बिलासपुर। जाब हेतु विभिन्न पदों पर होने वाले एक्जाम की तैयारियां में लगे स्टूडेंट प्रायः कुछ कोचिंग सेंटरों के भ्रमित करने वाले आकर्षक एड के जाल में फंस जाते हैं। जबकि हकीकत इसके कोसों दूर होती है।शहर में सीजी पीएससी, यूपीएससी, नेट, स्लेट, सिविल जज, एडीपीओ, व्यापम आदि भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं का गढ़ है। नगर का गांधी चौक कोचिंग संस्थानों का हब माना जाता है। यहां बड़ी संख्या में कॉम्प्लेक्स व बिल्डिंगों में कई कोचिंग सेंटर संचालित हैं। कई कोचिंग संस्थानों के खुद के भवन हैं और कई कोचिंग किराए के भवनों में संचालित है। प्रदेश भर के युवा यहां आकर भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। लेकिन अब नगर के कोचिंग सेंटरों की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। अधिकांश कोचिंग इंस्टिट्यूट स्टूडेंट को भ्रमित करने वाले विज्ञापन देकर अपनी और आकर्षित करने का प्रयास करते हैं अपने कोचिंग इंस्टिट्यूट से कोचिंग प्राप्त करने वाले अधिकांश स्टूडेंट को गलत तरीके से बताया जाता है कि हमारे यहां से अधिक संख्या में आईएएस आईपीएस और अधिकारी पदों में स्टूडेंट सिलेक्ट होते हैं। मेन रोड पर चल रहे अधिकांश कोचिंग सेंटर का आलम यह है कि वहां पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं हैं, स्टूडेंट रोड पर वाहन पार्क करने मजबूर हैं। न यहां ऐसी सुविधा है। जिससे सुरक्षित और पढ़ाई के वातावरण में प्रतियोगी स्टूडेंट अपनी समुचित तैयारी कर सकें।हैरत की बात यह है कि नगर निगम के पास कोचिंग सेंटर की संख्या, वहां फायर फायटिंग, पार्किंग की व्यवस्था और कंप्लिशन सर्टिफिकेट आदि का ब्यौरा नहीं है। यानी कोई हादसा हो जाए तो रेस्क्यू में भी मुश्किल आएगी।छात्रों के बीच कोचिंग कल्चर के बढ़ते चलन के बीच सरकार ने कई कोचिंग सेंटर्स को नोटिस थमाया है। सरकार ने कोचिंग सेंटरों को सख्त आदेश दिए हैं कि उन्हें किसी भी स्थिति में भ्रामक दावे नहीं करने चाहिए और न ही छात्रों को सफलता की गारंटी का प्रलोभन देना चाहिए।
भ्रमित करने वाले एड का दुस्प्रभाव
1 . शिक्षा का व्यवसायीकरण-कोचिंग सेंटरों का बढ़ता व्यवसायीकरण शिक्षा को एक व्यवसाय में बदल देता है, जहां लाभ को शिक्षा की गुणवत्ता से अधिक महत्व दिया जाता है।
2. छात्रों पर दबावः कोचिंग सेंटरों में छात्रों पर अकादमिक प्रदर्शन के लिए भारी दबाव डाला जाता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
3 . समाज में असमानताः कोचिंग सेंटरों की उच्चफीस गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को इन सेवाओं से वंचित कर देती है, जो समाज में असमानता को बढ़ावा देती है।
सीसीपीए ने दिया कोचिंग सेंटर्स को निर्देश
सरकार ने जेईई और नीट की तैयारी कराने वाले कई संस्थानों को यहद निर्देश दिए हैं कि उपभोक्ताओं से किसी भी तरह की जानकारी को छिपाना गलत है, और यह व्यापार करने की अनुचित प्रक्रिया का हिस्सा है। सरकार ने कानूनों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए कई कोचिंग केंद्रों को नोटिस जारी किया है। सरकार ने कहा है कि कई कोचिंग संस्थान शीर्ष संस्थानों में प्लेसमेंट और चयन की गारंटी देते हैं। साथ ही वे जेईई/नीट में रैंक सुनिश्चित करने की भी बात करते हैं और कई अहम जानकारियां छिपाते हैं जो उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
बता दें कि कोचिंग सेंटर लाभ कमाने वाले व्यवसाय हैं और इसीलिए उन्हें आनिवार्य रूप से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का पालन करने का आदेश दिया गया है। वहीं केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने एक बयान में कहा कि हाल ही में आईआईटी-जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के परिणामों की घोषणा के बाद यह देखा गया है कि कोचिंग सेंटर ‘कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम, 2024’ में दर्ज दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। सीसीपीए ने जोर दिया है कि कोचिंग केंद्रों को सफलता की गारंटी का आश्वासन देने से बचना चाहिए। कोचिंग केंद्रों को अपने विज्ञापनों में यह भी खुलासा करना चाहिए कि विज्ञापित छात्र ने कोर्स के लिए भुगतान किया गया था या नहीं। गौरतलब है कि सरकार ने बीते 13 नवंबर, 2024 को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए थे।
किराए के भवनों में चल रहे
शहर के कई कोचिंग सेंटर किराए के भवनों में संचालित हैं। प्रदेश भर के युवा यहां आकर भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। जिसके लिए वे हॉस्टलों में रूम लेकर रहते हैं। गांधी चौक के अलावा शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी कई कोचिंग संचालित हैं।
कोचिंग की सच्चाई कलेक्टर ने बताई
कलेक्टर अवनीश शरण प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार मोटिवेट और टिप्स देते रहते हैं। गत दिनों उन्होंने दिल्ली के कोचिंग सेंटरों की सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक सच्चाई बताई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार जब वह मुखर्जी नगर दिल्ली के एक बड़े कोचिंग संस्थान पहुंचे तो संचालक ने उन्हें मोटिवेट करने के बजाय उल्टे उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि जानने के बाद कहा कि “तुम्हारा इस साल प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं होगा। सेंटर संचालक ने उसकी संस्थान में दो साल का कंप्लीट पैकेज लेने की बात कही।
व्यवसायीकरण असल समस्या
इन बिन्दुओं पर होगी जांच
कलेक्टर ने कोचिंग सेंटर के जांच के लिए कमेटी बना दी है। बनाई गई कमेटी में जिन पांच बिन्दुओं पर जांच होती है। वह इस प्रकार हैं।1.कोचिंग सेंटर में सुरक्षा मानकों के अनुपालन की स्थिति, 2-भवन अनुज्ञा का अनुपालन, 3- फायर एग्जिट की व्यवस्था, 4- कोचिंग संस्थान में प्रवेश एवं निकाय द्वारा की गई पर्याप्त व्यवस्था, 5- आकस्मिक स्थिति से निपटने की व्यवस्था क्या की गई?
छत्तीसगढ़ के कोचिंग हब में नगर भी
प्रदेश में दुर्ग भिलाई जिस तरह से इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले गढ़ हैं, ठीक उसी प्रकार बिलासपुर पीएससी, यूपीएससी, नेट, स्लेट, सिविल जज, एडीपीओ, व्यापम आदि भर्ती परीक्षाओं की तैयारियां करवाने वाला गढ़ है।
4300 वर्ग फुट बिल्ट अप एरिया में फायर फायटिंग जरूरी
किसी भी व्यावसायिक भवन संचालन के लिए 4300 वर्ग फुट से अधिक बिल्ट अप एरिया वाले कोचिंग सेंटर या अन्य भवनों में फायर फायटिंग जरूरी है। वंही ऐसे भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग मैनेजमेंट का होना भी उतना ही आवश्यक है।इसकी अनुमति के बिना किसी भी भवन को कंप्लिशन सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता।
सुरेश शर्मा
बिल्डिंग ऑफिसर
नगर निगम बिलासपुर
विडम्बना तो यह है कि निगम के पास इसका ब्यौरा ही नहीं कि कितने भवनों के कंप्लिशन सर्टिफिकेट नहीं हैं। निगम को पता नहीं है कि कितने कोचिंग सेंटर नियमों का पालन नहीं है कर रहे हैं। ऐसा में निगम किसके खिलाफ कार्रवाई करेंगी।
बेसेमेंट पार्किंग में कोचिंग खोल दिया
नगर के एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने हद पार करते हुए बेसमेंट पार्किंग में ही कोचिंग सेंटर खोल दिया है। शहर में सुरक्षा मानकों की अवहेलना करने वाले कोचिंग सेंटर की संख्या पूछने पर नगर निगम के अपर आयुक्त खजांची कुम्हार का कहना है कि इसका सर्वे कराया जा रहा है। बिल्डिंग सेक्शन से इसकी पूरी जानकारी मंगाई जा रही है।
शहर में 130 कोचिंग सेंटर, सुरक्षा मानकों का पालन नहीं
शहर भर में कोचिंग सेंटरों की संख्या करीब 130 हैं। ज्यादातर कोचिंग सेंटर राजेंद्र नगर रोड से लेकर गांधी चौक, दयालबंद रोड यानी मेन रोड पर चल रहे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन अधिकांश 130 कोचिंग सेंटरों में से सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से अवहेलना किया जा रहा है।
