केंद्रों की व्यवस्था सुचारू रखने त्वरित कार्यवाही आवश्यक

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं चुस्त: व्यवस्थाएं सुस्त

महिला बाल विकास विभाग जो संपूर्ण भारत में विभिन्न आंगनबाड़ी केंन्द्रो के माध्यम से महिला एवं बालकों के मध्य कुपोषण को दूर करने हेतु मूलभूत कार्य के रूप में संचालित किया जा रहा है। क्या केंद्र और राज्य सरकारों ने कभी गंभीरता से ध्यान दिया है कि इन केंद्रों संचालन बहुत लाचार और लचर व्यवस्था के साये में किया जा रहा है। यहां कार्य करने वाले कर्मी चाहे वे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो या सहायिका बहुत ही विकट और चुनौती पूर्ण स्थिति में कार्यों का संपादन कर रही हैं, जो निश्चय ही प्रशंसनीय है। सरकारें आधे अधूरे मन से महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में सुपोषण जैसे महती कार्य को औपचारिकता के साथ निपटा रही है, जो कदापि नहीं होना चाहिए। यहाँ शासन को प्रत्येक स्तर पर कड़ाई से कार्यों को लागू करने हेतु कुशल प्रबंधन करना अत्यंत ही जरूरी है, तभी आंगनबाड़ी केंद्रों की गुणवत्ता भी सुधरेगी और उसके परिणाम भी और बेहतर होंगे।

ज्ञात हो भारत में बाल महिला के स्वास्थ्य हेतु इसे भारत सरकार ने 1975 में बाल भूख और कुपोषण से निपटने के लिए महती रूप से एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शुरू किया था। छत्तीसगढ़ राज्य के सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन या टैबलेट उपलब्ध कराया है ताकि केंद्र के कामों की ऑनलाइन मॉनेटरिंग की जा सके हालांकि उपलब्ध कराए गए मोबाइल की गुणवत्ता बहुत निम्न है। कार्यकर्ताओं को इसमें काम करने में बहुत सारी दिक्कतें हो रही है। खैर शासन का कहना है कि इससे आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों और उनके स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड के साथ साथ महिलाओं और किशोरियों को मिलने वाले लाभों का आंकड़े भी एकत्र करने में मदद मिलेगी।

प्राथमिकता के आधार पर सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल और शौचालयों की सुविधा को बेहतर बनाने के साथ साथ बिजली कनेक्शन को ठीक करने के भी निर्देश हैं। राज्य के सभी केंद्रों पर पोषाहार सप्लाई की मात्रा और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने कार्य की गुणवत्ता सुधारने सुधारने का निर्देश दिया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों को आधुनिक और डिजिटलाइज करने की राज्य सरकार की यह पहल सराहनीय है। इससे पहले सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहयोगिनियों और सहायिकाओं के मानदेय में 10 हजार रुपये देकर वृद्धि की थी। यह भी विडम्बना है कि राज्य सरकार ने केवल दस हजार रुपये मानदेय देकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मल्टीपरपज कार्यकर्ता बना दिया है। सरकार ने उनके मूल काम से इतर अनेक विभागों के कई काम दे दिए हैं,जिसमें बच्चों के स्वास्थ्य पोषण से कोई लेना देना नहीं है।

इससे हो यह रहा है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मूल कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। कार्य की गुणवत्ता में भी गिरावट आ रही है।  छत्तीसगढ़ सरकार को इस पर कड़ाई से ध्यान देना नितांत आवश्यक है, वरना बाल महिला सुपोषण का उद्देश्य निरूद्देश्य ही चला जाएगा । इस वक़्त पूरे  छत्तीसगढ़ में करीब 49,774 आंगनबाड़ी  एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे हैं। जिसके माध्यम से लाखों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण मुक्त बनाया जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे जनोपयोगी आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्थाएं जैसी होनी चाहिए वैसी इन केंद्रों की हालत देखकर ही स्वमेव ज्ञात हो जाता है कि शासन को इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की कितनी आवश्यकता है। आमतौर पर इन केंद्रों की सफलतापूर्वक संचालन कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कारण मुमकिन होता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार केंद्र पर सुविधाओं की कमी के कारण इन्हें बहुत सी कठिनाइयों के बीच काम करना पड़ता है।

इसका एक उदाहरण नगर में स्थित कई आंगनबाड़ी केन्द्रो में देखा जा सकता है, जहां संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाओं की कमी के बीच कार्यकर्ताओं, और सहायिकाओं को काम करना पड़ रहा है। यह सरकार की लापरवाही ही है कि सुपोषण के लिए उचित माहौल और परिवेश का होना जितना जरूरी है, उस पर राज्य सरकार उतना ही लापरवाही बरत रही है। खास करके ग्रामों और शहरी श्लम एरिया में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति बहुत ही खराब है। छोटे-छोटे सीलन भरे छप्पर वाले आंगनवाड़ी केंद्र या जो किराए पर लिए गए भवन होते हैं वहां आसपास कचरे गंदगी एवं नालियां बजबजाती हुई दिखती हैं।  स्वच्छ हवा युक्त आंगनबाड़ी केद्र की बहुत कमी बनी हुई है। शहरों में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र भवनविहीन है, उसमें बिजली, पानी और शौचालय की कोई सुविधा नहीं  होती है। आंगनबाड़ी केंद्रों में पर 0-6 साल के बच्चों के नाम दर्ज होते हैं। साथ ही गर्भवती व शिशुवती महिलाओं के भी नाम हितग्राहियों के रूप में दर्ज रहते हैं।

जिन्हें केंद्र की ओर से पोषाहार के रूप में दलिया और रेडी टू इट एवं गर्म भोजन दिए जाते हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं, साथ ही उन्हें सेनेटरी पैड भी बांटे जाते हैं, लेकिन महीनों से इसे कई केंद्रों पर उपलब्ध नहीं कराया जाता है। केन्द्र में कार्यरत कर्मचारी बताते हैं कि बच्चों को घर से लाना और फिर उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाने की ज़िम्मेदारी भी हमारी होती है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन जाने से पहले यहां साफ़-सफाई भी करनी होती है। ये कहती हैं कि राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को बिजली, पानी और शौचालय की सुविधाओं से पूर्ण करने के फैसले से हमें काफी ख़ुशी हो रही है, विभाग द्वारा इस पर जल्द अमल किया जाना चाहिए। ताकि न केवल बच्चों बल्कि हमें भी इससे काम करने में आसानी होगी। आंगनबाड़ी केंद्र के कर्मी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 3 साल की आयु के बच्चे और 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों का नामांकन किया जाता है।

जहां सरकार की ओर से बच्चों के बैठने के लिए कुर्सियां, मेज़ और खेलने के लिए कुछ खिलौने उपलब्ध कराये जाते हैं। लेकिन अधिकतर भवन में पानी की सुविधा नहीं है। ऐसे में आसपास के नल से पानी भर कर लाया जाता है। वह बताती हैं कि अक्सर किराए के भवन में केंद्र केवल एक कमरों का मिल पाता है, जिसमें बच्चों को बैठाने के साथ साथ रसोई के सामान भी रखे जाते हैं। रसोई के लिए अलग कमरे की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उसी कमरे में बच्चों के लिए नाश्ता और भोजन पकाने की मज़बूरी होती है, जो काफी खतरनाक भी है, हमें बहुत सावधानी से खाना पकाना होता है। 

वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती है कि केंद्र नामित बच्चों को दलिया और नाश्ता, गर्म भोजन खिलाई जाती है वहीं महिला और किशोरियो को आयरन और कैल्शियम की दवाइयां दी जाती हैं।वह बताती हैं कि प्राय अनेक जगह आंगनबाड़ी केंद्र के नाम पर केवल भवन का निर्माण किया गया है। न तो इसमें पानी और न ही शौचालय की व्यवस्था है। सुविधाओं के बिना काम करना बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हम प्रतिदिन इस चुनौती का सामना करने को तैयार रहते हैं। अब सरकार ने जब आंगनबाड़ी केंद्रों की सुध ली है और यहां सुविधाओं को बेहतर बनाने की बात कही है तो यह हमारे काम में नई ऊर्जा का संचार कर देगी। सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन या टैबलेट के साथ साथ भवनों को बुनियादी सुविधाओं से लैस करने की पहल न केवल इसके कामकाज को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा बल्कि राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »