अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 353वीं शासी निकाय बैठक: भारत की सशक्त भागीदारी
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 353वीं शासी निकाय बैठक 10 मार्च से 20 मार्च, 2025 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित की जा रही है। इस महत्वपूर्ण बैठक में ILO के त्रिपक्षीय घटक – सरकारों, श्रमिकों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधि श्रम क्षेत्र और ILO के शासन से जुड़े प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा कर रहे हैं।
भारत सरकार की ओर से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुश्री सुमिता डावरा के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक में भाग लिया। भारत ने वैश्विक स्तर पर श्रम कल्याण, सामाजिक न्याय और गुणवत्तापूर्ण रोजगार को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को प्रस्तुत किया और विभिन्न मुद्दों पर सार्थक हस्तक्षेप किए।

सामाजिक विकास के लिए दूसरा वैश्विक शिखर सम्मेलन
भारत ने इस वर्ष के अंत में कतर के दोहा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित सामाजिक विकास हेतु द्वितीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन का समर्थन किया। यह सम्मेलन सामाजिक विकास के 2030 एजेंडा को सुदृढ़ करने का कार्य करेगा।
भारत ने अपने सामाजिक सुरक्षा कवरेज को दोगुना कर 48.8% तक पहुंचाने की सफलता को उजागर किया, जिससे वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कवरेज में 5% से अधिक की वृद्धि हुई है। भारत की प्रमुख संस्थाएं और योजनाएं जैसे:
- EPFO (7.37 करोड़ योगदानकर्ता सदस्य)
- ESIC (14.4 करोड़ लाभार्थी)
- ई-श्रम पोर्टल (30.6 करोड़ पंजीकृत असंगठित श्रमिक)
- पीएम जन आरोग्य योजना (60 करोड़ लाभार्थी)
- लक्षित पीडीएस (81.35 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा)
इन पहलों को वैश्विक स्तर पर सराहा गया।
ILO का निष्पक्ष प्रवासन एजेंडा और भारत की भूमिका
भारत, जो प्रवासी श्रमिकों के सबसे बड़े मूल देशों में से एक है और विश्व में सबसे अधिक धन प्रेषण प्राप्त करने वाला देश है, ने कौशल-आधारित प्रवासन मार्गों को मजबूत करने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत ने ILO से प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय श्रम प्रवासन और सामाजिक सुरक्षा समझौतों में तेजी लाने की अपील की।
ILO के सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन के तहत भारत द्वारा प्रवासन पर पहला त्रिपक्षीय वैश्विक मंच आयोजित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया गया।
पर्यावरण संरक्षण: रसायनों से संबंधित वैश्विक रूपरेखा
भारत ने रसायनों और कचरे से होने वाले नुकसान को रोकने तथा श्रमिकों, समुदायों और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने:
- कारखाना अधिनियम, 1948 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल स्थिति संहिता, 2020 को लागू किया।
- विकसित भारत 2047 कार्य योजना के तहत बड़ी औद्योगिक इकाइयों में कार्यस्थल सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
- ILO द्वारा बॉन घोषणा के बाद किए गए प्रयासों की सराहना की।
ILO के महानिदेशक के साथ भारत की द्विपक्षीय चर्चा
सुश्री सुमिता डावरा ने ILO के महानिदेशक श्री गिल्बर्ट एफ. हुंगबो से मुलाकात की और उन्हें सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन पहल के लिए बधाई दी। उन्होंने ILO से सामाजिक सुरक्षा कवरेज का आकलन करते समय वस्तुगत लाभों पर विचार करने की अपील की।
ILO महानिदेशक ने:
- भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना की।
- नई दिल्ली में आयोजित “सामाजिक न्याय पर क्षेत्रीय वार्ता” की सफलता को रेखांकित किया।
- भारत को आगामी सामाजिक न्याय से संबंधित वार्षिक फोरम में भाग लेने और भारतीय उद्योग की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया।
ILO के साथ भारत का सहयोग और भविष्य की योजनाएं
ILO ने भारत द्वारा व्यवसायों के अंतरराष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण के विकास पर वित्तीय सहायता देने की सराहना की। यह पहल भारतीय युवाओं के लिए वैश्विक रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद करेगी।
भारत ने ILO के साथ न्यूनतम मजदूरी निर्धारण, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के कल्याण, और सम्मानजनक कार्य से संबंधित साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के उप निदेशक श्री राकेश गौड़ भी शामिल थे।
भारत ने ILO की 353वीं बैठक में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई और वैश्विक श्रम कल्याण एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया। भारत की नीतियां, योजनाएं और वैश्विक सहयोग के प्रयास न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सामाजिक सुरक्षा और श्रम सुधारों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं।