प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष एक बार फिर से लाल किले से अपने भाषण में देश को कविता के माध्यम से सन्देश दिया। इस बार उन्होंने कविता के माध्यम से अमृत काल के लक्ष्यों और संकल्पों को इंगित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा,
“आज जब मैं अमृतकाल में आपके साथ बात कर रहा हूं, ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, ये अमृतकाल के पहले वर्ष पर जब मैं आपके बात कर रहा हूं तो मैं आपको पूरे विश्वास से कहना चाहता हूं-
चलता चलाता कालचक्र,
अमृतकाल का भालचक्र,
सबके सपने, अपने सपने,
पनपे सपने सारे, धीर चले, वीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही रीती नई, गति सही राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम।”
इसके पूर्व 2018 और 2021 के स्वतंत्रता दिवस के भाषणों में भी श्री मोदी ने कविता के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रेणाप्रद सन्देश दिए थे
2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने ये उदगार व्यक्त किये थे।:-
“भाइयों-बहनों, वेद से वर्तमान तक विश्व की चिरपुरातन विरासत के हम धनी हैं। हम पर इस विरासत का आर्शीवाद है। उस विरासत की जो हमारे आत्मविश्वास की बदौलत है। उसको ले करके हम भविष्य में और आगे बढ़ना चाहते है। और मेरे प्यारे देशवासियों, हम सिर्फ भविष्य देखने तक रहना नहीं चाहते है। लेकिन भविष्य के उस शिखर पर भी पहुंचना चाहते हैं।भविष्य के शिखर का सपना लेकर हम चलना चाहते हैं और इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों मैं आपको एक नई आशा एक नया उमंग, एक नया विश्वास देश उसी से चलता है देश उसी से बदलता है और इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों……
अपने मन में एक लक्ष्य लिए,
अपने मन में एक लक्ष्य लिए,
मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिए,
अपने मन में एक लक्ष्य लिए,
मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिए हम तोड़ रहे है जंजीरें,
हम तोड़ रहे हैं जंजीरें,
हम बदल रहे हैंतस्वीरें,
ये नवयुग है, ये नवयुग है,
ये नवभारत है, ये नवयुग है,
ये नवभारत है।
“खुद लिखेंगे अपनी तकदीर, हम बदल रहे हैं तस्वीर,
खुद लिखेंगे अपनी तकदीर, ये नवयुग है, नवभारत है,
हम निकल पड़े हैं, हम निकल पड़े हैं प्रण करके,
हम निकल पड़े हैं प्रण करके, अपना तनमन अर्पण करके,
अपना तनमन अर्पण करके, ज़िद है, ज़िद है, ज़िद है,
एक सूर्य उगाना है, ज़िद है एक सूर्य उगाना है,
अम्बर से ऊंचा जाना है, अम्बर से ऊंचा जाना है,
एक भारत नया बनाना है, एक भारत नया बनाना है।।”
2021 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था :
“21वीं सदी में, भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से कोई भी बाधा अब हमें रोक नहीं सकती। हमारी ताकत हमारी जीवटता है, हमारी ताकत हमारी एकजुटता है, हमारी प्राणशक्ति राष्ट्र प्रथम – सदैव प्रथम की भावना है। ये समय है साझा स्वप्न देखने का, ये समय है साझा संकल्प करने का, ये समय है साझा प्रयत्न करने का… और यही समय है हम विजय की ओर बढ़ चलें।
और इसलिए मैं फिर कहता हूं–
यही समय है,
यही समय है… सही समय है,भारत का अनमोल समय है!
यही समय है, सही समय है! भारत का अनमोल समय है!
असंख्य भुजाओं की शक्ति है,
असंख्य भुजाओं की शक्ति है,हर तरफ देश की भक्ति है!
असंख्य भुजाओं की शक्ति है, हर तरफ देश की भक्ति है…
तुम उठो तिरंगा लहरा दो,
तुम उठो तिरंगा लहरा दो,
भारत के भाग्य को फहरा दो, भारत के भाग्य को फहरा दो!
यही समय है, सही समय है! भारत का अनमोल समय है!
कुछ ऐसा नहीं…
कुछ ऐसा नहीं, जो कर न सको,
कुछ ऐसा नहीं, जो पा न सको,
तुम उठ जाओ…
तुम उठ जाओ, तुम जुट जाओ,
सामर्थ्य को अपने पहचानो…
सामर्थ्य को अपने पहचानो,
कर्तव्य को अपने सब जानो…
कर्तव्य को अपने सब जानो!
यही समय है, सही समय है! भारत का अनमोल समय है!”