भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी परिदृश्य में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ जब इमर्जिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी) 2025 के दूसरे दिन आयोजित पिचएक्स @ ईएसटीआईसी 2025 में देश के कुछ सबसे आशाजनक डीपटेक स्टार्टअप्स और अग्रणी निवेशक एक ही मंच पर एकत्र हुए। यह आयोजन न केवल भारत की नवोपिचएक्स @ ईएसटीआईसी 2025 में दिखी भारत के डीपटेक भविष्य की झांकी — नवाचार और निवेश का संगमन्मेषी क्षमताओं का परिचायक था, बल्कि इसने देश के डीपटेक-आधारित आर्थिक भविष्य की एक झलक भी प्रस्तुत की।

नवाचार और निवेश का संगम
कार्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए 20 से अधिक अग्रणी स्टार्टअप्स ने अपनी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और वैज्ञानिक नवाचारों का प्रदर्शन किया। इन स्टार्टअप्स ने ऐसे समाधान प्रस्तुत किए जो भविष्य में उद्योग, रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और अंतरिक्ष तकनीक जैसे क्षेत्रों में परिवर्तन ला सकते हैं।
स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारों को प्रतिष्ठित निवेशकों — पीकएक्सवी, योरनेस्ट, फास्ट इंडिया, आईआईएमए वेंचर्स और सिल्वर नीडल वेंचर्स (एसएनवी) फंड के समक्ष प्रस्तुत किया। निवेशकों और उद्यमियों के बीच इस संवाद ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि डीपटेक इनोवेशन का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत में नवोन्मेषण की संस्कृति को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए आरंभिक उद्योग संपर्क (early industry linkages) और निरंतर निवेशक जुड़ाव अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने हाल ही में शुरू की गई 1 लाख करोड़ रुपये की अनुसंधान, विकास और नवोन्मेषण (आरडीआई) योजना को भारत के डीपटेक इकोसिस्टम के लिए एक “गेम-चेंजर” बताया। डॉ. सिंह ने कहा —
“आरडीआई योजना भारत में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देगी और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रत्यक्ष बाज़ार समाधान में बदलने का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह पहल भारत को डीपटेक क्रांति में अग्रणी राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
डीएसटी सचिव ने साझा की आरडीआई योजना की रूपरेखा
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने आरडीआई योजना की प्रचालनगत रूपरेखा (operational framework) पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने घोषणा की कि डीएसटी और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) निकट भविष्य में डीपटेक स्टार्टअप्स को प्रारंभिक निवेश सहायता प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य अब केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुसंधान को व्यावहारिक नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादों में रूपांतरित करना है।
डीपटेक शोकेस में शामिल हुए 30 स्टार्टअप्स
इस डीपटेक स्टार्टअप शोकेस में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा नामित 30 सफल स्टार्टअप्स शामिल हुए। इस मंच ने सरकार की उस दृष्टि को स्पष्ट किया जिसमें अनुसंधान उत्कृष्टता, बौद्धिक संपदा निर्माण (Intellectual Property creation) और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता द्वारा संचालित एक मजबूत नवोन्मेषण इकोसिस्टम का निर्माण करना शामिल है।
ये स्टार्टअप्स भारत की वैज्ञानिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए निम्नलिखित क्षेत्रों में सक्रिय हैं:
- अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी
- क्वांटम टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा
- स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान (Life Sciences)
- सेमीकंडक्टर निर्माण और उद्योग 4.0 समाधान
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence)
- जल प्रबंधन और कृषि प्रौद्योगिकी
उभरते हुए डीपटेक इनोवेटर्स
इस आयोजन में कई स्टार्टअप्स अपनी नवोन्मेषी दृष्टि और व्यावसायिक संभावना के कारण विशेष रूप से उभरकर सामने आए। एंड्योरएयर सिस्टम्स, अत्रेय इनोवेशन्स, लाइफस्पार्क टेक्नोलॉजीज, नोकार्क रोबोटिक्स और फोर्टीटू लैब्स जैसे स्टार्टअप्स को निवेशकों ने उच्च निवेश योग्य उद्यमों के रूप में पहचाना।
इन स्टार्टअप्स ने प्रदर्शित किया कि भारत में डीपटेक अनुसंधान अब प्रयोगशालाओं से निकलकर व्यावसायिक समाधानों में बदल रहा है — जो देश की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति को नई दिशा दे रहा है।
महिला उद्यमिता को मिला मंच
कार्यक्रम में महिला उद्यमियों की सक्रिय भागीदारी ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। विभिन्न महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स ने अपनी प्रौद्योगिकी-आधारित परियोजनाओं का प्रदर्शन किया, जिससे भारत की समावेशी नवाचार नीति (inclusive innovation policy) का परिचय मिला।
यह पहल इस बात का प्रमाण है कि भारत में तकनीक और उद्यमिता अब लिंग-सीमाओं से परे एक समान अवसरों वाला क्षेत्र बनता जा रहा है।
भारत के डीपटेक भविष्य की ओर
पिचएक्स @ ईएसटीआईसी 2025 का समापन निवेशकों और उद्यमियों की उत्साही भागीदारी के साथ हुआ। यह आयोजन भारत के डीपटेक इकोसिस्टम के लिए न केवल एक प्रेरक मंच सिद्ध हुआ, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि भारत अब वैज्ञानिक नवाचार, निजी निवेश और सार्वजनिक नीति के संगम से वैश्विक डीपटेक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि भारत का लक्ष्य केवल “स्टार्टअप नेशन” बनना नहीं, बल्कि एक ऐसा देश बनना है जहाँ डीपटेक नवाचार सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक सशक्तिकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा — तीनों का आधार बने।