नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की करुणामय शासन पर केंद्रित आरडीजीई श्रृंखला में अपने प्रेरक विचार साझा किए। यह विशेष सत्र ईपीएफओ की प्रमुख प्रशिक्षण अकादमी पीडीयूएनएएसएस द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर के अधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।

‘शासन की पुनर्कल्पना : उत्कृष्टता के लिए चर्चा’ (आरडीजीई) श्रृंखला की शुरुआत वर्ष 2023 में सुशासन दिवस के अवसर पर की गई थी। यह मंच सार्वजनिक प्रशासन में उत्कृष्टता और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने वाले विचारों का केंद्र बन चुका है। उल्लेखनीय है कि यह इस श्रृंखला का सत्रहवां संस्करण था, जो लगातार अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहा है।
श्री कैलाश सत्यार्थी ने जयपुर स्थित बाल आश्रम से अपने उद्बोधन में करुणामय शासन की अनिवार्यता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रशासन में सहानुभूति, गहन श्रवण और नैतिक जवाबदेही को अपनाना ही सशक्त और भरोसेमंद संस्थानों की नींव रखता है। उन्होंने आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों के क्षरण पर चिंता जताते हुए शासन प्रणाली में कृतज्ञता और मानवीय संबंधों को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर श्री अजीत कुमार, अपर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (राजस्थान) ने श्री सत्यार्थी को सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त श्री रमेश कृष्णमूर्ति ने की, जबकि संचालन पीडीयूएनएएसएस के निदेशक श्री कुमार रोहित और आरपीएफसी-I श्री उत्तम प्रकाश ने संभाला।
अपने समापन भाषण में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने सभी अधिकारियों से अपील की कि वे अपने कार्यक्षेत्र में करुणा से प्रेरित कम से कम एक ऐसा निर्णय लें, जो इस सत्र से मिली गहरी सीख को धरातल पर उतारे।
आरडीजीई श्रृंखला न केवल विचार नेतृत्व को सशक्त करती है, बल्कि ईपीएफओ में मूल्य-आधारित प्रशासन और क्षमता निर्माण की दिशा में भी एक अहम कदम है।