परीक्षा के दौर में बढ़ता तनाव: कारण, लक्षण और समाधान
इस समय छात्रों का प्री बोर्ड चल रहा है व प्रैक्टिकल एग्जाम्स के डेट नजदीक है फरवरी में बोर्ड एग्जाम्स शुरू हो रहा है, यही वह समय जब छात्रों की दिनचर्या अनियमित होने लगती है जिससे छात्रों का समय व्यवस्थापन, खानपान, आराम का समय, खेलकूद, मनोरंजन अस्त-व्यस्त हो जाता है। छात्रों के संवेगात्मक अवस्था में नकारात्मकता अधिक होने से उनकी संज्ञानात्मक क्षमताएं (सीखना, स्मृति, चिंतन, प्रत्यक्षीकरण व अन्य) ठीक से काम नहीं करती। जिससे छात्र अधिक श्रम करते हैं फिर भी अधिगम व स्मृति कम ही होता है जिसके परिणाम स्वरूप छात्रों में तनाव बढ़ने लगता है और यह श्रृंखलाबद्ध तरीके से बढ़ता ही जाता है इसलिए हर स्तर पर छात्रों के परीक्षा संबंधित तनाव को नियंत्रित एवं व्यवस्थित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। परीक्षा के एक माह पहले तक 13% विद्यार्थियों में जबकि एक सप्ताह पूर्व 82.2% विद्यार्थियों में उच्च स्तर का तनाव पाया जाता है। छात्राओं की अपेक्षा छात्रों में परीक्षा की दुश्चिंता अधिक होती है। 2022 में एनसीईआरटी द्वारा की गई एक सर्वे के अनुसार कक्षा 9 से 12 तक के 80% छात्रों में परीक्षा एवं प्राप्तांक संबंधित दुश्चिंता पाई गई जो उनके निष्पादन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है।

सामान्य स्तर का तनाव विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम के लिए प्रेरित करता है वहीं यदि तनाव उच्च स्तर व लंबे समय तक बना रहे तो यह छात्रों के अधिगम को नकारात्मक रुप से प्रभावित करता है तथा उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
परीक्षा तनाव के लक्षण:-
- सांस लेने में परेशानी
- अध्ययन में कठिनाई
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- दिल का तेल धड़कना
- पेट दर्द
- मुंह सूखना
- बार-बार प्यास लगना
- मिचली आना
- चक्कर आना
- बहुत ज्यादा गर्मी/ ठंड महसूस करना
- हाथ-पैर का ठंडा या सुन्न होना
- अनियमित नींद
- बुरे सपने आना
- जल्दी थक जाना
- भूख न लगना
- बेचैनी
- अपने को नुकसान पहुंचाने वाला कार्य करना
- जोखिम भरा व्यवहार
- नशे का प्रयोग
- मांसपेशियों में दर्द
- चिड़चिड़ापन
- उदासी
- ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस करना
- अकेले में रहना
परीक्षा तनाव के प्रमुख कारण:-
- नियमित अध्ययन न करना
- अनियमित दिनचर्या
- अध्ययन हेतु समय सारणी का न होना
- अभिभावकों की छात्रों से अधिक नंबर पाने की अपेक्षा
- परीक्षा में प्राप्त अंकों को सफलता का मानक मानना
- आत्मविश्वास की कमी
- पर्याप्त नींद न लेना
- नकारात्मक विचारों की अधिकता
- अध्ययन के बजाय रिजल्ट के बारे में अधिक सोचना
- स्कूल का अतार्किक वातावरण
- शारीरिक गतिविधियों की कमी
परीक्षा तनाव को कम करने के उपाय:
नियमित अध्ययन करें:
छात्र अध्ययन हेतु समय सारणी बनाकर अपने अध्ययन वाले स्थान पर लगा ले, इससे आवश्यकता अनुसार वे विषयों को समय देते हुए अध्ययन कर सकेंगे। समय सारणी न होने से विद्यार्थी कुछ विषयों को अधिक समय देते हैं जबकि कुछ विषय अछूता रह जाता है जो बाद में तनाव उत्पन्न करता है जिससे तैयार किए गए विषय के भूलने का दर अधिक हो जाता है।
सकारात्मक सोचे:
परीक्षार्थियों को अपने अध्ययन व परीक्षा परिणाम के बारे में सकारात्मक सोचना चाहिए। परीक्षा के परिणाम को लेकर तनाव न लें यदि विद्यार्थी यह सोचता है कि परीक्षा में बेहतर अंक नहीं आएंगे तो वह परिवार के सदस्यों तथा मित्रों से सम्मान नहीं पाएंगे तो उनमें तनाव अधिक होता है, ऐसे नकारात्मक सोच से बचना चाहिए।
आत्मविश्वास के साथ तैयारी करें:
संवेग संज्ञानात्मक क्षमताओं जैसे- अधिगम, स्मृति, प्रत्यक्षीकरण, चिंतन, अवधान एवं समस्या समाधान की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इसलिए परीक्षार्थियों को चाहिए कि वे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा की तैयारी करें, वे सोचें कि पूर्व में भी उन्होंने अनेक परीक्षाओं को अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण किया है।
दिनचर्या नियमित रखें:
अनियमित दिनचर्या से न केवल श्रम एवं समय बर्बाद होता है बल्कि जल्दी थकान होने के कारण अध्ययन में भी ठीक से मन नहीं लगता है। इसलिए समय सारणी बनाकर उसी के अनुसार परीक्षा की तैयारी करना चाहिए।
पर्याप्त नींद लें:
विद्यार्थी परीक्षा नजदीक आने पर तनाव के कारण कम सोते हैं, इससे उनमें थकावट एवं तनाव होता है। विद्यार्थियों को कम से कम परीक्षा के दौरान 7 घंटे नींद लेना चाहिए।
संतुलित आहार ले:
परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी भोजन कम कर देते हैं जिससे ऊर्जा की कमी होती है इससे उनका मन अध्ययन में नहीं लगता व इससे उनको तनाव होता है। इसलिए परीक्षा की तैयारी के समय विद्यार्थियों को अल्प मात्रा में तीन-चार बार संतुलित व पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
पर्याप्त आराम करें:
विद्यार्थी को अध्ययन करने के दौरान 45 मिनट से 1 घंटे बाद 5-10 मिनट का विश्राम लेना चाहिए इससे अधिगम की गति, मात्रा एवं गुणवत्ता बनी रहती है। बिना विश्राम के लगातार अध्ययन करने से अधिगम नहीं होता बल्कि पूर्व में सीखी गई विषयवस्तु का भी विस्मरण हो जाता है।
- ऐसे साथियों से संपर्क न रखें जो परीक्षा संबंधी नकारात्मक विचार रखते हैं।
- व्यायाम करें
- गुनगुने पानी से स्नान करें
- अपने रुचि के कार्य करें
- दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों के साथ खुलकर बातचीत करें।
- खुली हवा में टहलें
- मनपसंद संगीत सुनें
- नृत्य करें।
मनोवैज्ञानिक समय-सारणी का उपयोग करें:
सुबह
| समय | कार्य |
|---|---|
| 4:30 बजे | जगने का समय |
| 4:30-4:45 बजे | नित्यक्रिया |
| 4:45-6:00 बजे | अध्ययन |
| 6:00- 6:15 बजे | हल्का नाश्ता |
| 6:15-7:15 बजे | अध्ययन |
| 7:15-8:00 बजे | व्यक्तिगत कार्य |
| 8ः00-9ः00 बजे | अध्ययन |
| 9-9:30 बजे | मनोरंजन |
| 9:30-10:30 बजे | अध्ययन |
| 10:30-12 बजे | स्नान, भोजन व आराम |
दोपहर
| समय | कार्य |
|---|---|
| 12 -1 बजे | अध्ययन |
| 1- 2 बजे | मित्रों व शिक्षकों से परिचर्चा |
| 2-3 बजे | अध्ययन |
| 3-4 बजे | खेलकूद व मनोरंजन |
शाम
| समय | कार्य |
|---|---|
| 4 – 4:15 बजे | नाश्ता |
| 4:15 – 5:15 बजे | अध्ययन |
| 5:15 – 6 बजे | व्यक्तिगत कार्य |
| 6- 7:00 बजे | अध्ययन |
रात्रि
| समय | कार्य |
|---|---|
| 7- 8 बजे | अभिभावक से चर्चा |
| 8 – 9 बजे | अध्ययन |
| 9 -10 बजे | भोजन व चर्चा |
| 10 – 4.30 बजे | रात्रि विश्राम |
उपरोक्त समय सारणी में छात्र अपने अभिभावक एवं शिक्षकों से चर्चा करके समय एवं क्रम में परिवर्तन कर सकते हैं। अपने रुचि के कार्य तथा खेल एवं मनोरंजन के लिए भी समय सारणी में पर्याप्त समय प्रदान करना चाहिए।
अध्ययन के लिए सावधानियां:
- हल्का नाश्ता करके पढ़ाई करना चाहिए।
- अध्ययन सदैव कुर्सी मेज पर बैठकर करें, बिस्तर पर लेटकर अध्ययन करने से अधिगम की गति, मात्रा व गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है। जिससे सीखी गई विषयवस्तु की धारण कमजोर होती है।
- विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में टेलीविजन, रेडियो एवं मल्टीमीडिया मोबाइल न रखें। यथासंभव अध्ययन कक्ष एकांत में एवं शांत वातावरण का होना चाहिए
- अध्ययन कक्ष में पर्याप्त प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था रखें क्योंकि प्रकाश एवं हवा की कमी होने से जल्दी थकान होता है तथा सिर दर्द होने की संभावना बनी रहती है।
- परीक्षा की तैयारी स्वलिखित विवरणिका एवं पुस्तक से करना चाहिए मोबाइल का उपयोग कम से कम करना चाहिए।
अभिभावक की भूमिका:
- बच्चों पर पढ़ने के लिए अत्यधिक दबाव न बनाएं
- अच्छे नंबर लाने के लिए बार-बार दबाव न डालें
- परीक्षा के समय उनके आराम एवं पौष्टिक भोजन का प्रबंध करें
- उनसे नकारात्मक बातें न करें
- बच्चों के साथ परस्पर संवाद बनाए रखें
- बच्चों के मनोदशा को समझ कर उनके साथ उचित व्यवहार करें
- भावनात्मक सहयोग दें
- बच्चा बहुत अधिक तनाव महसूस करता है तो उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान कराए।
- बच्चे को भरोसा दिलाया कि हर परिस्थिति में आप उसके साथ हैं।
- मददगार बने दखलअंदाजी न करें।
शिक्षकों की भूमिका:
- अंकों के आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव न करें
- कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों के प्रति संवेदनशील रहें उन्हें समझाएं की परीक्षा में प्राप्त अंक ही जीवन की सफलता नहीं है।
- परीक्षा की तैयारी की योजना बनाने में मदद करें
- अध्ययन कौशल सिखाएं।
- छात्रों को समझाएं की परीक्षा शैक्षिक प्रक्रिया का एक अंग है जीवन का अंतिम विकल्प नहीं।
परीक्षा तनाव का उचित प्रबंधन न होने से न केवल विद्यार्थी परीक्षा में उचित निष्पादन नहीं कर पाते बल्कि अनेक शारीरिक व मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं। अत्यधिक परीक्षा तनाव के कारण विद्यार्थी आत्महत्या भी कर लेते हैं इसलिए इसे गंभीरता से लेकर इसके प्रबंधन के उपाय करने चाहिए। समाज की जिम्मेदारी है कि परीक्षा के प्रति भय का वातावरण नहीं बल्कि उत्सव का वातावरण होना चाहिए।

वरिष्ठ परामर्शदाता
एआरटी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी