धार्मिक निर्माल्य का ‘इको-फ्रेंडली विसर्जन करने का आवाह्न
दीपावली के बाद धार्मिक निर्माल्य का सबसे बड़ा विसर्जन होना अभी बाकी है। लिहाजा बुधवार को अन्नकूट के अवसर पर नमामि गंगे ने काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला के नेतृत्व में दशाश्वमेध घाट पर गंगा तट पर काफी मात्रा में फैले धार्मिक निर्माल्य की सफाई करके लोगों से अपील की है कि वो दीपावली के बाद बचे हुए धार्मिक निर्माल्य को गंगा में प्रवाहित करने या रोड साइड, फुटपाथ पेड़ के नीचे या पार्क और पब्लिक प्लेस में रखने के बजाय इनका ‘इको-फ्रेंडली विसर्जन’ करें।

गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए आगाह करते हुए गंगा सेवक राजेश शुक्ला ने कहा कि दीपावली पर लगभग हर घर में श्री गणेश और लक्ष्मी जी की नई मूर्ति की पूजा होती है लेकिन, पुरानी मूर्ति का क्या होगा ? ज्यादातर लोग मूर्तियों को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं और कुछ लोग पेड़ के नीचे रख देते हैं। हमारा लोगों से विनम्र निवेदन है कि इन मूर्तियो की एक टब पानी में थोड़ा गंगा जल डाल कर मूर्ति को उसमें रख दें।
एक-दो दिन में मूर्ति स्वतः उस में घुल जायेगी। मूर्ति घुले जल को किसी गमले या पेड़ की जड़ में डाल सकते हैं। आपके इस प्रयास से मूर्ति का सम्मानजनक विसर्जन तो होगा ही मां गंगा सहित अन्य नदियों को स्वच्छ रखने को उठाया गया सार्थक कदम भी होगा । आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर राजेश शुक्ला, आयुष श्रीवास्तव, विजय अवस्थी, सुमित शुक्ला, गगन शुक्ला, आशीष रावत, प्रियांशु शुक्ला आदि उपस्थित रहे ।