क्या बजट आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरेगा ?

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लगातार अपना आठवां बजट पेश करेंगी। यह केंद्रीय बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का अपने तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण वित्तीय बजट होगा। इस बार के बजट से हर सेक्टर की बड़ी उम्मीदें टिकी हुई हैं, इस बजट की घोषणाओं से भविष्य में राष्ट्र किन दिशाओं में आगे बढ़ेगा, उसकी मंशा एवं दिशा अवश्य स्पष्ट होगी। टैक्सपेयर्स भी इस बार वित्तमंत्री से इनकम टैक्स में राहत देने की उम्मीद कर रहा है। मिडिल-क्लास और वेतनभोगियों को भी राहत की उम्मीद है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की एक मौलिक सोच एवं दृष्टि से यह बजट दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये आगे की राह दिखाने वाला होगा। संभावना है कि इस बजट में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे में निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, महिलाओं एवं युवाओं की भागीदारी, मोदी की गारंटियों पर बल दिया जायेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल और सामाजिक विकास की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाने की रफ्तार को भी गति दी जायेगी। यह बजट देश को न केवल विकसित देशों में बल्कि इसकी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर तीसरे स्थान दिलाने के संकल्प को बल देने में सहायक बनेगा।
आम आदमी बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी और घटती खपत के बीच कुछ राहत की उम्मीद लगा रहा है। बजट, शिक्षा, रक्षा, उद्योग, महिलाओं और गरीब वर्गों के लिए सुधारों और प्रोत्साहनों का खाका तैयार करेगा। वित्त मंत्री से उम्मीद की जा रही है कि वे आयकर स्लैब में बदलाव करेंगी, जिससे वेतनभोगियों एवं करदाताओं को राहत मिलेगी। इस समय वेतनभोगी एवं करदाता की 15 लाख रुपये से अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है। सरकार 10 लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री करने और 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी पर 25 प्रतिशत का नया टैक्स स्लैब लाने पर विचार कर रही है। इससे मध्यम वर्ग के लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा।

केंद्र सरकार बजट सत्र 2025 में नया आयकर कानून पेश करने की योजना बना रही है, जो करदाताओं को लाभान्वित करेगा और कर प्रणाली को सरल बनाएगा। इसके अलावा, सरकार इस बार के बजट में शेयर से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने का प्रावधान कर सकती है। इसमें शेयरों से मिलने वाले लाभांश, ब्याज से होने वाली कमाई और पूंजीगत लाभ पर भी टैक्स लगाया जा सकता है।

यह बजट न केवल देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि सामाजिक और तकनीकी विकास की दिशा में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण की भी संभावनाएं हैं। इस बजट से विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और आम जनता को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से की जा सकती हैं। आम आदमी के लिए सबसे पीड़ादायक टैक्स का बोझ है। हालांकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे टैक्स का फ़ैसला समय-समय पर जीएसटी काउंसिल में लिया जाता है, लेकिन सरकार से उम्मीद की जाती है कि वो इन शुल्कों को और तर्कसंगत बनाकर आम लोगों को कुछ राहत दे। अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी पड़ने के कारण निवेशकों में घबराहट है और इसने रोज़गार के अवसरों को भी कम किया है जबकि महंगाई के हिसाब से मज़दूरी और वेतन में बढ़ोतरी नहीं होने से ख़ासकर सीमित आमदनी वाले परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

पिछली तिमाहियों में कंपनियों के निराशाजनक प्रदर्शन ने भी इन हालात को मुश्किल बनाया है। जिससे नौकरी चाहने वाले युवाओं को पर्याप्त संख्या में रोज़गार नहीं मिल पा रहा है। इन सारे कारकों के कारण मध्य वर्ग ने अपने खर्चों में कटौती की है जिससे पिछले कुछ महीनों में उपभोग में गिरावट आई है। इन परेशानियों एवं चिन्ताओं को कम करने में इस बार का बजट राहतभरा होने की उम्मीदे हैं।

बजट में विभिन्न उद्योगों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा से रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। सड़कों, रेल, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के विकास के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बनाई जा सकती है, जिससे लॉजिस्टिक्स में सुधार होगा और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं, जिससे मानव संसाधन का विकास हो सके। महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की जा सकती है, डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं लाई जा सकती हैं।

उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के लिए अतिरिक्त अनुदान दिया जा सकता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और चिकित्सा के क्षेत्र में इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएं लाई जा सकती हैं। “मेक इन इंडिया” पहल के तहत स्वदेशी हथियार निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। साइबर खतरों से निपटने के लिए रक्षा बजट का एक हिस्सा डिजिटल सुरक्षा पर केंद्रित हो सकता है। बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण को गति दी जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए सब्सिडी और बैटरी निर्माण में निवेश बढ़ाने की योजनाएं पेश की जा सकती हैं। “गरीब कल्याण अन्न योजना” का विस्तार कर मुफ्त राशन वितरण को जारी रखा जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर उपलब्ध कराने के लिए बजट बढ़ाया जाएगा।

यह बजट इसलिए विशेष रूप से उल्लेखनीय होगा क्योंकि मोदी सरकार ने देश के आर्थिक भविष्य को सुधारने पर ध्यान दिया, न कि लोकलुभावन योजनाओं के जरिये प्रशंसा पाने अथवा कोई राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। राजनीतिक हितों से ज्यादा देशहित को सामने रखने की यह पहल अनूठी है, प्रेरक है। अमृत काल का विजन तकनीक संचालित और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। मोदी के विजन में जहां ‘हर हाथ को काम’ का संकल्प साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है। श्रम शक्ति की ओर ज्यादा तवज्जों देने की जरूरत है। बहुत सारे लोग औसत से अधिक कमाते हैं और बहुत सारे लोग कम। देखना यह है कि आम आदमी को कितना लाभ पहुंचता है। उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण के बजट से क्या-क्या निकलता है।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का मानक उस देश की जीडीपी होती है और बीते 12 वर्षों में भारत की जीडीपी ने तेज उछाल दर्ज की है। तमाम चुनौतियों को पार करते हुए अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से अधिक विकास दर से दौड़ने की अपेक्षा है। तमाम तरह की अनुकूलताओं एवं गुलाबी अर्थ रंगों के बावजूद हमें आर्थिक गति की बाधाओं पर भी ध्यान देना होगा। निजी बचत को बढ़ाये बगैर विकास की तेज रफ्तार का टिके रहना मुश्किल होगा। इसलिए इस ओर अभी से ध्यान देना जरूरी है। श्रम-शक्ति में महिलाओं की कम भागीदारी आर्थिक ही नहीं सामाजिक और अन्य दृष्टियों से भी चिंता की बात है। इस मामले में हम पड़ोस के बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे हैं।

एक फरवरी को होने वाली आर्थिक घोषणाओं को चाहे जो नाम दिया जाये, उनसे वह दशा एवं दिशा स्पष्ट होनी चाहिए कि भविष्य के लिये हम कौनसी राह पकडने वाले हैं। हम किस तरह से आदिवासी समुदाय के उन्नयन के लिये प्रतिबद्ध होंगे। भारत की अर्थव्यवस्था के उन्नयन एवं उम्मीदों को आकार देने की दृष्टि से हम किस तरह से मील का पत्थर साबित होंगे। किस तरह से समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था का जो नक्शा सामने आयेगा वह इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाला साबित होगा, जिससे शहर एवं गांवों के संतुलित विकास पर बल मिल सकेगा। जिससे नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी बलशाली बन सकेगा। सच्चाई यही है कि जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। अक्सर बजट में राजनीति, वोटनीति तथा अपनी व अपनी सरकार की छवि-वृद्धि करने के प्रयास ही अधिक दिखाई देते है लेकिन मोदी सरकार के बजट राजनीति प्रेरित नहीं  होकर राष्ट्र प्रेरित रहे है।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
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