अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर 2024 पर विशेषः
-ः ललित गर्ग:-

आज चारों तरफ हिंसा का बाहुल्य है। आज के युग तो अनावश्यक हिंसा का युग कहा जा सकता है। बिना मतलब जीवों की और आदमी की भी हिंसा हो रही है। हिंसा करना एक शौक बनता जा रहा है। धीरे-धीरे यह शौक आदमी की जीवनशैली बन रहा है। बिना किसी की हत्या किए आदमी को चैन नहीं मिलता। देश एवं दुनिया में जटिल होते हिंसक हालातों पर नियंत्रण के लिये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाना हमारे लिये गर्व की बात है। गांधी की अहिंसा ने भारत को गौरवान्वित किया है, भारत ही नहीं, दुनियाभर में अब उनकी जयन्ती को बड़े पैमाने पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। गांधी के अनुयायियों एवं उनमें आस्था रखने वाले उन तमाम लोगों को इससे हार्दिक प्रसन्नता हुई है जो बापू के सिद्वान्तों से गहरे रूप में प्रभावित हंै, अहिंसा के प्रचार-प्रसार में निरन्तर प्रयत्नशील है। यह बापू की अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता का बड़ा प्रमाण भी है। यह एक तरह से गांधीजी को दुनिया की एक विनम्र श्रद्वांजलि भी है। यह अहिंसा के प्रति समूची दुनिया की स्वीकृति भी कही जा सकती है।
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