प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज केरल के तिरुवनंतपुरम में 8,800 करोड़ रुपये की लागत से बने विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय डीप-वाटर बहुउद्देशीय बंदरगाह को राष्ट्र को समर्पित कर इतिहास रच दिया। भगवान आदि शंकराचार्य की जयंती के शुभ अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने केरल की धरती को श्रद्धापूर्वक नमन किया। उन्होंने बताया कि उन्हें विगत वर्षों में आदि शंकराचार्य के पवित्र जन्मस्थान और केदारनाथ धाम में उनकी दिव्य प्रतिमाओं के अनावरण का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमाएं हमारे महान ऋषि के अद्वितीय ज्ञान और शिक्षाओं के प्रति हमारी गहरी आस्था का प्रतीक हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन भी विशेष महत्व रखता है क्योंकि केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए हैं। उन्होंने आदि शंकराचार्य के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि केरल से निकलकर उन्होंने पूरे देश में मठों की स्थापना की और भारत की आत्मा को एकसूत्र में बांधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज केरल के इस ऐतिहासिक बंदरगाह का उद्घाटन उसी सांस्कृतिक एकता और आर्थिक प्रगति की कड़ी है।
उन्होंने बताया कि विझिंजम डीप-वाटर पोर्ट, जो प्राकृतिक रूप से लगभग 20 मीटर गहरे पानी में स्थित है, अब भारत के समुद्री विकास के नए युग का प्रतीक बन गया है। यह बंदरगाह न केवल केरल बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले भारत का 75% ट्रांसशिपमेंट विदेशी बंदरगाहों पर होता था, जिससे देश को बड़े पैमाने पर राजस्व हानि होती थी। लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है। विझिंजम पोर्ट देश को आत्मनिर्भर बनाएगा और केरल के लिए रोजगार और आर्थिक अवसरों के नए द्वार खोलेगा।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि औपनिवेशिक युग से पहले भारत समुद्री शक्ति के रूप में समृद्ध था। केरल ने इस समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि केरल के बंदरगाहों से भारत ने विश्व के कई देशों से व्यापारिक रिश्ते बनाए थे। आज भारत सरकार उसी समुद्री सामर्थ्य को पुनः स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि भारत के तटीय राज्य और बंदरगाह शहर देश के आर्थिक विकास में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।
प्रधानमंत्री ने बताया कि सागरमाला परियोजना और पीएम गति शक्ति योजना के माध्यम से सरकार ने बंदरगाहों की कनेक्टिविटी को अभूतपूर्व स्तर तक मजबूत किया है। नतीजतन, बंदरगाहों पर जहाजों के टर्न-अराउंड टाइम में 30% की कमी आई है और भारत की लॉजिस्टिक्स क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना किया है और अब देश वैश्विक जहाज निर्माण में भी अग्रणी बन रहा है।
उन्होंने ‘समुद्री अमृत काल विजन’ की भी घोषणा की, जो विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में केरल की भूमिका अहम होगी और इससे राज्य में वैश्विक निवेश व विकास को नया बल मिलेगा।
निजी क्षेत्र की भागीदारी की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए भारत के बंदरगाहों को वैश्विक मानकों तक पहुंचाया गया है। कोच्चि में जहाज निर्माण और मरम्मत क्लस्टर की स्थापना से केरल में रोजगार और उद्यमिता को नए पंख लगेंगे। उन्होंने बताया कि बड़े जहाजों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नई नीति पेश की है, जिससे एमएसएमई सेक्टर को सीधा लाभ होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सच्चे विकास का अर्थ है बुनियादी ढांचे का विस्तार, व्यापार का विस्तार और जनता की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति। उन्होंने उल्लेख किया कि केरल में न केवल बंदरगाहों बल्कि राजमार्गों, रेलवे और एयरपोर्ट्स में भी तेज़ प्रगति हुई है। वंदे भारत ट्रेनों और कोल्लम-अलप्पुझा बाईपास जैसी परियोजनाएं इसकी गवाही देती हैं।
मछुआरों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नीली क्रांति और मत्स्य संपदा योजना के तहत केरल के मछुआरों को व्यापक समर्थन दिया जा रहा है। मछली पकड़ने के बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी पहलें मछुआरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
प्रधानमंत्री ने केरल की सामाजिक समरसता की सराहना की और सेंट थॉमस चर्च जैसे ऐतिहासिक स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भूमि सहिष्णुता और सौहार्द्र की प्रतीक रही है। उन्होंने पोप फ्रांसिस के हालिया निधन पर श्रद्धांजलि दी और उनकी सेवा भावना को याद किया।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि केरल के लोग निस्संदेह भारत के समुद्री क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे। उन्होंने सभी नागरिकों को इस महान उपलब्धि के लिए बधाई दी और भविष्य में निरंतर प्रगति की शुभकामनाएं दीं।