श्री अमित शाह ने आज राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के दूसरे पर्वतारोहण अभियान ‘विजय’ के सफलतापूर्वक लौटने पर नई दिल्ली में स्वागत किया

गृह मंत्री ने आपदा प्रबंधन उपकरण और फोटो प्रदर्शनी का भ्रमण भी किया। इस प्रदर्शनी में NDRF कर्मियों द्वारा अभियानों में प्रयोग किए जाने वाले अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीकों को दर्शाया गया है। भारत और तुर्की में आपदा प्रबंधन अभियानों में शामिल रहे बचाव दलों के लीडर्स द्वारा गृह मंत्री को प्रदर्शनी के बारे में बताया गया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने बाढ़ के दौरान बचाव अभियान, भूस्खलन, ढांचों के मलबे में खोज एंव बचाव अभियान, कैमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल न्यूक्लियर रिस्पॉंस मैकेनिज़्म (CBRN), पर्वत बचाव अभियान, बोरवैल बचाव अभियान और तूफान प्रतिक्रिया आदि के बारे में विस्तार से जाना। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव और एनडीआरएफ के महानिदेशक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

21625 फुट ऊँचे माउंट मणिरंग पर सफल अभियान के लिए NDRF के जवानों की सरहना करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि इतनी ऊंचाई पर जाने के लिए अदम्य साहस दिखाने का फैसला करने वाले हमारे जवानों के ऐसे कठिन अभियानों से व्यक्ति और बल दोनों की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कठिन अभियानों से लक्ष्य को सिद्ध करने, विजय प्राप्त करने और अकल्पनीय कठिनाइयों को पार कर लक्ष्य तक पहुंचने की आदत पड़ती है। श्री शाह ने कहा कि विजय की आदत ही व्यक्ति और बल को महान बनाती है और ये व्यक्ति के जीवन में सत्मार्ग पर चलने, विजयी बनने और विश्वास में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत होती है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज इस अभियान में कुछ जवानों ने सफलता प्राप्त की है लेकिन सही मायनों में यह पूरे NDRF की सफलता है। उन्होंने कहा कि इन जवानों ने सिर्फ मणिरंग पर्वत की ऊंचाई पर विजय प्राप्त नहीं की है, बल्कि पूरे बल के हौंसले को बढ़ाने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि पर्वतारोहण सिर्फ एक स्किल नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है और इस कला को सिद्धहस्त करना पूरे जीवन के लिए एक शिक्षा बनता है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने अभियान ‘विजय’ में सफलता प्राप्त करने वाले 35 जवानों और NDRF के महानिदेशक को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी। श्री शाह ने कहा कि इन जवानों द्वारा 21600 फुट से अधिक की ऊंचाई पर तिरंगा फहराना पूरे बल के लिए बहुत बड़ी सिद्धि का परिचायक रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हमें सफलता के शिखर पर पहुंचना है तो जीवनभर सातत्यपूर्ण लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करना होता है, तभी सफलता मिलती है।

श्री अमित शाह ने कहा कि एक ज़माने में भारत में आपदा को लेकर हमारा दृष्टिकोण सिर्फ राहत-केन्द्रित था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अब आपदा प्रबंधन के लिए राहत-केन्द्रित अप्रोच नहीं बल्कि ज़ीरो कैजुअल्टी अप्रोच को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आपदा से निपटने से संबंधित अप्रोच के मामले में ये हमारी बहुत बड़ी यात्रा रही है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पिछले 10 साल के कार्यकाल में आपदा से निपटने के लिए दुनियाभर की बेस्ट प्रैक्टिसिस को हमने भारत में ज़मीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग, बल का हौंसला बढ़ाने, बल का गठन करने, बल की पर्याप्त संख्या, इतने बड़े देश में हर जगह बल के जवानों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और आपदा के आंकलन के लिए अग्रिम सूचना के माध्यम से NDRF और NDMA का एक विजयी गठजोड़ बनाने का काम मोदी सरकार के इन 10 साल में हुआ है।

उन्होंने कहा कि आज देश या दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आती है तो सभी लोग NDRF की तरफ देखते हैं। श्री शाह ने कहा कि एनडीआरएफ के जवानों को देखकर आपदा में फंसे लोगों का हौंसला कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इस पर्वतारोहण अभियान में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारे 35 जवानों ने पल-पल जागरूकता के साथ अपने आप को लक्ष्य के साथ जोड़ा है, उसी प्रकार हमारे बल को ज़ीरो कैजुअल्टी के लक्ष्य के साथ स्वयं को जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपलब्धि कभी संतुष्टि का कारण नहीं बनना चाहिए, बल्कि इसे और कठिन लक्ष्य तय करने का कारण बनना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि तुर्की हो या सीरिया, बिपॉरजॉय हो या मिचुआंग, रोपवे की घटना हो या पर्वतारोहियों को बचाना, सुरंग की घटना हो या जापान का ट्रिपल डिज़ास्टर या फिर नेपाल का भूकंप, जहां भी NDRF कर्मी गए हैं वहां एक अच्छी शुरूआत करके वापस लौटे हैं और ये पूरे देश के लिए बहुत ही गर्व की बात है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भविष्य़ में जलवायु परिवर्तन के कारण सभी जगह हिमस्खलन, भूस्खलन, बाढ़ और तूफान जैसे खतरे बढ़ने वाले हैं औऱ इसे ध्यान में रखते हुए हमें विज्ञान का सहारा लेकर ज़ीरो कैज़ुअल्टी के लक्ष्य की ओर दृढ़ता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अभी भी जंगल में लगने वाली आग जैसे कई क्षेत्रों में अपनी कार्यकुशलता को बढ़ाने के साथ ही परिणाम भी लाने हैं। गृह मंत्री ने कहा कि जंगल की आग के समय सिर्फ मानव जीवन बचाना हमारा एकमात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि जंगलों का बचाव कैसे हो और हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि आग लगे ही नहीं, इसके लिए दुनियाभर में होने वाले प्रयोगों को ज़मीन पर उतारना पड़ेगा। श्री शाह ने यह भी कहा कि बादल फटने से आने वाली बाढ़ के लिए हमें अपने आप को और अधिक तैयार करने की ज़रूरत है।

श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने NDRF के विकास, ट्रेनिंग और बल को आधुनिक संसाधन मुहैया कराने के लिए लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है और इसके लिए कभी बजट की ओर नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि हमें भारत में एक ऐसा बल बनाना चाहिए जो पूरे देश में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सर्वप्रथम हो। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं आपदा प्रबंधन के प्रति बहुत चिंतित और सजग रहते हैं और भारत द्वारा इस क्षेत्र में प्राप्त की गई सफलता इसी का परिणाम है। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच 10 साल में आपदा राहत के लिए SDRF और NDRF को मिलाकर कुल 66,000 करोड़ रूपए का बजट आवंटित हुआ, जो 2014 से 2024 के 10 साल में बढ़कर 2 लाख करोड़ रूपए हो गया। उन्होंने कहा कि यही बताता है कि आपदा को लेकर भारत सरकार की कितनी तैयारी है।श्री शाह ने कहा कि डायल 112 हो, मौसम, दामिनी, मेघदूत इस तरह की मोबाइल एप्लीकेशन हो या अर्ली वार्निंग का सिस्टम हो, मोदी सरकार हर तरह से NDRF को वैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करवा रही है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि बहुत समय से NDRF कर्मियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ते की मांग की जा रही थी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में कल ही भारत सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि अब NDRF के 16,000 कर्मियों को 40 प्रतिशत की दर से जोखिम और कठिनाई भत्ता मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने ये भी निर्णय किया है कि अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में सभी आउटडोर और इंडोर खेलों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) की एक टीम हिस्सा लेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरा रोडमैप बन चुका है और इसके कर्यान्वयन के लिए जल्ह ही सरकार एक मॉडल बनाकर देश के सामने लाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार CAPFs में खेलों को संस्कार के रूप में स्थापित करना चाहती है।

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