मौसम परिवर्तन के कारण मच्छरों के काटने से होनी वाली बीमारियां जैसे-मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया आदि के मामलों में भारत भी पीछे नहीं रहा। भारत में बढ़ते तापमान, बारिश की प्रकृति में परिवर्तन जैसे कभी हल्की, तो कभी भारी, मौसम-बेमौसम बरसात और आद्र्रता के कारण ये संक्रमक बीमारियां फैलती जा रही हैं। अध्ययनों के मुताबिक, जहां एक ओर बारिश की तीव्रता मच्छरों के प्रजनन में सहायक होती है, वहीं दूसरी ओर आद्र्रता के साथ बढ़ते तापमान इसके पनपने में मददगार साबित होते हैं। इस तरह ये व्यस्क मच्छर का स्वरूप ले लेते हैं और फिर बीमारियां फैलाने की इनकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
कारण और प्रभाव:-
डेंगू एक संक्रामक बीमारी है, जो चार में से किसी एक प्रकार के डेंगू वायरस के सीरोटाइप के कारण होती है, जो कि मादा एडिस एजिप्टि मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी के आरंभिक लक्षण हैं: अचानक तेज बुखार, शरीर में रैशेज, तेज सिर दर्द, आंखों के आसपास दर्द, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द आदि। जोड़ों में जबरदस्त दर्द होने के कारण डेंगू का एक नाम ब्रेक कोन फीवर भी है। मिचली, उल्टी, भूख न लगना आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। बुखार तो दस दिनों में ठीक हो जाता है, पर पूरी तरह स्वच्छ होने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है। बड़े बच्चे व वयस्कों को यह छोटे बच्चों के मुकाबले अधिक सताता है। ज्यादातर डेंगू के संक्रमण में मामूली बुखार होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह हेमोरेजिक फीवर का रूप धारण कर लेता है। अधिकांशत: बच्चों और वयस्कों में होने वाला डेंगू हेमोरेजिक बुखार पांच फीसदी मामलों में जानलेवा साबित होता है।
शहरीकरण के बढ़ते प्रचलन और बदलती जीवनशैली के कारण हाल के सालों में ग्रामीण इलाकों व उपशहरी इलाकों में डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई है। डेंगू के इलाज के लिए अभी तक कोई विशेष दवा ईजाद नहीं की जा सकी है। इस लिए निम्रलिखित बातों पर ज्यादा ध्यान दें-
- घर या दफ्तरों में मच्छरों को पनपने न दिया जाए और मच्छरों के संपर्क में आने से खुद को बचाना चाहिए।
- डेंगू की प्रभावी तरीके से रोकथाम के लिए विभिन्न वर्गों के बीच आपसी तालमेल व सामुदायिक जागरूकता जरूरी है।
- अगर किसी को डेंगू का अंदेशा हो, तो वह पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक गोलियां ले सकता है और एस्परिन के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- ऐसे लोगों को आराम करना चाहिए, अधिक से अधिक तरह पदार्थो का सेवन करना चाहिए व डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
क्या करें ?, क्या न करें ?:
- घर के अंदर की सफाई के साथ-साथ आस-पास की सफाई का भी ध्यान रखना जरूरी है। नमीयुक्त जगहों, जैसे-बेसिन, रसोईघर की नाली व बर्तन धोने के स्थान को साफ रखें।
- डेंगू जैसे बुखार का अंदेशा होने पर, जैसे तेज सिरदर्द व मांसपेशियों में दर्द होने पर पैरासिटमोल लें व तुरंत डॉक्टर से दिखाएं।
- फूल के गमलों का पानी सप्ताह में कम से कम एक बार बदलें और जिन बर्तनों में पानी रखा हो, उनके ढक्कन अच्छी तरह बंद कर दें।
- एयर कूलर व फ्रिज को साफ रखें व उनका जमा हुआ पानी निकालते रहें।
- बैरल व ड्रम में जमा किए हुए पानी को सप्ताह में एक बार नए पानी के साथ बदल दें।
- पानी की टंकियां, जो भवनों में लगी होती हैं, उसे अच्छी तरह कस कर बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए। एक सीढ़ी भी होना जरूरी है, ताकि नियमित अंतराल पर कोई स्टाफ टंकी की साफ-सफाई कर सके। पानी के ओवर फ्लो पाइप को जाली से ढक़ कर रखना चाहिए, ताकि मच्छरों को दूर रखा जा सकेे।
- बेकार पड़ी चीजें जैसे-टायर, नारियल के छिलके, बोतल इत्यादि को या तो फेंक दें या नष्ट कर दें।
- पानी के फव्वारों को हफ्ते मेें एक दिन सुखा देना चाहिए।
- जमीनी कुओं की अच्छी देखभाल करनी चाहिए, ताकि इनमें मच्छर न पनपने पाए।
- छतों व छज्जों पर जमे बारिश के पानी को हफ्ते में एक बार साफ करना चाहिए।
- कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
- चूंकि डेंगू के मच्छर दिन में ही काटते हैं, इस लिए नमीयुक्त जगहों पर रहने से बचें।
सैल्फ केयर:-
जब तक बुखार कम न हो जाए तब तक एक खुले व ठंडे कमरे में बिस्तर पर आराम करें शरीर में दर्द व ज्वर को कम करने के लिए क्रोसिन (पैरासिटामोल) का सेवन कर सकते हैं। गुनगुने पानी से स्पॉज और स्नान करें। डिहाइड्रेशन की कमी को पूरा करने के लिए अधिक तरह पदार्थ लें, जैसे पानी, सब्जियों व फलों का रस। बिना तेल का हल्का भोजन करें। काफी, चाय, साफ्ट ड्रिंक न पीएं। टीवी न देखें व ऐसा कोई काम न करें जिससे दिमाग पर जोर पड़े।