शांति की संस्कृति एवं समझ को विकसित करने जरूरत

-विश्व शांति और समझ दिवस- 23 फरवरी, 2025-

एक शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण, विविध संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों के बीच सद्भाव, करुणा और सहयोग की स्थायी भावना की अपेक्षा को आकार देने के लिये हर वर्ष विश्व शांति एवं समझ दिवस 23 फरवरी को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह अवसर मानवीय सेवा, शांति और सद्भावना के प्रतीक रोटरी इंटरनेशनल की संस्थापक बैठक से जुड़ा है, जो एक अधिक समावेशी और शांतिपूर्ण दुनिया को बढ़ावा देने के लिए दुनिया में सामूहिक जिम्मेदारी का एक मार्मिक अनुस्मारक एवं महा अनुष्ठान है। साल 2025 में इस दिवस का उद्देश्य दुनियाभर में शांति और समझ को बढ़ावा देते हुए शांति की संस्कृति का विकास करना है।

यह विषय एक ऐसी दुनिया की दिशा में सक्रिय रूप से काम करने के महत्व पर जोर देता है जहाँ शांति की समझ केवल एक आकांक्षा नहीं बल्कि हमारे दैनिक जीवन, व्यवहार और बातचीत का एक हिस्सा हो। यह दुनिया में संघर्ष को रोकने के लिए विभिन्न संस्कृतियों और दृष्टिकोणों के लिए सहानुभूति और सम्मान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है एवं शांति की संस्कृति को विकसित करने के लिए व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों से सामूहिक प्रयास की आवश्यकता को उजागर करता है। दुनिया में प्रेम-भाईचारा और शांति को बनाए रखना एवं हिंसारहित दुनिया निर्मित करना भी इस दिवस का ध्येय है।

रोटरी इंटरनेशनल की यात्रा 1905 में पॉल पी. हैरिस के साथ शुरू हुई, जिन्होंने राजनीति और धर्म की सीमाओं से परे विभिन्न पृष्ठभूमि के पेशेवरों को शामिल करते हुए एक भाईचारे एवं बंधुत्व भावना की कल्पना की थी। यह दृष्टिकोण पहले रोटरी क्लब में साकार हुआ, जिसे आधिकारिक तौर पर 1908 में शामिल किया गया था, जिससे एक ऐसे आंदोलन की शुरुआत हुई जिसने अंततः एक वैश्विक आयाम ग्रहण किया। पहले प्रमुख अमेरिकी शहरों और बाद में दुनियाभर में रोटरी क्लबों की स्थापना ने 1925 तक रोटरी इंटरनेशनल के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की, आज, 200 से अधिक देशों और भौगोलिक क्षेत्रों में फैले 46,000 से अधिक क्लबों में 1.4 मिलियन से अधिक सदस्यों के साथ, रोटरी इंटरनेशनल मानवीय सेवा में वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है।
आज जबकि पूरी दुनिया युद्ध, हिंसा, आतंक एवं क्रूरता से त्रस्त है, इन जटिल एवं विषम परिस्थितियों में दुनिया में शांति की समझ पैदा करना पूरी मानव जाति का कर्तव्य है।

समाज में समझ से ही शांति स्थापित की जा सकती है। इसके लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्तकता है। इसके विपरीत यदि, पूरी दुनिया के लोग एक दूसरे को घृणा, द्वेष और नफरत की दृष्टि से देखेंगे तो उसका परिणाम युद्ध औऱ विनाश के रूप में सामने आएगा। संघर्ष, अविश्वास, गलतफहमी और विद्रोह समाज को बांटता है और उसे एक अन्नत संघर्ष की खाई में धकेल देता है। अविश्वास, अहंकार एवं महत्वाकांक्षाएं समाज को गलतफहमी, विद्रोह, लड़ाई और संघर्ष की ओर ले जाती है। इसलिए समाज में विश्वास और शांति स्थापित करने के लिए सभी मनुष्यों को एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोगी के रूप में कार्य करना होगा। यह दिवस दुनिया की सबसे गंभीर चुनौतियों से निपटने में सामूहिक कार्रवाई की शक्ति की याद दिलाता है। यह हमें अपने मतभेदों से परे देखने और सभी के लिए शांति, समृद्धि और कल्याण के सामान्य लक्ष्यों की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सामुदायिक सेवा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नैतिक मानकों को बढ़ावा देने के माध्यम से, विश्व शांति और समझ दिवस स्थायी शांति प्राप्त करने में सद्भावना के महत्व को रेखांकित करता है।

मनुष्य, पशु, पक्षी, कीड़े, मकोड़े आदि सभी जीना चाहते हैं। कोई मरने की इच्छा नहीं रखता। जब कोई मृत्यु चाहता ही नहीं, तो उस पर उसको थोपना कहां का न्याय है। शांति, सहजीवन एवं अहिंसा में विश्वास रखने वाले लोग किसी प्राणी को सताते नहीं, मारते नहीं, मर्माहत करते नहीं, बल्कि एक दूसरे का सहयोग करते हुए एक उन्नत दुनिया का निर्माण करते हैं। शांति की समझ है स्वयं के साथ सम्पूर्ण मानवता को ऊपर उठाने में, आत्मपतन से बचने में और उससे किसी को बचाने में। अशांति अंधेरा है और शांति उजाला है। आंखें बंद करके अंधेरे को नहीं देखा जा सकता। इसी प्रकार अशांति से शांति को नहीं देखा जा सकता। शांति को देखने के लिए आंखों में अहिंसा, करूणा एवं प्रेम का उजाला आंजने की अपेक्षा है। पृथ्वी, आकाश व सागर सभी अशांत हैं। स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है। यूँ तो ‘विश्व शांति’ का संदेश हर युग और हर दौर में दिया गया है, लेकिन विश्व युद्ध की संभावनाओं के बीच इसकी आज अधिक प्रासंगिकता है। अपनों का साथ स्वर्ग है तो शत्रुओं का साथ नरक। प्रेम व मित्रता की ओर बढ़ना, स्वर्ग की ओर बढ़ना है। वैर व घृणा की ओर कदम बढ़ाना अपने नरक को खड़ा करना है। स्वर्ग में रहना है या फिर नरक में, ये चुनाव हमारा अपना है। लेकिन इस दृष्टि से यह विश्व शांति और समझ दिवस अधिक प्रासंगिक है और हमारी शांति की समझ को व्यापक बनाता है।

इजराइल और हमास में युद्ध विराम समझौते के बाद दुनिया चाहती है कि रूस एवं यूक्रेन के बीच लम्बे समय से चल रहा युद्ध भी समाप्त हो, यह शांतिपूर्ण उन्नत विश्व संरचना के लिये नितांत अपेक्षित है। क्योंकि ऐसे युद्धों से युद्धरत देश ही नहीं, समूची दुनिया पीड़ित, परेशान एवं प्रभावित होती है। इस तरह युद्धरत बने रहना खुद में एक असाधारण और अति-संवेदनशील मामला है, जो समूची दुनिया को विनाश एवं विध्वंस की ओर धकेलने देता है। ऐसे युद्धों में वैसे तो जीत किसी की भी नहीं होती, फिर भी इन युद्धों का होना विजेता एवं विजित दोनों ही राष्ट्रों को सदियों तक पीछे धकेल देता, इससे भौतिक हानि के अतिरिक्त मानवता के अपाहिज और विकलांग होने के साथ बड़ी जनहानि का भी बड़ा कारण बनता है।

इसी तरह अनेक राष्ट्र आतंकवाद से त्रस्त है। इन विकट एवं विकराल होती स्थितियों के बीच इस साल विश्व शांति और समझ दिवस की 118वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इन वर्षों के दौरान पूरी दुनिया ने विश्व शांति और सद्भावना को लेकर लंबा रास्ता तया किया है। वहीं दुनिया भर के लोगों में सद्भावना, शांति और समझ विकसित करने के लिए अभी और लंबा रास्ता तय करना है। रोटरी क्लब अपने सदस्यों को, स्थानीय क्लबों के स्तर पर किए गए कार्यों से, स्थानीय और विश्व समुदाय की सेवा करने का अवसर प्रदान करता है। इसका ध्येय है- सत्य, न्याय, लोगों के बीच संबंधों में सुधार और विश्व शांति। उम्मीद है कि इसका नतीजा युद्धों के अंत के रूप में सामने आएगा।

आज कई लोगों का मानना है कि विश्व शांति को सबसे बड़ा खतरा साम्राज्यवादी आर्थिक और राजनीतिक कुचेष्टाओं से है। विकसित देश युद्ध की स्थिति उत्पन्न करते हैं, ताकि उनके सैन्य साजो-समान बिक सकें। यह एक ऐसा कड़वा सच है, जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता। आज सैन्य साजो-सामान उद्योग विश्व में बड़े उद्योग के तौर पर उभरा है। हिंसा, आतंक एवं अशांति विश्व की ज्वलन्त समस्याएं हैं। अहिंसा, करूणा एवं शांति ही इन समस्याओं का समाधान है। अहिंसा सव्वभूयखेमंकरी-विश्व के समस्त प्राणियों का कल्याण करने वाली तेजोमयी अहिंसा की ज्योति पर जो राख आ गई, उसे दूर करने के लिए तथा अहिंसा की शक्ति पर लगे जंग को उतार कर उसकी धार को तेज करने के लिए अहिंसक एवं शांतिपूर्ण समाज रचना की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया में विश्वशांति एवं अहिंसा की स्थापना के लिये प्रयत्नशील है, समूची दुनिया भारत की ओर आशाभरी नजरों से देख रही है कि एक बार फिर शांति एवं अहिंसा का उजाला भारत करें। कुछ लोग कह सकते है-ंएक दिन विश्व शांति और समझ दिवस मना भी लिया तो क्या हुआ? लेकिन ऐसे दिवस की बहुत सार्थकता है, उपयोगिता है, इससे अंतर-वृत्तियां उद्बुद्ध होंगी, अंतरमन से शांति की समझ को अपनाने की आवाज उठेगी और हिंसा, अशांति, तनाव एवं में लिप्त मानवीय वृत्तियों में शांति की समझ आएगी।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »