कितनी साफ, अहंकारमुक्त एवं पारदर्शी रख पाती हैं, यह भी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं, आप सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच कराना भी इसकी जिम्मेदारी होगी। महिलाओं एवं युवाओं के मुद्दों को लेकर भी उन्हें संवेदनशीलता दिखानी होगी। निश्चित ही मुख्यमंत्री का ताज फूलों से ज्यादा कांटोंभरा ताज है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रयोगशाला में तपकर निकली रेखा गुप्ता दिल्ली के शासन को एक नई आभा देकर सभी चुनौतियों से पार पायेगी, इसमें सन्देह नहीं है।

ललित गर्ग
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