अतर्रा (बांदा): संग्रह में शामिल हैं 53 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के भावपूर्ण रोचक संस्मरण। शैक्षिक संवाद मंच की प्रकाशन योजना में प्रस्तुत नवीनतम संग्रह ‘स्मृतियों की धूप-छाँव’ विक्रय हेतु उपलब्ध है। संग्रह में 53 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के भावपूर्ण, मार्मिक एवं रोचक संस्मरण शामिल हैं।
उक्त जानकारी देते हुए शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक एवं ‘स्मृतियों की धूप-छाँव’ के संपादक शिक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया कि बेसिक शिक्षा में कार्यरत 53 रचनाकार शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के खट्टे-मीठे अनुभव संग्रह में शामिल किये गये हैं। गद्य की संस्मरण विधा पर केंद्रित इन लेखों में जीवन के तमाम रंग घुले-मिले हैं।
रचनाकारों ने मां, पिता, गुरु, दादी, नानी, भाई, मित्र के साथ बिताये पलों को लेखनी से कागज पर उतारा है तो पालतू पशु गाय और कुत्तों पर भी लिखा गया है। चिड़ियों में बुलबुल, गौरैया के घोंसलों और अंडों से निकलते चूजों, बंदरों की शैतानियों को भी उकेरा गया है। बचपन की कामिक्स की दूकान, आंगन के खेलकूद, खेत-खलिहान और बैलों के सान्निध्य का जीवंत वर्णन भी हुआ है और अजनबी लोगों से मिले अपनापन की महक भी बिखरी है।
नेचुरल शेड येलो पेपर के 232 पृष्ठों में जीवन की खुशी, पीर, वेदना, कसक, उपलब्धि, सहकार, समन्वय, सम्बंध, सहानुभूति और सामंजस्य की स्याही ने अद्भुत चित्र रचे हैं। राज भगत के मनमोहक आवरण और वरिष्ठ संस्मरणकार जितेन्द्र शर्मा, देहरादून की भूमिका से संग्रह समृद्ध हुआ है। कवि, लेखक एवं संपादक महेश चंद्र पुनेठा ने विशेष टिप्पणी की है और कहानीकार रामनगीना मौर्य, लखनऊ तथा शिक्षाविद् आलोक कुमार मिश्रा दिल्ली की फ्लैप पर अंकित टिप्पणी ने संग्रह को खास बना दिया है।
रुद्रादित्य प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित ‘स्मृतियों की धूप-छाँव’ पाठकों, साहित्यकारो एवं समीक्षकों द्वारा खूब सराही जा रही है। पठन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संग्रह को पाठकों से 1 से 5 जून तक मिलने वाले आर्डर पर विशेष छूट पर 250 रुपए में डाक खर्च सहित उपलब्ध कराया जा रहा है। खुशी की बात है कि पहले दिन ही पचास प्रतियां बिक गयीं। पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि वह पढ़ने-लिखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम करते हुए हिन्दी की अन्य विधाओं पर भी संग्रह लाने वाले हैं।