दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की जा रही सघन निगरानी के क्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली और सोनीपत नगर निकायों की वायु प्रदूषण शमन कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा हेतु एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक दिल्ली एनसीआर के लिए आयोजित की जा रही संरचित समीक्षा बैठकों की श्रृंखला में तीसरी बैठक थी, जो 3 दिसंबर 2025 को हुई पिछली बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुरूप निर्धारित मापदंडों और प्रारूपों के आधार पर आयोजित की गई।

बैठक के दौरान श्री यादव ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान केवल कागजी योजनाओं से नहीं, बल्कि जमीनी हकीकतों से जुड़े रहकर ही संभव है। उन्होंने एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों की सटीक पहचान करने और व्यावहारिक, प्रभावी एवं लागू किए जा सकने वाले समाधानों पर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। राष्ट्रीय राजधानी की वैश्विक छवि का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण को अपनाना समय की आवश्यकता है।
निर्माण और विध्वंस गतिविधियों को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिया कि किसी भी निर्माण या विध्वंस कार्य की अनुमति तब तक न दी जाए, जब तक कि संबंधित स्थल के 10 किलोमीटर के दायरे में निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन और प्रोसेसिंग अवसंरचना की पहचान और स्थापना न हो जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनसीआर में अक्टूबर से दिसंबर के बीच प्रदूषण का स्तर चरम पर रहता है, ऐसे में इस अवधि के दौरान विध्वंस गतिविधियों पर रोक लगाने के प्रावधान किए जाएं और नियमों में संशोधन होने तक तत्काल प्रभाव से आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं। इसके साथ ही एनसीआर के सभी शहरों में तत्काल निरीक्षण अभियान चलाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए।
हालांकि, मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि केवल चालान काटना ही अंतिम समाधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया, जिसमें आम जनता को अनावश्यक असुविधा पहुंचाने के बजाय वास्तविक और बड़े प्रदूषण फैलाने वालों को लक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि हितधारकों को प्रेरित किया जाए, जनता को नियमों के प्रति जागरूक किया जाए और जानबूझकर उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
यातायात और पार्किंग से जुड़े मुद्दों पर भी श्री यादव ने महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने दिल्ली में बहुस्तरीय पार्किंग सुविधाओं के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान सुनिश्चित करने को कहा, ताकि ये सुविधाएं स्वयं यातायात जाम का कारण न बनें। राजधानी के 62 चिन्हित यातायात जाम वाले क्षेत्रों से अवैध पार्किंग और अतिक्रमण हटाने के निर्देश देते हुए उन्होंने दिल्ली पुलिस के समन्वय से एक विस्तृत योजना तैयार करने को कहा, जिससे सुबह 9 से 11 बजे और शाम 4 से 7 बजे के व्यस्त समय में सिग्नल मुक्त आवागमन सुनिश्चित किया जा सके। इन चिन्हित सड़क गलियारों पर बीएस चार मानकों से नीचे के वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश भी दिए गए।
अनियोजित शहरी विस्तार को वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने और व्यस्त समय के दौरान यातायात दबाव कम करने के लिए ऊंची इमारतों में रहने वाले नागरिकों के लिए नजदीकी सार्वजनिक परिवहन केंद्रों तक अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
कचरा प्रबंधन और हरित क्षेत्रों के विस्तार को लेकर भी बैठक में व्यापक चर्चा हुई। श्री यादव ने नगर निगम ठोस अपशिष्ट डंप स्थलों पर अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों के विस्तार की संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश दिया। साथ ही, सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से हरियाली बढ़ाने के लिए खुले स्थानों की पहचान करने पर जोर दिया गया, जिसमें पार्कों और जल निकायों को गोद लेने जैसी पहलें शामिल हैं।
दिल्ली नगर निगम को विधायी सुधारों, प्रभावी प्रवर्तन कार्रवाई और अतिक्रमण वाले क्षेत्रों में रहने या कार्य करने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक समाधानों के प्रावधान सहित एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए गए। मंत्री ने कहा कि ये उपाय बाघ अभ्यारण्यों में अपनाए गए स्वैच्छिक पुनर्वास मॉडल की तर्ज पर होने चाहिए, जिनका उद्देश्य यातायात जाम और प्रदूषण के प्रमुख हॉटस्पॉट्स को समाप्त करना है। इसके साथ ही ओखला, भलस्वा और गाजीपुर के पुराने कचरा डंप स्थलों को समाप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने और 2026 के अंत तक ठोस परिणाम सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।
सड़कों पर आवारा पशुओं की मौजूदगी से होने वाली दुर्घटनाओं और यातायात जाम का उल्लेख करते हुए मंत्री ने इन्हें हटाने पर विशेष ध्यान देने को कहा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से औद्योगिक इकाइयों के पीएनजी उत्पादन और उपभोग बिलों का विश्लेषण करने का अनुरोध किया गया, ताकि यह आकलन किया जा सके कि प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां वास्तव में स्वच्छ ईंधन की ओर संक्रमण कर रही हैं या नहीं।
व्यवहार में बदलाव को दीर्घकालिक समाधान का आधार बताते हुए श्री यादव ने सभी हितधारक समूहों के लिए निरंतर जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों को विशेष रूप से उद्योगों और निर्माण कंपनियों जैसे वास्तविक प्रदूषण स्रोतों पर केंद्रित करने के निर्देश दिए, ताकि वे लागू उप नियमों और मानकों से भलीभांति परिचित हो सकें। सीएक्यूएम को तदनुसार अपने आईईसी दिशानिर्देशों में संशोधन करने को कहा गया।
इसके अतिरिक्त, एनसीआर में बायोमास और ठोस अपशिष्ट जलाने की समस्या को रोकने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहलों के माध्यम से श्रमिकों को हीटिंग उपकरण उपलब्ध कराने का भी आह्वान किया गया। नागरिकों से अपील करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई तभी सफल हो सकती है, जब आम जनता सक्रिय भागीदार बने। उन्होंने सभी संबंधित एजेंसियों से अगले एक वर्ष में वायु गुणवत्ता सूचकांक में 40 प्रतिशत तक कमी लाने के लक्ष्य को लेकर मिशन मोड में कार्य करने का आग्रह किया।