भारत में अगरबत्ती निर्माण उद्योग में बाल श्रम एक गंभीर चिंता का विषय रहा है, लेकिन अब यह समस्या तेजी से घट रही है। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और बिहार में यह क्षेत्र बाल श्रम से लगभग मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

‘फ्रैग्रेंस ऑफ अगरबत्ती: इंडियाज़ इनसेंस स्टिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में बाल श्रम की स्थिति’ नामक अध्ययन को इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन (ICP) ने किया। इस अध्ययन में 82% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने अपने क्षेत्र में अगरबत्ती उद्योग में बाल श्रम नहीं देखा, जबकि केवल 8% ने इसके विपरीत बयान दिया। ICP, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (JRC) का एक भागीदार है, जो 416 जिलों में 200 से अधिक एनजीओ के नेटवर्क के साथ बाल अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करता है।
इस अध्ययन में शामिल संगठनों में अनेकल रिहैबिलिटेशन एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सेंटर, मार्गदर्शी सोसायटी, स्पंदना एसोसिएशन, प्रयास जेएसी सोसायटी, जनकल्याण वेलफेयर सोसायटी, रूरल एजुकेशन एंड लिबर्टी, समंथा सोसायटी फॉर रूरल एजुकेशन और सोसायटी फॉर एजुकेशन एंड एनवायरनमेंट डेवलपमेंट प्रमुख रूप से शामिल थे।
JRC के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने इस सकारात्मक बदलाव पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, “यह निष्कर्ष देश के लिए बेहद उत्साहजनक है और यह संकेत देता है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इन तीन राज्यों में बाल श्रम में लगातार गिरावट दिख रही है, जो हाल के नीतिगत प्रयासों और केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। अब हमें सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज और उद्योग जगत के संयुक्त प्रयासों को मजबूत करना होगा ताकि भारत को पूरी तरह बाल श्रम मुक्त बनाया जा सके।”
अध्ययन के लिए विशेष रूप से कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर और कोलार, बिहार के गया और आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीता राम राजू, अनाकापल्ली, चित्तूर और श्री सत्य साई जिलों का चयन किया गया। शोधकर्ताओं ने इन क्षेत्रों का दौरा कर स्थानीय निवासियों, समुदाय के नेताओं और उद्योग से जुड़े लोगों से बातचीत कर विस्तृत डेटा एकत्र किया।
हालांकि यह सकारात्मक प्रवृत्ति तीनों राज्यों में दिख रही है, फिर भी क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग आंकड़े सामने आए। बिहार में 96% लोगों ने कहा कि उन्होंने अगरबत्ती उद्योग में बाल श्रम नहीं देखा, जबकि कर्नाटक में 61% और आंध्र प्रदेश में 77% लोगों ने बाल श्रम न होने की पुष्टि की।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी कि अगरबत्ती निर्माण में इस्तेमाल होने वाले धूल, जहरीले रसायनों और भारी धातुओं के संपर्क में आने से सांस और तंत्रिका तंत्र की बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याएं, मानसिक विकार और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
भारत अगरबत्ती निर्माण उद्योग में बाल श्रम को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। इस बदलाव को स्थायी बनाने के लिए अब सभी हितधारकों को मिलकर प्रयास करने होंगे।