भविष्य के युद्ध में तकनीकी क्रांति की अगुवाई करेगा भारत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन से पहले ‘रक्षा नवाचार संवाद: आईडेक्स स्टार्टअप्स के साथ परस्पर संवाद’ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भविष्य के युद्ध के स्वरूप और उसमें भारत की भूमिका को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “युद्ध का मैदान बदल गया है। आने वाले समय में युद्ध पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि एल्गोरिदम, ऑटोनॉमस सिस्टम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के सहारे लड़े जाएंगे। ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम, क्वांटम कंप्यूटिंग और निर्देशित-ऊर्जा हथियार भविष्य के युद्ध की दिशा और दशा तय करेंगे।”

उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए बताया कि इन नई प्रौद्योगिकियों का वास्तविक प्रदर्शन अब भारतीय सेनाओं द्वारा किया जा रहा है। रक्षा मंत्री ने नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स से आह्वान किया कि वे पारंपरिक समाधानों से आगे बढ़कर ऐसी तकनीक विकसित करें जो युद्ध को नई परिभाषा दे सके। उन्होंने कहा, “हमें तकनीकी क्षेत्र में न तो नकलची बनना है और न ही अनुयायी। हमें विश्व के लिए सृजक और मानक-निर्धारक बनना है।”

Rajnath Singh

स्वदेशीकरण से आत्मविश्वास तक – रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव

श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण के क्षेत्र में हासिल प्रगति को रेखांकित करते हुए बताया कि घरेलू स्रोतों से रक्षा पूंजी अधिग्रहण 2021-22 में 74,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने इसे मात्र एक सांख्यिकीय वृद्धि नहीं बल्कि “निर्भरता से आत्मविश्वास की ओर मानसिकता में बदलाव” बताया।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति के तहत वार्षिक खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSME) के लिए आरक्षित किया गया है और 350 से अधिक वस्तुएं विशेष रूप से इन्हीं के लिए निर्धारित की गई हैं। उन्होंने कहा, “रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता अब केवल एक नारा नहीं रही, यह नीति से व्यवहार और नवाचार से प्रभाव तक एक सशक्त आंदोलन बन गई है।”

रक्षा क्षेत्र में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की आवश्यकता

रक्षा मंत्री ने स्टार्टअप्स को ऊंचे मानक स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स हैं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में एक भी नहीं है। उन्होंने स्टार्टअप्स से इस स्थिति को बदलने का आह्वान करते हुए कहा, “भारत का पहला रक्षा यूनिकॉर्न आपके बीच से निकलना चाहिए। यह न केवल आपके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन का उल्लेख करते हुए उन्होंने दोहराया कि सरकार नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के साथ मजबूती से खड़ी है और विचार से लेकर कार्यान्वयन तक हर कदम पर उनके साथ रहेगी।

रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन और निर्यात में स्टार्टअप्स का योगदान

रक्षा मंत्री ने पिछले वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन और 23,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात जैसी रिकॉर्ड उपलब्धियों में स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा, “आप एक ऐसे नए भारत के निर्माता हैं जो अपने लिए डिज़ाइन, विकास और उत्पादन करने में विश्वास रखता है। आपकी ऊर्जा और नवाचार प्रधानमंत्री के तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।”

आईडेक्स – भारत के रक्षा नवाचार की क्रांति

2018 में शुरू हुए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) कार्यक्रम को राजनाथ सिंह ने एक रूपांतरकारी पहल बताया जिसने भारत में रक्षा नवाचार का लोकतंत्रीकरण किया है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भारत के युवाओं की प्रतिभा को सशस्त्र बलों की तकनीकी आवश्यकताओं से जोड़ना था।

आज, केवल सात वर्षों में 650 से अधिक आईडेक्स विजेता सामने आए हैं और 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के प्रोटोटाइप की खरीद सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा, “यह भारत के रक्षा नवाचार परिदृश्य में एक क्रांति का प्रतीक है।”

आईडेक्स से पहले भारतीय प्रतिभाएं आईटी, दूरसंचार और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में तो वैश्विक स्तर पर योगदान दे रही थीं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में उनका कम उपयोग होता था। “आईडेक्स के माध्यम से, हमने सुनिश्चित किया कि भारत की प्रतिभाएं भारत की सुरक्षा के लिए कार्य करें। आज यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारतीय रक्षा विनिर्माण के भविष्य को आकार दे रहा है,” उन्होंने कहा।

स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए ऐतिहासिक सुधार

रक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार ने स्टार्टअप्स और एमएसएमई को सहयोग देने के लिए रक्षा खरीद, उत्पादन और परीक्षण अवसंरचना में कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं। नई रक्षा खरीद नियमावली (DPM-2025) पांच वर्षों के लिए सुनिश्चित ऑर्डर प्रदान करती है, जिसे और पांच वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। इससे नवप्रवर्तकों को स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता मिलती है।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) में भी सुधार किए जा रहे हैं, जिससे प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सके, परीक्षणों में तेजी लाई जा सके और नवीन समाधानों की सुनिश्चित खरीद की जा सके।

उन्होंने कहा, “आईडेक्स, प्रौद्योगिकी विकास निधि, रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना और स्व-प्रमाणन प्रावधानों के माध्यम से हम एक व्यापक ढांचा तैयार कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य भारत को न केवल एक रक्षा विनिर्माता, बल्कि एक रक्षा नवप्रवर्तक बनाना है।”

भारतीय नवाचार को मिल रही वैश्विक पहचान

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किए गए रेफी एम. फाइबर और ग्रेविटी सिस्टम्स जैसे आईडेक्स विजेताओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा विकसित नवाचार अब वैश्विक स्तर पर सराहे जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कई भारतीय स्टार्टअप्स दुबई एयरशो 2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी तकनीक का प्रदर्शन कर रहे हैं। “यह गर्व की बात है जब हमारे सैनिक भारत में विकसित नवाचारों की सराहना करते हैं। दुनिया आज भारत की नवोन्मेषण क्षमता पर ध्यान दे रही है,” उन्होंने कहा।

समग्र समर्थन के लिए रणनीतिक साझेदारियाँ

रक्षा मंत्रालय स्टार्टअप्स को समग्र समर्थन प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग और प्रमुख वित्तीय संस्थानों के साथ रणनीतिक साझेदारी कर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना है जहां हर विचार एक व्यवहार्य उत्पाद बन सके, हर प्रोटोटाइप उत्पादन तक पहुंच सके और हर नवाचार भारत की रक्षा में योगदान दे सके।”

आत्मनिर्भर भारत के विजन में रक्षा उद्योग अग्रणी

रक्षा मंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा विनिर्माण अब निजी निवेश, अनुसंधान एवं विकास और रोजगार सृजन के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक बन गया है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत स्वदेशी रक्षा उद्योग न केवल रणनीतिक आवश्यकता है, बल्कि एक आर्थिक गुणक भी है।

उन्होंने कहा, “भारत की रक्षा नवाचार यात्रा अवधारणा से सृजन और विजन से विजय की ओर निरंतर अग्रसर है। हम सभी मिलकर भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक नेता भी बनाएंगे।”

सम्मेलन में नवाचार की झलक

रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) के तत्वावधान में आईडेक्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अत्याधुनिक रक्षा नवाचारों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें आईडेक्स और ‘अदिति’ के तहत विकसित प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया।

रक्षा मंत्री ने नवप्रवर्तकों से संवाद कर उनके प्रयासों की सराहना की। सम्मेलन में रक्षा स्टार्टअप्स के विस्तार, नवाचार और उत्पादन को जोड़ने तथा अनुसंधान एवं विकास सहयोग के माध्यम से आत्मनिर्भरता को गति देने जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएं और अनुभव-साझाकरण सत्र भी आयोजित किए गए।

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार सहित रक्षा मंत्रालय, उद्योग जगत, सशस्त्र बलों और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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