गंगा नदी भारत की आत्मा और संस्कृति की पहचान है, लेकिन अति-शोषण और प्रदूषण ने इसे संकट में डाल दिया था। इसे पुनः स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए, केंद्र सरकार ने 2014 में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम की शुरुआत की। यह एक समग्र संरक्षण मिशन है, जिसे 20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ प्रारंभ किया गया और बाद में इसे 22,500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य गंगा के प्रदूषण को कम करना और इसके पवित्र स्वरूप को पुनर्स्थापित करना है।

गंगा नदी बेसिन: विशालता और महत्व
गंगा नदी बेसिन भारत का सबसे बड़ा नदी बेसिन है, जो 27% भूभाग को कवर करता है और लगभग 47% जनसंख्या को जीविका प्रदान करता है। कृषि, जल आपूर्ति, आध्यात्मिकता और जैव विविधता के लिए गंगा अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन, यह दुनिया के सबसे प्रदूषित नदी बेसिनों में से एक भी बन गई थी, जिसके कारण इसका संरक्षण अनिवार्य हो गया।
‘नमामि गंगे’ मिशन के प्रमुख लक्ष्य
- प्रदूषण उपशमन (निर्मल गंगा) – औद्योगिक कचरे और सीवेज ट्रीटमेंट के माध्यम से प्रदूषण को नियंत्रित करना।
- नदी प्रवाह और पारिस्थितिकी में सुधार (अविरल गंगा) – नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखते हुए पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत बनाना।
- जन-नदी कनेक्शन (जन गंगा) – समुदायों को गंगा संरक्षण में शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
- अनुसंधान और नीति निर्माण (ज्ञान गंगा) – वैज्ञानिक अनुसंधान और नीतियों के आधार पर गंगा संरक्षण के लिए समाधान विकसित करना।

कार्यक्रम की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ (31 जनवरी 2025 तक)
- 492 परियोजनाएँ शुरू की गईं, जिनमें से 307 पूरी हो चुकी हैं।
- 206 सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हुई, जिसमें से 127 पहले ही कार्यशील हो चुकी हैं।
- 56 जैव विविधता और वनीकरण परियोजनाएँ चलाई गईं, जिनमें से 39 सफलता पूर्वक पूरी हो चुकी हैं।
- गंगा नदी के किनारे 33,024 हेक्टेयर में वनरोपण किया गया, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हुआ।
- 143.8 लाख भारतीय मेजर कार्प मछलियों को नदी में छोड़ा गया, जिससे नदी की जैव विविधता को पुनर्जीवित किया गया।
- औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए 3 बड़े कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) स्थापित किए गए।
गंगा की स्वच्छता के लिए नई योजनाएँ
- वाराणसी में 274.31 करोड़ रुपये की लागत से दुर्गा नाले को रोकने एवं 60 MLD सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण।
- भदोही में 127.26 करोड़ रुपये की लागत से वरुणा नदी में अनुपचारित सीवेज को रोकने हेतु तीन STP और चार नालों को टैप करने की परियोजना।
- उत्तर प्रदेश के 7 जिलों में जैव विविधता पार्क और 5 आर्द्रभूमि परियोजनाएँ स्वीकृत।
- शहरी क्षेत्रों में उपचारित जल के पुनः उपयोग के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा तैयार।
- गंगा तट पर मछुआरों की आजीविका सुधारने और जैव विविधता संरक्षण हेतु विभिन्न कार्यक्रम।
‘नमामि गंगे’ मिशन ने गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने और इसे पुनः स्वच्छ व प्रवाहमान बनाने में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार और समाज के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गंगा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्ता को पुनः प्राप्त करे। यह पहल केवल नदी की सफाई तक सीमित नहीं, बल्कि एक समग्र पारिस्थितिक और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक भी है।
इस राष्ट्रीय प्रयास में सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि गंगा का स्वच्छ और अविरल प्रवाह भविष्य की पीढ़ियों तक बना रहे।