अंतर्विद्यालयी युवा संसद ‘विमर्श – 3.0 का संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल कोइराजपुर में भव्य और ऐतिहासिक आयोजन
वाराणसी : ज्ञान, तप और अध्यात्म की धरती वाराणसी ने एक अद्भुत दृश्य देखा, जब संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल, कोइराजपुर का विशाल प्रांगण संसदीय संवाद और बौद्धिक बहस के रंग में रंग गया। अवसर था अंतर्विद्यालयी युवा संसद ‘विमर्श 3.0’ का, जिसने न केवल विद्यालय, बल्कि पूरे जनपद के शैक्षिक परिदृश्य को युवा शक्ति और नव विचारों से अवगत कराया।
इस तीसरे संस्करण के ‘विमर्श’ में 1000 से अधिक प्रतिभागी छात्र-छात्राएँ शामिल हुए। इसमें न केवल वाराणसी, बल्कि आस-पास के के विभिन्न प्रतिष्ठित विद्यालयों के छात्र भी सम्मिलित थे। विद्यालय का प्रांगण दो दिनों तक एक जीवंत लोकतांत्रिक मंच में बदल गया, जहाँ भारत के भविष्य के ये नवोदित नेता और वक्ता, संसदीय परंपराओं का अनुकरण करते हुए अपने-अपने तर्क और दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे थे।

कार्यक्रम के औपचारिक शुभारंभ के बाद विद्यालय के सह निदेशक श्री आयुष्मान सिंह ने आगत अतिथियों का अभिवादन करते हुए कहा कि यह आयोजन बदलते भारत में दृष्टिकोण के बदलाव का माध्यम है, हम विद्यार्थियों में राजनीति के सही मायने और उसकी सही समझ विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं।
आयोजन के अंतर्गत 40 से अधिक निर्णायक सदस्य सक्रिय भूमिका में रहे, एवं 14 से अधिक संसदीय समिति चर्चाएँ संचालित की गईं। प्रत्येक सत्र में बच्चों ने शिक्षा सुधार, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, डिजिटल भारत, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर न केवल तथ्यों के साथ भाषण दिया, बल्कि विपक्ष और पक्ष के बीच तर्क-वितर्क का अद्भुत संतुलन भी प्रस्तुत किया। उनके वक्तव्यों में कहीं लोकनीति की झलक थी, तो कहीं नए विचारों की दृष्टि।
आज के आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं वाराणसी के लोकप्रिय जननेता दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा-“विमर्श जैसे आयोजन हमारी युवा पीढ़ी को न केवल नेतृत्व और वक्तृत्व का अभ्यास कराते हैं, बल्कि उन्हें यह भी सिखाते हैं कि लोकतंत्र का असली सौंदर्य संवाद और विचार-विनिमय में है। इन बच्चों में भविष्य का सशक्त भारत झलकता है।”
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रख्यात लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक शांतनु गुप्ता ने विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति क्षमता और शोधपूर्ण दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए कहा-
“भारत का लोकतंत्र तभी सुदृढ़ होगा, जब उसकी युवा पीढ़ी तथ्यों पर आधारित बहस और रचनात्मक संवाद सीखेगी। आज इस मंच पर जो विमर्श हुआ, वह भविष्य के भारत का सार्थक संकेत है।” इसी अवसर पर विद्यालय की वार्षिक पत्रिका युगधर्म का विमोचन भी मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के कर – कमलों से हुआ।

आयोजन का समापन एक भव्य पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जहाँ दोनों अतिथियों ने विजेता प्रतिभागियों को ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। विजेताओं के चेहरे पर प्रसन्नता और गर्व की चमक देखने लायक थी।
विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ नीलम सिंह ने इस अवसर को विद्यालय की शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि का महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि -“युवा संसद हमारे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, संवाद कला और नेतृत्व का अद्भुत समन्वय स्थापित करती है। यह आयोजन बच्चों को केवल कक्षा की पढ़ाई तक सीमित नहीं रखता, बल्कि जीवन के व्यावहारिक और लोकतांत्रिक मूल्यों से जोड़ता है।”
विद्यालय की निदेशिका डा० वंदना सिंह ने विमर्श 3.0 को विद्यालय परिवार के लिए गर्व का क्षण बताते हुए कहा कि यह आयोजन विद्यार्थियों में चिंतनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का संचार करेगा। इन दो दिनों में विद्यालय केवल एक शैक्षिक संस्थान न रहकर एक लोकतांत्रिक प्रयोगशाला बन गया, जहाँ विचार, तर्क, प्रश्न और समाधान एक साथ गूंज रहे थे। यह आयोजन उन सभी मूल्यों का उत्सव था, जिन पर भारत का लोकतंत्र खड़ा है।
युवाओं के मन में नेतृत्व का बीज रोपने वाला ‘विमर्श-3.0’ यह सिद्ध करता है कि जब युवा संवाद की कला सीख लेते हैं, तो लोकतंत्र का भविष्य और भी उज्ज्वल हो जाता है।