नई दिल्ली के भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में आज केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने “भारत नवाचार शिखर सम्मेलन – टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान” का उद्घाटन किया। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (डीएचआर-आईसीएमआर) और केंद्रीय टीबी प्रभाग (सीटीडी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है और इस दिशा में देश की प्रगति को और गति देना है।

भारत में टीबी उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक प्रगति
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इस अवसर पर टीबी नियंत्रण में भारत की अभूतपूर्व प्रगति और नवाचार की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में पिछले दशक में बड़ा बदलाव आया है। इस परिवर्तन में नवाचारों और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी भूमिका रही है।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत भारत ने 2015 में 15 लाख छूटे हुए मामलों को घटाकर 2023 में 2.5 लाख तक लाने में सफलता हासिल की है। इसके अलावा, 2023 और 2024 में 25.5 लाख और 26.07 लाख टीबी मामलों की अधिसूचना की गई, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 टीबी मामलों की दर 2023 में घटकर 195 हो गई है, जो 17.7% की गिरावट को दर्शाती है। वहीं, टीबी से होने वाली मौतों की संख्या भी 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से घटकर 2023 में 22 हो गई है।

भारत में टीबी उपचार का दायरा भी 2015 में 53% से बढ़कर 2023 में 85% हो गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार और समाज के सामूहिक प्रयासों के कारण टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
नवीन पहल और उन्नत उपचार तकनीकें
एनटीईपी के तहत नई दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार व्यवस्था को लागू किया गया है, जिससे दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों की उपचार सफलता दर 2020 में 68% से बढ़कर 2022 में 75% हो गई है।
इसके अलावा, बेहतर और प्रभावी उपचार के लिए एमबीपीएएल (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड 300mg) व्यवस्था को अपनाया गया है। इस व्यवस्था की प्रभावशीलता 80% अधिक है और उपचार अवधि को 6 महीने तक कम किया जा सकता है।
टीबी रोगियों के पोषण को बेहतर बनाने के लिए एनटीईपी के तहत ऊर्जा सघन पोषण सहायता (ईडीएनएस) योजना शुरू की गई है, जिसमें कुपोषित टीबी रोगियों को उपचार के पहले दो महीनों में दवा के साथ पोषण सहायता दी जाती है।

नि-क्षय मित्र पहल और वित्तीय सहायता में वृद्धि
टीबी उन्मूलन के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए “नि-क्षय मित्र” पहल शुरू की गई है। इसके तहत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को इस मिशन से जोड़ा गया है।
सरकार ने 1 नवंबर 2024 से टीबी रोगियों को पोषण सहायता के लिए “नि-क्षय पोषण योजना” (एनपीवाई) के तहत वित्तीय सहायता को 500 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह प्रति मरीज कर दिया है।
100 दिवसीय सघन अभियान: एक और बड़ा कदम
भारत सरकार ने 7 दिसंबर 2024 से “टीबी मुक्त भारत-100 दिवसीय सघन अभियान” की शुरुआत की, जिसमें 455 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों को शामिल किया गया। इस अभियान के तहत, कमजोर आबादी में सक्रिय टीबी मामलों का पता लगाना, शीघ्र निदान, त्वरित उपचार शुरू करना और पोषण संबंधी देखभाल उपलब्ध कराना शामिल है। इस अभियान की रिपोर्ट 24 मार्च 2025 को विश्व टीबी दिवस पर जारी की जाएगी।
आईसीएमआर की तकनीकी क्रांति: एआई और अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग
इस शिखर सम्मेलन में टीबी के शीघ्र पहचान और उपचार के लिए आधुनिक तकनीकों और उपकरणों पर भी जोर दिया गया।
- स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरण: आईसीएमआर ने तीन स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरण विकसित किए हैं, जो कम वजन, पोर्टेबल और कम विकिरण जोखिम वाले हैं।
- डीप-सीएक्सआर (AI-आधारित एक्स-रे विश्लेषण प्रणाली): यह अहमदाबाद के प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान और आईसीएमआर द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक प्रणाली है, जो टीबी के संभावित रोगियों की पहचान में तेजी लाएगी।
- सीवाईटीबी स्किन टेस्ट: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित यह टेस्ट सुप्त टीबी का पता लगाने के लिए सबसे प्रभावी समाधान है।
- पाथो डिटेक्ट टीएम: यह स्वदेशी आणविक नैदानिक एनएएटी परीक्षण है, जो एक साथ 32 परीक्षण कर सकता है।
- क्वांटिप्लस एमटीबी फास्ट डिटेक्शन किट: भारत में विकसित दुनिया की पहली स्वदेशी ओपन-सिस्टम आरटी-पीसीआर किट, जो 86% संवेदनशीलता और 96% विशिष्टता के साथ काम करती है।
टीबी उन्मूलन के लिए भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने टीबी उन्मूलन में जबरदस्त सफलता हासिल की है।” उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में भारत कुष्ठ रोग, लिम्फेटिक फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और कालाजार जैसी बीमारियों को भी समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने टीबी के निदान और उन्मूलन के लिए एआई की बढ़ती भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि “ऐसी तकनीकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्हें बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके।”
शिखर सम्मेलन में नवाचारों की शानदार प्रदर्शनी
डेढ़ दिन के इस सम्मेलन में 200 से अधिक अभिनव समाधान प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इसमें टीबी की त्वरित जांच के लिए हैंडहेल्ड एक्स-रे, एआई-आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स और नई आणविक परीक्षण तकनीकें शामिल हैं।
इसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान क्षेत्रों के 1,200 से अधिक प्रतिभागियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर गेट्स फाउंडेशन के ग्लोबल हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. ट्रेवर मुंडेल और यूनियन के प्रो. गाइ मार्क्स सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया।
भारत नवाचार शिखर सम्मेलन 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वैज्ञानिक प्रगति और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से, भारत एक टीबी मुक्त भविष्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।