भारत के प्रधानमंत्रियों की शक्ति और नेतृत्व क्षमता : पीएम पावर

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उमेश कुमार सिंह

‘पीएम पावर’ पुस्तक भारत के प्रधानमंत्रियों की शक्तियों, नेतृत्व शैली और उनके प्रशासनिक निर्णयों का विश्लेषण करती है। यह पुस्तक न केवल प्रधानमंत्री पद की संवैधानिक और प्रशासनिक महत्ता को उजागर करती है, बल्कि देश के शीर्ष नेताओं के योगदान और उनके शासनकाल में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों पर भी प्रकाश डालती है। अमित कुमार और ऋतु श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक जो डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित हुई है। भारतीय राजनीति के ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

भारत का प्रधानमंत्री पद विश्व के अन्य लोकतांत्रिक देशों की तुलना में विशेष महत्व रखता है। संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री की शक्ति, उनके निर्णय लेने की क्षमता और उनकी जवाबदेही की जटिलताओं को समझाने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। ब्रिटेन और जर्मनी जैसे संसदीय देशों से तुलना करते हुए, यह पुस्तक यह भी बताती है कि भारत का प्रधानमंत्री अमेरिका या रूस के राष्ट्रपति की तरह पूर्ण कार्यकारी स्वतंत्रता नहीं रखता।

पुस्तक मेले में पाठक लेखक से हस्ताक्षर करवाते हुए
पुस्तक मेले में पाठक लेखक से हस्ताक्षर करवाते हुए

इस पुस्तक का सम्पादक अमित कुमार ने किया है जो पिछले 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र अपना जोहर दिखा रहे हैं। पत्रकारिता के अलावा लेखनकार्य से भी जुड़े हुए है अमित कुमार की अबतक चार किताबे प्रकाशित हो चुकी है। जिसमें से एक पुस्तक पत्रकारिता पर आधारित ‘जनसम्पर्क’ है जिसे  दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी की ओर से ‘साहित्यकृति’ सम्मान भी मिल चुका है। इसके अलावा  “ वो 17 दिन ” क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के ऊपर एक किताब ‘सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी’ के नाम से लिखी है। और इस कड़ी में एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुकी है।  अमित ने  टीवी सीरियल में भी हाथ आजमाया है। हिंदी के पहले उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ का दूरदर्शन के लिए सीरियल में रूपांतरण किया है। इस सीरियल के संवाद और स्क्रीन प्ले भी लिखे हैं। पत्रिकारिता के फील्ड में  इन्होने खूब नाम कमाया है  खून की कालाबाजारी, प्रदूषण खासकर ‘लाइटपॉल्यूशन’जिसके बाद आम आदमी को पता चला कि रौशनी से भी प्रदूषण फैलता है जिससे हमारी इकोलॉजी पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है। 

अमित कुमार रंगमंच से भी लंबे समय तक जुडे रहे।  यही वजह है कि पत्रकारिता के फील्ड में कदम रखने के बाद भी उन्होंने  रंगमंच को नही छोड़ा और अपनी लेखनी के माध्यम से रंग समीक्षा जारी रखी। साथ ही राष्ट्रीय सहारा में लंबे समय तक राजधानी में मंचित होने वाले नाटकों के लिए ‘मंडी हाउस’ शीर्षक से नियमित रूप से एक साप्ताहिक कॉलम लिखे हैं। इन्होने हमेशा प्रमुखता में स्वास्थ और पर्यावरण को ही रखा है। 

अमित कुमार ने इस पुस्तक को व्यापक शोध और संदर्भ सामग्री के आधार पर लिखा है। उन्होंने विभिन्न प्रधानमंत्रियों की नीतियों और कार्यशैली का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए इसे एक समग्र दृष्टिकोण में प्रस्तुत किया है। उनके साथ सहलेखिका ऋतु श्रीवास्तव ने भी इस विषय पर गहन अध्ययन किया है। यह पुस्तक उनकी राजनीतिक सोच, प्रशासनिक रणनीतियों और जनहितैशी  योजनाओं को तर्कसंगत ढंग से विश्लेषित करती है।

लेखक अमित कुमार का मानना है कि भारत के प्रधानमंत्री के बारे में हर भारतीय नागरिक कुछ न कुछ जानता है, लेकिन उनकी वास्तविक शक्ति, सीमाएँ और कार्यप्रणाली को व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझना जरूरी है। स्कूल-कॉलेजों में अक्सर पूछा जाने वाला प्रश्न ‘यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता’ इस पुस्तक की प्रेरणा बना। लेखक ने स्वयं को एक परीक्षार्थी के रूप में रखकर, हर प्रधानमंत्री के कार्यकाल और उनकी नीतियों का सूक्ष्म अध्ययन किया है।

पुस्तक में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के शासनकाल को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। इसमें इंदिरा गांधी की दृढ़ता, राजीव गांधी की तकनीकी दृष्टि, अटल बिहारी वाजपेयी की उदार नीति, मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की विशिष्टताओं को प्रभावशाली तरीके से वर्णित किया गया है। पंडित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत की नींव रखने और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से औद्योगीकरण को बढ़ावा देने में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।

इंदिरा गांधी उनकी दृढ़ नेतृत्व क्षमता और आपातकाल जैसे कठिन निर्णयों को इस पुस्तक में विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। राजीव गांधी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार क्रांति की शुरुआत के लिए उन्हें याद किया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी परमाणु परीक्षण, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम और आर्थिक सुधारों के लिए उनकी नीति को पुस्तक में विस्तार से समझाया गया है।

वो 17 दिन
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मोदी की विदेश नीति
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नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका के लिए उनके नेतृत्व का विशेष उल्लेख किया गया है। पुस्तक में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। उनकी जमीनी पकड़, साहसिक निर्णय लेने की क्षमता और आधुनिक प्रचार रणनीतियों का प्रभावशाली विश्लेषण किया गया है। मोदी सरकार की कुछ प्रमुख नीतियों जैसे नोटबंदी, जीएसटी, धारा 370 का उन्मूलन और राम मंदिर निर्माण पर भी विस्तृत चर्चा की गई है। उनके चुनाव प्रचार में डिजिटल मीडिया के उपयोग और वैश्विक स्तर पर उनकी कूटनीति की सफलता को भी रेखांकित किया गया है।

पुस्तक में भारत की राजनीतिक प्रणाली के बदलावों और गठबंधन सरकारों के प्रभावों का भी गहन अध्ययन किया गया है। यह बताता है कि किस प्रकार समय-समय पर देश में राजनीतिक समीकरण बदले और किस प्रकार गठबंधन राजनीति ने प्रधानमंत्री की शक्ति और निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित किया।

पीएम पावर पुस्तक भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री पद के महत्व को न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से बल्कि समकालीन परिप्रेक्ष्य में भी समझने में सहायक सिद्ध होती है। यह पुस्तक पाठकों को भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली, प्रशासनिक निर्णयों और नेताओं की कार्यशैली को करीब से जानने का अवसर प्रदान करती है।

भारतीय राजनीति के व्यापक विश्लेषण के साथ ऐतिहासिक संदर्भों की बेहतरीन प्रस्तुति। प्रमुख प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल और उनकी नीतियों की गहरी पड़ताल। सरल और प्रभावशाली भाषा में लिखी गई, जिससे हर वर्ग के पाठक इसे आसानी से समझ सकते हैं। समसामयिक राजनीतिक मुद्दों और वैश्विक राजनीति के साथ भारत की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन।

अगर आप भारतीय राजनीति, प्रशासनिक प्रणाली और प्रधानमंत्री पद की शक्ति को गहराई से समझना चाहते हैं, तो ‘पीएम पावर’ आपके लिए एक बेहतरीन पुस्तक है। यह पुस्तक न केवल राजनीतिक विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी उपयोगी है, जो भारत के नेतृत्व और उसकी नीतियों को समझना चाहते हैं।

‘पीएम पावर’ भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने के लिए एक प्रभावशाली पुस्तक है। यह प्रधानमंत्री की भूमिका, उनकी नीतियों और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के विकास को एक विस्तृत ऐतिहासिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है। अमित कुमार और ऋतु श्रीवास्तव की यह कृति पाठकों को भारत की सत्ता के शीर्ष पद की शक्ति, जिम्मेदारियों और चुनौतियों से अवगत कराती है। यह पुस्तक निश्चित रूप से राजनीति में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए एक मूल्यवान साबित होगी।

उमेश कुमार सिंह
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