नई दिल्ली में कल शाम विद्युत मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री मनोहर लाल ने की। लोकसभा और राज्यसभा के विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने इसमें भाग लिया। बैठक का मुख्य विषय था “राष्ट्रीय विद्युत योजना – ट्रांसमिशन”, जिसमें देश की विद्युत पारेषण प्रणाली को सशक्त बनाने पर व्यापक चर्चा हुई।

वर्ष 2047 के विकसित भारत लक्ष्य में बिजली की अहम भूमिका
बैठक में श्री मनोहर लाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विद्युत क्षेत्र की मज़बूती अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय विद्युत योजना (2023-2032) के तहत देश में आवश्यक विद्युत पारेषण प्रणाली को विस्तारित करने की रूपरेखा तैयार की गई है, ताकि बिजली की बढ़ती मांग और उत्पादन क्षमता में वृद्धि के अनुरूप समुचित ढांचा तैयार किया जा सके।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सशक्त विद्युत पारेषण प्रणाली से ऊर्जा उत्पादन क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे बिजली की निर्बाध और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित होगी। एनईपी-पारेषण (National Electricity Plan – Transmission) के तहत अगले दस वर्षों में 1.91 लाख सीकेएम विद्युत पारेषण लाइनों और 1274 जीवीए परिवर्तन क्षमता को जोड़े जाने की योजना है।
राष्ट्रीय विद्युत योजना: पारेषण के विस्तार की दिशा में बड़ा कदम
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा तैयार राष्ट्रीय विद्युत योजना-पारेषण में वर्ष 2031-32 तक की विस्तृत विद्युत पारेषण योजना को शामिल किया गया है। यह योजना अक्टूबर 2024 में जारी की गई थी। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3 के अनुसार, CEA को राष्ट्रीय विद्युत नीति के अनुरूप राष्ट्रीय विद्युत योजना तैयार करनी होती है।
नई तकनीक और साइबर सुरक्षा पर भी हुई चर्चा
बैठक में केवल विद्युत पारेषण के विस्तार पर ही नहीं, बल्कि आरओडब्ल्यू (मार्ग का अधिकार), नई पारेषण तकनीकों, और साइबर सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर भी गहन चर्चा की गई। सांसदों ने देश के विद्युत पारेषण नेटवर्क को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए और सरकार की इस दिशा में की जा रही पहलों की सराहना की।
मंत्री ने सांसदों के सुझावों को प्राथमिकता देने का दिया निर्देश
बैठक के समापन पर श्री मनोहर लाल ने सभी प्रतिभागियों के बहुमूल्य सुझावों के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने विद्युत मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि सांसदों द्वारा दिए गए सुझावों को नीति निर्माण में शामिल किया जाए और जनहित को प्राथमिकता देते हुए उचित कार्रवाई की जाए।
यह बैठक देश की विद्युत प्रणाली को और अधिक सशक्त और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।