स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में स्वच्छता के नए प्रतिमान स्थापित हो रहे हैं। यह केवल सतही सफाई की बात नहीं है, बल्कि वायु, जल और धरती – तीनों तत्वों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं और उन्हें धरातल पर उतारा भी जा रहा है। गीले-सूखे कचरे को उत्पादों में परिवर्तित करने से लेकर ऊर्जा उत्पादन तक की दिशा में आज स्वच्छता मिशन ने एक क्रांतिकारी बदलाव की राह पकड़ी है। इसी परिवर्तन की बानगी पेश करता है – जयपुर का देहलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP)।





राजस्थान का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक जलशोधन संयंत्र
जयपुर नगर निगम और खिलाड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर के सहयोग से वर्ष 2020 से 2023 के बीच विकसित किए गए इस STP को 22.50 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित किया गया है। 215 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) जलशोधन की क्षमता वाला यह प्लांट राजस्थान का सबसे बड़ा STP है, जिसे 23 लाख की आबादी की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
यह संयंत्र मात्र एक ट्रीटमेंट यूनिट नहीं, बल्कि सर्कुलर इकोनॉमी और जल संरक्षण के संकल्प का मूर्त रूप है। यह पूरी तरह से SCADA (Supervisory Control and Data Acquisition) प्रणाली पर आधारित है, जिससे संचालन से लेकर निगरानी तक का कार्य पूर्णत: स्वचालित और उच्च तकनीक आधारित है।
अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित ट्रीटमेंट प्रक्रिया
देहलावास STP में सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (SBR) तकनीक का उपयोग किया गया है, जो जलशोधन की प्रभावी प्रक्रिया मानी जाती है। अपशिष्ट जल पार्शल फ्लूम, प्राइमरी क्लेरिफायर और बेसिन से होकर क्लोरीन टैंक तक पहुंचता है, जहां यह कीटाणुरहित और साफ जल में परिवर्तित हो जाता है।
साथ ही, ठोस अपशिष्ट को प्राइमरी स्लज थिकनर और स्क्रू प्रेस द्वारा अलग किया जाता है। उत्पन्न बायोस्लज को एनारोबिक स्लज डाइजेस्टर में प्रोसेस करके बायोगैस में बदला जाता है, जिसका उपयोग प्लांट की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति में किया जाता है। यहां 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट भी कार्यरत है, जो ऊर्जा दक्षता का प्रमाण है।
स्वच्छता का जीवंत इतिहास: प्रोजेक्ट एक्सपीरियंस सेंटर
इस प्लांट की खासियत केवल इसके तकनीकी पक्षों में ही नहीं, बल्कि इसके शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण में भी छिपी है। परिसर में बना ‘प्रोजेक्ट एक्सपीरियंस सेंटर’ एक अनूठा संग्रहालय है, जो स्वच्छता के क्षेत्र में हुई ऐतिहासिक पहल और नवीनतम नवाचारों को दर्शाता है। यहाँ आकर आगंतुक स्वच्छ भारत मिशन के सफर को इंटरैक्टिव डिस्प्ले, ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियों और तकनीकी झलकियों के माध्यम से अनुभव कर सकते हैं।
पुनः उपयोग योग्य जल: हर बूंद की अहमियत
प्लांट से निकला हुआ शुद्ध जल पीने योग्य भले न हो, पर यह कीटाणुरहित और साफ होता है, जिसे औद्योगिक गतिविधियों, बागवानी और सिंचाई के कार्यों में दोबारा उपयोग में लाया जा रहा है। यह वेस्ट वॉटर रीसाइक्लिंग की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। वर्तमान में इस जल का उपयोग NRI कॉलोनी जैसी आवासीय जगहों में बागबानी और हरियाली के लिए किया जा रहा है। बचा हुआ साफ जल द्रव्यवती नदी में छोड़ा जाता है, इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए कि कोई अशुद्ध जल उसमें प्रवेश न कर सके।
प्लांट के चारों ओर विकसित किया गया 30,000 पौधों से युक्त हरित क्षेत्र जल पुनर्चक्रण की सार्थकता को और भी प्रभावशाली बनाता है। यह क्षेत्र केवल एक हरियाली का टुकड़ा नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन और पर्यावरणीय संवेदनशीलता का प्रतीक है।
प्रेरणा का केंद्र बना जयपुर STP
जयपुर का देहलावास STP आज न केवल राजस्थान, बल्कि समूचे देश के लिए एक मॉडल प्रोजेक्ट बनकर उभरा है। यहां जल, ऊर्जा और कचरे का प्रबंधन जिस दक्षता और वैज्ञानिक सोच के साथ किया जा रहा है, वह हर शहर के लिए अनुकरणीय है। यह प्लांट यह संदेश देता है कि सफाई सिर्फ बाहर की नहीं, संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की भी है।