उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में आयोजित 100वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह के दौरान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने युवा नागरिक सेवकों से शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक दृष्टिकोण को समझने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में प्रशासनिक तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए कहा कि भविष्य के अफसरों को केवल जनकल्याणकारी प्रशासक ही नहीं, बल्कि दृढ़निश्चयी और संकट-समाधान केंद्रित राष्ट्रसेवक बनना चाहिए।

अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए इसे नागरिक-सैन्य समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अभियान के दौरान सशस्त्र बलों ने संयमित और रणनीतिक कार्रवाई करते हुए सीमा पार आतंकी संरचनाओं को निष्क्रिय किया। इसके साथ ही प्रशासनिक मशीनरी द्वारा जनता और संस्थान के बीच सूचना प्रवाह का संतुलित प्रबंधन जनता के विश्वास को मजबूती प्रदान करता है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में सरकार, सेना और प्रशासन का एकजुट होकर कार्य करना ही राष्ट्रीय संकल्प को मजबूत करता है।
श्री सिंह ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए शासन और सुरक्षा के बीच गहन समझ और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि नागरिक सेवकों की भूमिका केवल पारंपरिक अधिकार-प्रदर्शन तक सीमित नहीं, बल्कि परिवर्तन और नवाचार के माध्यम से सार्वजनिक सेवा के मानकों को उन्नत करना भी है। उन्होंने अभिलेखों की पारदर्शिता, आचरण की सत्यनिष्ठा और सार्वजनिक जवाबदेही जैसे मूल्यों को केंद्रीय तत्व के रूप में अपनाने की सलाह दी।
उन्होंने तकनीकी-संचालित प्रशासन के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि आज डिजिटल साधन शासन में अभूतपूर्व पारदर्शिता और दक्षता ला रहे हैं। प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और फेसलेस असेसमेंट जैसी पहलों ने नागरिक-राज्य संवाद की परंपरा में सकारात्मक परिवर्तन दर्ज किया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित सम्पूर्ण प्रणाली का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसकी प्रक्रिया-विश्लेषण क्षमता और AI आधारित कार्यान्वयन को प्रशासनिक पारदर्शिता का प्रतीक बताया।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने नागरिक सेवकों के मानवीय सम्वेदन पक्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य के प्रशासकों को पारंपरिक ब्यूरोक्रेटिक व्यवहार से आगे बढ़कर नागरिकों के साथ सहानुभूति और समझदारी पर आधारित संवाद बनाना चाहिए। विशेष रूप से कमजोर और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के साथ व्यवहार में मानवीय दृष्टिकोण ही वास्तविक प्रशासनिक सफलता का आधार है।
रक्षा मंत्री ने सिविल सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में प्रशासन के सर्वोच्च पदों पर भी महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाएंगी। ताज़ा यूपीएससी परिणामों में महिला अभ्यर्थियों की उल्लेखनीय सफलता इसका संकेत है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत की प्रशासनिक नेतृत्व संरचना में महिलाओं की मजबूत भागीदारी निश्चित रूप से दिखाई देगी।
रक्षा मंत्री ने फाउंडेशन कोर्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक आदर्श शासन संस्कृति का प्रशिक्षण है। उन्होंने एलबीएसएनएए की विरासत को सम्मान देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व गुणों को आधुनिक प्रशासन के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। 1965 के युद्ध में उनके नेतृत्व, हरित क्रांति में उनकी भूमिका तथा देश को एकजुट करने वाली उनकी भावना का उल्लेख करते हुए उन्होंने युवा अधिकारियों से इन मूल्यों को अपनी प्रशासनिक दृष्टि का हिस्सा बनाने का आग्रह किया।
समारोह के दौरान श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और सरदार पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की तथा अकादमी परिसर में ओडीओपी मंडप का उद्घाटन भी किया। इस अवसर ने प्रशासन और राष्ट्रीय नीति के बीच सेतु-निर्माण की भावना को सुदृढ़ किया और नागरिक सेवकों की नई पीढ़ी को उनके राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की ओर निर्देशित किया।