स्वदेश और विदेश की हार्दिकता के संदर्भ: प्रो.पुष्पीता अवस्थी

आज के समय में व्यक्ति को अपना और अपने स्वदेश का अभिभावक होना चाहिए। लेकिन भूमंडलीकरण का  नशा लोगों के ऊपर बिना नशे के ऐसे जीवन के आकर्षण के केंद्र में आ गया है। कि वह जिस देश को आज़ाद करने में उसके  वंशज खप गये जब उस देश में रहने की उसे आज़ादी मिल गई। और उसे अपनी  संस्कृति में जीने का सौभाग्य मिल गया तो पुन लोग विदेश जाकर  अपनी स्वतंत्रता गिरवी रख देते है। मां , मातृभूमि , स्वाद ,नींद और सपनों के साथ मन भी स्वदेश में छूट जाता है यह अनुभूति और इसकी व्यकुलता भी विदेश जाने पर ही होती है।

स्वदेश के त्योहारों, मौसम और अपने बचपने के आनंद का सुख भी विदेश में अनुभव नहीं किया जा सकता है। अपनी संस्कृति को, शिक्षा को, संस्कारो को और अपनी बनाई सरकार में जीने के सुख के लिए जीवन की कुर्बानी देकर  जिस आज़ादी को हासिल करते है फिर इन्हीं सब को गिरवी रखने के लिए क्यों विदेश चल देते हैं।  जहां माटी तो है पर स्वदेश की माटी का सोन्धापन नहीं है वह अपनी नहीं है। क्योंकि हम उससे नहीं बने हैं न हमारा मानस और न ही हमारे संस्कार। आकाश तो  होता है पर वह हमारा नहीं है। वह दूसरे देश का है इसीलिए विदेश है। वह हमारे लिए पराया है हम उसके लिए पराए हैं। वहां के नागरिक, कार्यालय न आप पर विश्वास करते है और न आप उन पर।  विश्वास के अभाव में जीवन और मन बहुत कष्ट में रहता हे। संबंध तो बन जाते है पर उनमें रिश्तों का रस नही महसूस होता है।

इन सबके साथ जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य घटित होता हैं विदेश के देशों की नागरिकता मिलने के बावजूद कि हम विदेश में तो विदेशी हैं ही। अपने स्वदेश में भी हम विदेशी हो जाते है। विदेश में मकान तो मिल जाता है पर उसमें स्वदेश के घर की खुशबू और चैन नहीं रह पाता है।

जिसका सघन अहसास होने पर लोग घर , बचपन स्वाद और संस्कृति के सुख की तलाश में स्वदेश वापस लौटते  हैं पर उन्हें तब तक विदेशी मान लिया जाता है। सवाल उठता है कि क्या हम परिवार से अधिक  समाज को अपना अभिभावक मान बैठे हैं  उनको दिखाने के लिए उनकी निगाह में श्रेष्ठ दिखने के लिए मां , मातृभूमि , स्वाधीनता और स्वाभिमान की कीमत पर।

स्वदेश जो जन्मस्थान होने के कारण हम सबका पहला तीर्थस्थान है। ऐसे सौभाग्य को छोड़कर फिर भी विदेश की ओर मुखातिब हो  उठते हैं। जब कि, विदेश का जीवन ही पराधीनता है। मन मानस और आत्मा के लिए कारागृह है। क्योंकि यह तीनों ही स्वदेश के जीवंत तंतुओ से बने हैं। गुलामी की रस्सी से नहीं।

प्रो.पुष्पित अवस्थी

अध्यक्ष हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, गार्जियन ऑफ

अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर

नीदरलैंड्स, यूरोप

आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »