अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राजस्थान के अजमेर में स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 814वें उर्स की तैयारियों की व्यापक समीक्षा की। यह उर्स 17 दिसंबर 2025 से प्रारंभ हो रहा है, जिसमें देश-विदेश से लाखों जायरीन (ज़ियारिन) के शामिल होने की संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने आज अजमेर में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की, जिसका मुख्य उद्देश्य उर्स के दौरान आने वाले जायरीन की सुरक्षा, संरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करना रहा।

बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उर्स जैसे विशाल और संवेदनशील आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार की चूक की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने जिला प्रशासन, दरगाह ख्वाजा साहब (डीकेएस) प्रबंधन, पुलिस, नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों के बीच आपसी समन्वय को अत्यंत आवश्यक बताया ताकि आयोजन शांतिपूर्ण, सुव्यवस्थित और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो सके।
एक परंपरा के अनुरूप, बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हर वर्ष भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए दरगाह ख्वाजा साहब में चादर भेजते हैं। यह परंपरा देश की गंगा-जमुनी तहजीब और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानी जाती है।
समीक्षा बैठक के दौरान उर्स से जुड़ी प्रमुख व्यवस्थाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें दरगाह परिसर और आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, पर्याप्त संख्या में पेयजल और शौचालयों की व्यवस्था, पार्किंग सुविधाओं का सुचारू प्रबंधन, स्वच्छता और सफाई बनाए रखने, भीड़ नियंत्रण की प्रभावी रणनीति तथा डीकेएस क्षेत्र से आवारा पशुओं को हटाने जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल रहे। जिला प्रशासन ने मंत्रालय को अवगत कराया कि सभी विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं और उर्स के दौरान चौबीसों घंटे निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
फील्ड समीक्षा के तहत मंत्रालय के अधिकारियों ने अजमेर के बाहरी क्षेत्र में लगभग 150 बीघा भूमि पर विकसित किए जा रहे विश्राम शिविर और मुसाफिरखाना का भी निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने जायरीन के ठहरने, भोजन, पानी, चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की तैयारियों का जायजा लिया। अधिकारियों ने निर्देश दिए कि अस्थायी आवास स्थलों पर साफ-सफाई, रोशनी, सुरक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि दूर-दराज से आने वाले जायरीन को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
मंत्रालय ने जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तुत तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उर्स के दौरान किसी भी समस्या के त्वरित समाधान के लिए निरंतर निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र बेहद जरूरी है। अधिकारियों ने कहा कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही गंभीर परिणाम ला सकती है, इसलिए सभी एजेंसियों को पूरी सतर्कता के साथ कार्य करना होगा।
इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के निदेशक श्री एसपी सिंह तेवतिया ने की। बैठक में जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस विभाग के प्रतिनिधि तथा दरगाह ख्वाजा साहब (डीकेएस) के पदाधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर यह संकल्प दोहराया कि 814वें उर्स के दौरान आने वाले जायरीन को सुरक्षित, संरक्षित और आरामदायक वातावरण प्रदान किया जाएगा।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राज्य और जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि उर्स केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। मंत्रालय का उद्देश्य है कि हर जायरीन अपनी आस्था के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से ज़ियारत कर सके और अजमेर से एक सकारात्मक व सुरक्षित अनुभव लेकर लौटे।