डॉ. घनश्याम सिंह पी जी कॉलेज,सोयेपुर में तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी ”कला दर्शन” का समापन समारोह आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा(अध्यक्ष,राज्य ललित कला अकादमी,उ.प्र.) ,विशिष्ट अतिथि महाविद्यालय के प्रबंधक श्री नागेश्वर सिंह तथा प्रचार्य डॉ. आनंद सिंह की उपस्थिति रही. प्रदर्शनी का संचालन ललित कला विभागाध्यक्ष रवि वर्मा के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम में डॉ. विश्वकर्मा ने कहा कि जब मनुष्य कोई कलाकृति बनाता है, तो वह उसे नया जन्म देता है. वह स्वभाविक रूप से मां का रूप धारण कर लेता है. यहां जितनी भी कलाकृतियां हैं, सबों में कुछ न कुछ संदेश है. महाविद्यालय के शिक्षकों ने निश्चित रूप से विद्यार्थियों की तूलिका में रंग भरने का अभूतपूर्व काम किया है. कला बहुत कठिन साधना होती है. कला ईश्वर की साधना के समान है. जब कलाकार कुचिका को अपने हाथ में रखता है, तो वह अपनी कल्पना और सृजनशीलता से नयी-नयी चीजों को जन्म देता है. उन्होंने महाविद्यालय प्रबंधन से इस तरह की कला प्रदर्शनी का आयोजन समय-समय पर करते रहने का आग्रह किया। अन्य वक्तओं ने कला के क्षेत्र में ललित कला के शिक्षकों के लगाव और बच्चों में इसके प्रति जागरुकता लाने के प्रयास की सराहना की.

महाविद्यालय के प्रबंधक श्री नागेश्वर सिंह ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कला न केवल दृष्टिकोण को आकार देती है, बल्कि समाज को भी समृद्ध बनाती है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों में किसी न किसी रचनात्मक शौक को विकसित करने के महत्व पर बल दिया, यह कहते हुए कि यह उन्हें आगे आने वाले तनावपूर्ण जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करने में सहायक होगा।
महाविद्यालय के प्रचार्य डॉ. आनंद सिंह ने कहा कि यह प्रदर्शनी रंगों के माध्यम से बहुरंगी समाज तथा समाज की समस्याओं को उजागर ही नहीं करती बल्कि युवा कलाकारों की पारखी दृष्टि से भी अवगत कराती है।विद्यार्थीयों के साथ-साथ उन्होंने शिक्षकों को भी बधाई दी।

कार्यक्रम का संचालन हर्षिता एवं आस्था ने किया तथा धन्यवाद संजना ने किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. गौरव तिवारी,डॉ. देवेंद्र पांडेय,कुलदीप यादव,कृष्णा यादव सहित विद्यार्थी कलाकार प्रियांशी सिंह,सिया द्विवेदी,शाहीन परवीन,आंचल गुप्ता,अंकिता प्रजापति आदि की उपस्थिति रही।