-राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 01 से 07 सितम्बर-
हमारे देश में हर वर्ष 1 से 7 सितम्बर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वस्थ आहार, संतुलित पोषण, और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करना है। यह सप्ताह भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित पोषण अभियान का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत अमेरिका में 1975 में हुई थी, लेकिन भारत में इसे पहली बार 1982 में मनाया गया। उस समय भारत में कुपोषण और कुपोषण से जुड़ी बीमारियों की दर काफी अधिक थी। इसके समाधान हेतु सरकार ने यह सप्ताह लोगों को पोषण संबंधी जानकारी देने के लिए आरंभ किया।
इस सप्ताह का खासकर यह उद्देश्य है। संतुलित आहार की महत्ता को समझाना। कुपोषण, अल्पपोषण और अतिपोषण जैसे मुद्दों पर जनजागरूकता फैलाना। बच्चों, महिलाओं और वृद्धों के पोषण संबंधी विशेषआवश्यकता पर ध्यान देना। स्वास्थ्यकर्मियों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना।

स्थानीय खाद्य पदार्थों की उपयोगिता को बढ़ावा देना। सामान्य तौर पर देखें तो पोषण का तात्पर्य ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से है जो हमारे शरीर को आवश्यक ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज आदि प्रदान करें। संतुलित पोषण हमें न केवल बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, बल्कि हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक होता है।
जहाँ तक देश की बात करें तो भारत एक विकासशील देश है और यहां पोषण से संबंधित कई समस्याएँ अभी भी मौजूद हैं जैसेबच्चों में कुपोषणः यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषित हैं।
महिलाओं में एनीमिया (रक्त की कमी): विशेषकर गर्भवती महिलाओं में यह समस्या सामान्य है। अज्ञानता और गरीबीः सह।अज्ञानता और गरीबीः सही जानकारी और संसाधनों की कमी के कारण लोग संतुलित आहार नहीं ले पाते।जंक फूड का बढ़ता चलनः शहरी क्षेत्रों में फास्ट फूड की आदत भी पोषण असंतुलन को जन्म देती है। इन्हीं सब समस्याओं से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य 2030 तक भारत को कुपोषण मुक्त बनाना है। इसके तहत निम्नलिखित प्रयास किए जा रहे हैं:आंगनवाड़ी केंद्रों की सक्रिय भागीदारी। ‘पोषण ट्रैकर’ जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग, जन भागीदारी के माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन एवं ‘पोषण माह’ और ‘पोषण पर्व’ जैसे आयोजन किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की गतिविधियों में इस सप्ताह के दौरान स्कूलों, कॉलेजों, आंगनवाड़ी केंद्रों, और स्वास्थ्य केंद्रों में कई प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं:,पोषण प्रदर्शनी, स्वास्थ्य जांच शिविर, खाद्य मेला, संबंधित जानकारी और संसाधनों की रंगोली, पोस्टर आदि प्रतियोगिता सहित जनजागरूकता रैलियाँ, स्वस्थ रेसिपी प्रदर्शनों का आयोजन किया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें सरकार, समाज, संस्थाएँ और प्रत्येक नागरिक की सहभागिता आवश्यक है। यदि हर व्यक्ति अपने भोजन और पोषण को लेकर सजग हो जाए, तो भारत को एक स्वस्थ और सशक्त राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता।
“सही पोषण, देश रोशन”
“पोषण ही जीवन है।। “
यह बड़े गर्व की बात है”की छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय पोषण माह 2024 में देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया, जिसमें विभाग ने कुल 1.33 करोड़ से अधिक गतिविधियाँ आयोजित कीं है। जिनमें जिलागत गतिविधियों में:दुर्ग: 8.77 लाख,जशपुरः 8.70 लाख,रायपुरः 8.44 लाख,गरियाबंद: 7.92 लाख,बलरामपुर: 7.70 लाख आयोजित गतिविधियों के साथ शीर्ष स्थानों पर रहे हैं। प्रति आंगनबाड़ी केंद्र औसत गतिविधियां की दृष्टि सेः दुर्ग प्रथम, गरियाबंद द्वितीय, रायपुर तृतीय, धमतरी चतुर्थ, कबीरधाम पाँचवाँ स्थान पर रहे।
प्रमुख गतिविधियाँ और पहल वजन त्यौहार: लगभग 23 लाख बच्चों (0-6 वर्ष) का वजन और लंबाई मापी गई, डेटा महिला एवं बाल विकास विभाग के मोबाइल ऐप पर दर्ज किया गया।. थीम आधारित अभियान और रोडमैप:इस माह की थीमें थींः एनीमिया, वृद्धि निगरानी, पूरक पोषण आहार, “पोषण भी पढ़ाई भी”, गुणवत्ता, पारदर्शिता व तकनीकी उपयोग, समग्र पोषण। इन आधार पर राज्य, जिला, विकासखंड व आंगनबाड़ी स्तर तक दिनांकवार गतिविधि कैलेंडर तैयार किया गया। जागरूकता और प्रतियोगिताएँ: एनीमिया कैम्प, स्वास्थ्य जांच शिविर, वीएचएसएनडी दिवस, आईवाईसीएफ कार्यक्रम, भाषण, निबंध, व्यंजन प्रतियोगिता, दीवार लेखन, चित्रकला, शपथ ग्रहण जैसी गतिविधियाँ संचालित की गईं।
सहयोगी विभागों की सहभागिता: कृषि विभागः मिलेट आधारित पौष्टिक भोजन शिविर, जैविक उत्पाद वृद्धि प्रचार, स्वास्थ्य विभागः शिविर एवं जागरूकता कार्यक्रम, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभागः जल संरक्षण एवं थीम आधारित अभियान और रोडमैप ,वन विभागः “पेड़ मां के नाम” वृक्षारोपण अभियान,आयुष विभागः योग एवं जीवनशैली प्रचार,खाद्य विभागः उचित मल्य दकानों पर पौष्टिक आहार प्रचार, ग्राम पंचायतें पोषण विषय पर विशेष चर्चाएँ।
सब मिलाकर, विभागों ने मिलकर पोषण के साथ स्वच्छता, जल, पर्यावरण आदि विषयों को व्यापक पैमाने पर जन-जन तक पहुंचाया। कई जिलों (जैसे महासमुंद) में पोषण रैली, सोहर गीत, पोषण गान आदि सांगीतिक और सांस्कृतिक माध्यमों से जागरूकता बढ़ाई गई।
मशाल रैली, पोषण सभा, स्वच्छता अभियान, व्यंजन-कलात्मक प्रतियोगिताएं, खेलकूद में पोषण संदेश जैसे इवेंट्स आयोजित किए गए।रायगढ़ जिले ने “रेडी टू ईट” (तैयार भोजन) उत्पादन शुरू किया, जो महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित है। यह 6 जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों को पौष्टिक भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।इस पहल से महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिल रही है और बच्चों को गुणवत्ता अनुपूरक आहार उपलब्ध हो रहा है। इस पहल से महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिल रही है और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण अनुपूरक आहार उपलब्ध हो रहा है।
अब हम बिलासपुर की बात करें तो इस जिले में राष्ट्रीय पोषण माह की गतिविधियों में 1. मातृवंदना सप्ताह (1-7 सितंबर)पोषण वाटिका के प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। पोषण थीम पर आधारित फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता हुई।आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों तथा घरों में पोषण वाटिका विकसित करने हेतु सामुदायिक सहयोग से वृक्षारोपण कार्य किया गया।जनजागरूकता और प्रचार-प्रसार व पौष्टिक आहार संबंधी नारा लेखन प्रतियोगिता का आयोजन महिलाओं और बालिकाओं के लिए किया गया।पोला त्यौहार में महिलाओं द्वारा पौष्टिक व्यंजन प्रदर्शनी में भागीदारी रही। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समुदाय को पोषण योजनाओं की जानकारी दी गई और जागरूक किया गया। मातृशक्ति और मातृवंद योजना का प्रचार: मातृवंदना सप्ताह के तहत “मातृ शक्ति-राष्ट्र शक्ति” विषय, मातृशक्ति और मातृवंदना योजना का प्रचार, मातृवंदना सप्ताह के तहत “मातृ शक्ति-राष्ट्र शक्ति” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किए गए।सेल्फी जोन बनाया गया जहाँ गर्भवती माताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना का प्रचार-प्रसार एवं डोर-टू-डोर सर्वे द्वारा लाभार्थियों का सत्यापन एवं आवेदन जमा किए गए।कोविड-19 टीकाकरण हेतु जागरूकता कार्यक्रम और पोषण से जुड़ी प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गईं।
शिशु संरक्षण माह में सितंबर माह को शिशु संरक्षण माह के रूप में भी मनाया गया। विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर उत्सव का माहौल बना कर टीकाकरण अभियान एवं विटामिन ‘ए’ की खुराक बच्चों को उपलब्ध कराई गई। कुपोषित बच्चों की पहचान व इलाज की गई है। दिसंबर 2023 तक, बिलासपुर जिला कुपोषण केंद्र में 34 कुपोषित बच्चे इलाज के लिए पहुंच चुके थे। केंद्र में कुल 16 बिस्तर हैं (10 उपचार, 2 खाली, 4 आपातकालीन), लेकिन भारी संख्या के कारण वेटिंग लिस्ट 24 तक पहुँच गई, जिससे कुछ बच्चों को इलाज के लिए एक महीने तक इंतज़ार करना पड़ रहा था। पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना में फरवरी 2024 में बिलासपुर में यह योजना शुरू की गई, जिसमें कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने स्कूली बच्चों के साथ “न्योता भोजन” (पोषक भोजन के साथ फल) साझा किया – इस पहल का मकसद सरकारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को बच्चों के साथ जुड़ने और पोषण का संदेश देने में भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना था।
आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण ट्रैकर का उपयोग हाल ही में (प्रकाशित समय के अनुसार दो दिन पूर्व), देवरी अंचल (बिलासपुर ज़िला) में प्रशासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण ट्रैकर एप का उपयोग शुरू करने का निर्देश जारी किया। इसका उद्देश्य – पोशाहार, योजनाओं, लाभार्थियों तक पहुंच की निगरानी सुनिश्चित करना है, ताकि कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।योजनान्तर्गत फरवरी 2024 तक अधिकारियों ने बच्चों के साथ पौष्टिक भोजन साझा किया। पेयजल व्यवस्थापन, वन विभागः “पेड़ मां के नाम” वृक्षारोपण अभियान, आयुष विभागः योग जीवनशैली प्रचार,खाद्य विभागः उचित मल्य दकानों पर पौष्टिक आहार प्रचार, आदि के महत्वपूर्ण कार्य संपादित किया।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन,
पोषण की जरूरत हर
एक की पहचान
संतुलित आहार से
बनाएं अपना जीवन,
स्वस्थ भारत का सपना
साकार करें सब मिलकर।।
