उपराष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस पर, अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने गुरुओं को समर्पित किया, “मेरा असली जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ”

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज शिक्षक दिवस पर कोटा में आयोजित, शिक्षकों तथा केंद्र और राज्य सरकार के सेवा निवृत्त कर्मचारियों के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए अपने जीवन की उपलब्धियों को सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के शिक्षकों को समर्पित करते हुए कहा कि यद्यपि मेरा जैविक जन्म मेरे गांव किठाणा में हुआ हो लेकिन मेरा असली जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ। जीवन में गुरु की महत्ता पर संत कबीर के दोहों को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुरु के चरणों का आशीर्वाद मिलना आवश्यक है ईश्वर अपने आप मिल ही जायेगा।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोटा आज भारत का नॉलेज सेंटर है जो युवाओं की आकांक्षाओं का केंद्र है, यहां देश भर के युवा आते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युवा 2047 के भावी योद्धा हैं जो भारत को विकसित बनाएंगे।

हाल के वर्षों में भारत की प्रगति की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विगत दस वर्षों में भारत फ्रेजाइल फाइव से बढ़ कर दुनिया के पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, इस क्रम में हमने ब्रिटेन को पछाड़ा जिन्होंने भारत पर सदियों राज किया। उन्होंने इस परिवर्तन का श्रेय जनता के पुरुषार्थ को दिया।

उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति देख कर सिर गौरव से ऊंचा होता है। इस संदर्भ में भारत के डिजिटल क्रांति की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि गत वर्ष भारत द्वारा किए गए कुल डिजिटल लेनदेन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के कुल डिजिटल लेनदेन का चार गुना था।

उपराष्ट्रपति ने कहा भारतीय जनता एकलव्य की परंपरा की वाहक है जो किसी भी नई स्किल को स्वत: ही सीख लेती है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रति व्यक्ति इंटरनेट डाटा कंसंप्शन, चीन और अमेरिका दोनों के कुल जमा डाटा कंसंप्शन से अधिक है।

उन्होंने कहा डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) से बिचौलिए समाप्त हो गए हैं, प्रशासन में भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है और पारदर्शिता बढ़ी है। सरकारी सेवाओं का लाभ लेना अधिक सुगम हो गया है। लोगों में यह विश्वास बढ़ा है कि कानून से कोई नहीं बच पाएगा।

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर उपलब्ध हैं। भारत में स्टार्ट अप के लिए परिवेश तैयार हो रहा है। आज भारत विश्व की आशा का केंद्र है, इन्नोवेशन और निवेश का केंद्र बन कर उभरा है। उपराष्ट्रपति ने सेवा निवृत्त सरकारी कर्मियों से जनता को जागरूक बनाने का आह्वाहन किया।

उन्होंने कहा कि प्रगति के बावजूद भी चंद लोग विरोध कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे लोग सिर्फ विरोध ही करते हैं लेकिन विमर्श या बहस नहीं करते। इस संदर्भ में उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ऐसे वर्ग हमारी संस्थाओं की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करते हैं, उनकी प्रतिष्ठा गिराते हैं।

उपराष्ट्रपति ने तात्कालिक लाभ के लिए, जनता के स्थायी सशक्तिकरण की जगह, उनकी जेब गर्म करने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि आज का भारत बदल गया है।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष और कोटा के सांसद श्री ओम बिरला तथा केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रहलाद जोशी सहित क्षेत्र के अनेक विधायक, पूर्व जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी गण और बड़ी संख्या में शिक्षक समुदाय एवं सेवा निवृत्त सरकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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