युद्धमुक्त विश्व के ट्रंप के संकल्पों की रोशनी

राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल पर लौटने से पहले ट्रंप ने ‘तीसरा विश्व युद्ध’ रोकने की कसम खाकर दुनिया में शांति, अमन एवं अयुद्ध की संभावनाओं को बल दिया है। 47वें राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप ने शपथ से एक दिन पहले गाजा में हुए युद्ध विराम का क्रेडिट भी लिया। रूस और यूक्रेन युद्ध भी खत्म करने की प्रतिबद्धता दोहरायी गयी है। बावजूद इनके विश्व युद्ध के कयास तेजी से लग रहे हैं। इसे लेकर भी कई सवाल उठते हैं कि क्या सच में तीसरा विश्व युद्ध होना इतना आसान है? लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मैं यूक्रेन में युद्ध खत्म कर दूंगा। मैं मध्य पूर्व में अराजकता रोक दूंगा और मैं तीसरे विश्व युद्ध को होने से रोक दूंगा।’ निश्चित ही ट्रंप के इन संकल्पों से अमेरिका में एक नए युग का आगाज हो रहा है, जोे दुनिया में भी एक नई युद्ध मुक्त समाज-संरचना के बड़े बदलावों की ओर इशारा कर रहा है।

राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही ट्रंप कई संकेत ऐसे दे चुके हैं, जिनसे लगने लगा है कि दुनिया बदलने वाली है। ये बदलाव इस बात पर केंद्रित रहेंगे कि अमेरिका को फिर एक बार महान बनना है। यह ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा डोनाल्ड ट्रंप की एक नई पहचान बन गया है और बहुत संभावना है कि इस बार ट्रंप अपने सपने को साकार करने के लिए दुस्साहस का भी परिचय देते हुए युद्ध की मानसिकता वाले देशों की सोच में बदलाव का कारण बन जाये।

विश्व में अनेक देशों के बीच युद्ध चल रहे हैं एवं ऐसे ही युद्ध की व्यापक संभावनाएं बनी हुई हैं। विश्व युद्ध कई कारणों से शुरू हो सकते हैं। जैसे राष्ट्रवाद यानी अपने देश के प्रति अत्यधिक लगाव और अन्य देशों के प्रति घृणा। जब राष्ट्रवाद चरम पर पहुंच जाता है तो युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है या फिर एक शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर अपना अधिकार जमाना चाहता है, तो इससे युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। इसके अलावा देशों के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा भी युद्ध का कारण बन सकती है। साथ ही धार्मिक मतभेद भी युद्ध का कारण बन सकते हैं और किसी देश में राजनीतिक अस्थिरता होने पर पड़ोसी देशों में भी अशांति फैल सकती है और युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। युद्ध की इन व्यापक संभावनाओं पर ट्रंप के संकल्प से विराम लगना विश्व की समाज-व्यवस्था, आर्थिक विकास एवं सह-जीवन के लिये एक शुभ संकेत है। क्योंकि विश्व युद्ध के परिणाम बहुत ही विनाशकारी होते हैं। इसमें लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। युद्ध से देशों की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचता है। साथ ही युद्ध से समाज में अस्थिरता फैल जाती है, महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी बढ़ जाती है और युद्ध के बाद देशों के राजनीतिक नक्शे में बदलाव आ सकता है।  

अमेरिका दुनिया में अमन चाहता है और नये राष्ट्रपति ट्रंप ने यदि किसी भी देश के युद्ध में सेना नहीं भेजने का संकल्प लिया है तो इससे दुनिया में युद्ध की संभावनाओं पर विराम लगना तय है। क्योंकि अब तक शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका ही दुनिया मे युद्ध की भूमि तैयार करता रहा है, अपनी सेना एवं सैन्य सामान भेज कर युद्ध की भूमि को उर्वरा बनाता रहा है। विश्व समुदाय कई संकटों का सामना कर रहा है- संघर्ष और हिंसा, आतंक एवं अलगाव, युद्ध एवं राजनीतिक वर्चस्व, गरीबी एवं बेरोजगारी, लगातार सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ, पर्यावरणीय संकट और दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए चुनौतियाँ आदि जटिलतर स्थितियों के बीच ट्रंप के नये संकल्प एवं योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। आज युद्ध और तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। हथियारों का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है।

हर देश परमाणुशक्ति संपन्न बनने के लिए प्रयासरत है। यह एक अजीबोगरीब स्थिति है। युद्ध की आशंका को खत्म करने के लिए हाथियारों का जखीरा बढ़ाया जा रहा है। पहले बीमारी पैदा की जा रही है, फिर उसके इलाज का उपाय ढूंढा जा रहा है। इसमें अब तक अमेरिका की ही सर्वाधिक भूमिका रही है, लेकिन अब उसके नये राष्ट्रपति की युद्धमुक्त विश्व संरचना की सोच से दुनिया में शांति एवं अमन कायम होगा। युद्ध से कभी किसी का भला नहीं होता। वह सदैव अपने पीछे दुख भरी यादें छोड़कर जाता है। युद्ध से किसी मां का बेटा उसे बिछड़ जाता है, किसी बहन का भाई उससे बिछड़ जाता है, कोई स्त्री अपने पति को खो देती है, कोई बेटी अपने पिता को खो देती है। इस तरह युद्ध केवल जान लेता है। इसके अलावा युद्ध से संपत्ति भी नष्ट होती है एवं विकास अवरूद्ध होता है। इसके विपरीत यदि सब जगह शांति हो, लोग आपस में नहीं लड़ें, देशों में आपस में युद्ध नहीं हो, तो विकास होता है।

ट्रंप ने अमेरिकी राजनीति के तेवर-कलेवर को तो बदला ही है और वह वहां लोकतंत्र को भी बदलने जा रहे हों, तो कोई आश्चर्य नहीं। उनकी टीम के अनेक दिग्गज परिवर्तन के आकांक्षी हैं। न जाने कितने परिवर्तन ट्रंप के शासन में लागू होंगे। उम्मीद करनी चाहिए कि ट्रंप की नई टीम अमेरिकी परंपराओं का यथासंभव निर्वाह करते हुए ही देश को फिर से महान बनाएगी। लेकिन इस बार अमेरिकी परम्पराओं में युद्ध एवं हिंसा के स्थान पर शांति, विकास एवं हथियार मुक्ति के संकल्प होना बड़ी एवं राहतभरी बात है। हालांकि, अमेरिका को महान बनाने के अभियान पर कई सवाल भी हैं। क्या अमेरिकी निर्णायकों ने मान लिया है कि अमेरिका अब महान नहीं रहा? इस अभियान के नाम से तो शायद यही लगता है कि अमेरिकी विचारकों ने अपने देश के महान न रह पाने की वजहों का पता भी लगा लिया है।

उनकी नजर उन अमेरिकी चालाकियों पर भी निस्संदेह पड़ी होगी, जिनकी वजह से अमेरिकियों की अक्सर आलोचना होती है। इन वजहों में युद्ध एवं हथियारों की होड़ बड़ी वजह रही है। अनेक राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध, हिंसा, आतंकमुक्त नये अमेरिका को विकसित करने एवं विश्व में शांति के संकल्प को देखते हुए अमेरिका को शुरू से ही भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे पुराना जीवित लोकतंत्र है, दुनिया में युद्ध एवं आतंक के खिलाफ भारत हमेशा अग्रसर रहा है, युद्ध का अंधेरा मिटाने, शांति का उजला करने एवं अहिंसा-सहजीवन की कामना ही भारत का लक्ष्य रहा है। इसीलिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार युद्ध विराम की कोशिश करते रहे हैं।

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों पर क्या असर होगा, इसे लेकर विशेषज्ञ कई तरह की उम्मीदें जता रहे। जानकारों के मुताबिक, ट्रंप के आने से भारत और अमेरिका के संबंध और गहरे होंगे। चीन को लेकर दोनों देशों की चिंता इन्हें करीब लाएगी। यह ट्रेंड पिछले पांच अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल जैसा ही रहेगा। क्वाड और मजबूत होगा। प्रशासन के कई विभागों में भारत के अच्छे संबंध बनेंगे। राजनीतिक और वैचारिक तालमेल भी अच्छा रहने की उम्मीद की जा रही। इसके साथ ही रक्षा, खुफिया और सुरक्षा मामलों में दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा। टेक्नोलॉजी में सहयोग की संभावनाएं बढ़ने के आसार हैं। सबसे अहम है भारत की युद्ध एवं आतंक मुक्त विश्व बनाने की योजना, इसको लेकर ट्रंप भी आगे आये है जो नये सूरज का अभ्युदय है। लेकिन ट्रंप का नया दौर कहीं मौखिक हमलों या कटु उद्गारों तक ही सीमित न रह जाए। इसके लिये जरूरी है कि वह भारत की शांतिपूर्ण नीतियों एवं योजनाओं को अग्रसर करें। भारत सहित तमाम दुनिया यही उम्मीद करेगी कि ट्रंप दुनिया में चल रहे बड़े युद्धों और छद्म युद्धों को रोकने में सफलता हासिल करें साथ ही आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार रवैया अपनाये ताकि नई उबरती उभरती दुनिया में अमेरिकी सचमुच महानता का वरन कर सके।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
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