शैक्षिक संवाद मंच की रचनात्मक लेखन कार्यशाला का द्वितीय सत्र सम्पन्न

लिखने से पहले पढ़ना एवं चिंतन आवश्यक : अनिल सिंह

72 शिक्षक-शिक्षकाओं ने की सहभागिता

बांदा: ‘विद्यालय बनें आनंदघर’ के ध्येयवाक्य के साथ शैक्षिक क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए काम कर रहे शिक्षक समूह ‘शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र.’ द्वारा आयोजित ऑनलाइन रचनात्मक लेखन प्रशिक्षण का द्वितीय सत्र 27 अक्टूबर रविवार को सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षक अनिल सिंह ने ‘लेखन की प्रक्रिया : कैसे और सावधानियां’ विषय पर उपस्थित सहभागियों के समक्ष लेखन के सूत्र साझा किये। इस सत्र में 72 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने उत्साह और रुचि दिखाते हुए सहभागिता किया। अध्यक्षता मंच संस्थापक शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने किया और कार्यशाला का संयोजन एवं संचालन दुर्गेश्वर राय ने संभाला।

उक्त जानकारी देते हुए रचनात्मक लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रभारी एवं मंच के संयोजक दुर्गेश्वर राय ने बताया कि शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षक-शिक्षकाओं के शिक्षकीय जीवन पर आधारित आत्मकथात्मक एवं संस्मरण आलेख संग्रह ‘मेरी शिक्षकीय यात्रा’ साझा संग्रह का प्रकाशन तीन खंडों में शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में किया जाना है, पुस्तक के संभावित 101 रचनाकारों के लेखन प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला के तीन सत्रों के आयोजन क्रम में दूसरा सत्र रविवार 27 अक्टूबर की शाम आनलाइन माध्यम से सम्पन्न हुआ। उपस्थित 72 साहित्यिक अभिरुचि सम्पन्न शिक्षक-शिक्षकाओं का लेखकीय मार्गदर्शन करते हुए अनिल सिंह (भोपाल) ने कहा कि लिखने के लिए पढ़ना बहुत आवश्यक है। सम्बंधित विधा पर उपलब्ध पुस्तकें पढ़ने से एक समझ बनती है। एक शिक्षक-शिक्षिका के रूप में आप लेखन में कक्षा में शिक्षण और विभिन्न गतिविधियों से मिले आनंद, खुशी, सीख, बच्चों से जुड़ाव के तरीके, इसके साथ ही चुनौतियों से जूझने, डरने को भी व्यक्त कर सकते हैं। आपके लेखन से किसी अन्य साथी को काम करने का विचार मिल सकता है।

आपका लेखन किसी के लिए सीखने और अभिव्यक्ति में मददगार होता है। लेखन में ईमानदारी, सत्य तथ्य, संदर्भ आवश्यक है ताकि प्रामाणिकता बनी रहे। पाठक लेखन के माध्यम से आपको जानना चाहता है, इसलिए भूमिका में आपकी चिंतन दृष्टि , विचार, चेतना, सामाजिक दायित्व, समझ व्यक्त हों न कि आपका बायोडेटा। आत्ममुग्धता से हर हाल में बचा जाना चाहिए किंतु छोटी उपलब्धियों को भी प्रमुखता से रेखांकित करना आवश्यक, सामूहिकता को महत्व दें। अंत में सहभागियों प्रतीक्षा त्रिपाठी, प्रतीक कुमार गुप्ता, संतोष कुशवाहा, विंध्येश्वरी प्रसाद, डॉ. अरविंद द्विवेदी द्वारा सवाल किए गये‌। बाद में प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया कि तीन प्रशिक्षण पश्चात सभी सहभागी रचनाकारों द्वारा अपने आलेख तैयार किए जाएंगे, जिनमें से चयनित आलेखों को ‘मेरी शिक्षकीय यात्रा’ नामक पुस्तक के तीन खंडों में प्रकाशित किया जाएगा।

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