यह पुस्तक महिला सशक्तिकरण पर आधारित एक गहन और विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें महिलाओं के अधिकार, उनकी सामाजिक स्थिति और सशक्तिकरण के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों को उजागर किया गया है। यह महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में उनके संघर्षों, उपलब्धियों और चुनौतियों को बखूबी प्रस्तुत करती है।

लेखक एवं संपादन
डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का संपादन कुमार राजीव रंजन सिंह ने किया है, जबकि संपादन कार्य अमित कुमार ने संभाला है।
कुमार राजीव रंजन सिंह:
वे छात्र जीवन से ही राजनीतिक और राष्ट्रीय मुद्दों में गहरी रुचि रखते थे, जिससे वे राष्ट्रीय राजनीति में गहराई से जुड़े। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा। वे ‘यंग इंडिया’ से जुड़े और 2022 में ‘इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ (ICPRD) की स्थापना की।
अमित कुमार:
वे पिछले 25 वर्षों से पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘जनसंपर्क,’ ‘पीएम पावर,’ ‘मोदी की विदेश नीति,’ ‘सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी,’ और एक कविता संग्रह शामिल हैं।



पुस्तक की विषयवस्तु
1. शिक्षा और महिला सशक्तिकरण
शिक्षा को महिला सशक्तिकरण का मूल आधार बताया गया है। यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाती है, आत्मविश्वास बढ़ाती है और उन्हें निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।
2. आर्थिक स्वतंत्रता और महिलाओं की भागीदारी
पुस्तक में बताया गया है कि वित्तीय स्वतंत्रता महिलाओं के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता को बढ़ाती है। सरकारी योजनाओं और गैर-सरकारी संगठनों की पहल का भी उल्लेख किया गया है।

3. महिला सशक्तिकरण और सामाजिक विकास
महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के समग्र विकास का महत्वपूर्ण पहलू है। इस संदर्भ में विभिन्न सरकारी योजनाओं का विवरण दिया गया है:
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना
- महिला सम्मान बचत पत्र योजना
- प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
- महिला हेल्पलाइन योजना
- सेना में महिलाओं के लिए परमानेंट कमीशन
- महिला स्टार्टअप स्कीम और मुद्रा योजना
- आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक फ्री इलाज
4. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लोकतांत्रिक समाज के लिए अनिवार्य है। पुस्तक में कई महिला नेताओं के उदाहरण देकर यह दर्शाया गया है कि उन्होंने समाज में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
5. सामाजिक समानता और मानसिकता में बदलाव
महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए केवल कानून पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि मानसिकता में बदलाव भी आवश्यक है। पुस्तक इस पर भी जोर देती है कि समाज को महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा।
6. चुनौतियाँ और समाधान
महिला सशक्तिकरण की राह में अभी भी कई बाधाएँ मौजूद हैं:
- रूढ़िवादी सोच
- घरेलू हिंसा
- लैंगिक भेदभाव
- कार्यस्थलों पर असमानता
इन सभी चुनौतियों को विस्तार से समझाते हुए उनके संभावित समाधान भी प्रस्तुत किए गए हैं।
पुस्तक की भाषा सरल और प्रभावी है, जिससे हर वर्ग के पाठक इसे आसानी से समझ सकते हैं। तथ्यात्मक जानकारी और वास्तविक उदाहरणों के कारण यह और भी रोचक बन जाती है।
कुल मिलाकर, ‘महिला सशक्तिकरण: सम्मान, समृद्धि और सुदृढ़ता’ एक प्रेरणादायक और जागरूकता बढ़ाने वाली पुस्तक है। यह महिला सशक्तिकरण के प्रति रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए उपयोगी है और इस दिशा में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
