वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) देशों में कृषि नवाचार और सहयोग को तेज करने के लिए आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) और रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज़(RIS) के साझे प्रयास से ICRISAT सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर साउथ-साउथ को ऑपरेशन इन एग्रीकल्चर (ISSCA) की आधिकारिक शुरुआत हुई। यह लॉन्च वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) और त्रिकोणीय सहयोग पर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली में किया गया।

इस मौके पर ICRISAT और DAKSHIN – भारत सरकार की एक पहल के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) भी साइन किया गया, जो क्षमता निर्माण और विकास के माध्यम से दक्षिण-दक्षिण साझेदारी को मजबूत करने पर केंद्रित है।

आईएसएससीए (ISSCA) का उद्घाटन वैश्विक कृषि विकास के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो ज्ञान के आदान-प्रदान, नवाचारों को बढ़ावा देने तथा समान कृषि, जलवायु और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे देशों के बीच साझेदारी बनाने के लिए एक समर्पित मंच की स्थापना करता है।

ISSCA प्रमाणित कृषि समाधानों को स्केलेबल प्रभाव में बदलने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इसमें एक डिजिटल पोर्टल है जो मान्य नवाचारों के जीवंत भंडार के रूप में कार्य करता है, जिससे एक दूसरे से सीखने, साझेदारी करने और शुष्क भूमि (drylands) और विकासशील क्षेत्रों के लिए बनाए गए अनुकूलित कम लागत वाली, उच्च प्रभाव वाली प्रौद्योगिकियों और नीति प्रतिरूप (मॉडल) साझा कर सकेंगे।
लॉन्च के अवसर पर बोलते हुए ICRISAT के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने कहा कि, “ग्लोबल साउथ के पास नवाचार, स्थानीय विशेषज्ञता और सिद्ध समाधानों का समृद्ध आधार है, लेकिन उनकी पूरी क्षमता को व्यापक स्तर पर उपयोग में लाने के लिए अधिक समन्वित कार्य योजना, कार्रवाई, निवेश और साझेदारी की आवश्यकता है”।
उन्होंने आगे कहा, “ISSCA की स्थापना ICRISAT की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत हम विज्ञान, साझेदारी और समावेशी विकास के ज़रिये ग्लोबल साउथ के देशों को अपनी कृषि व्यवस्था सुधार करने में मदद देना चाहते हैं।”
डॉ पाठक ने RIS और DAKSHIN की भूमिका की भी सराहना की और कहा, “RIS ने वैश्विक सहयोग के लिए जो मंच बनाए हैं, वे काबिल-ए-तारीफ है और ICRISAT के दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह हमारे साथ इनकी दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय साझेदारी समावेशी, सीमा पार कृषि विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है ताकि कोई भी देश पीछे न छूटे।”
आरआईएस के महानिदेशक प्रोफ़ेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “DAKSHIN का उद्देश्य है कि ग्लोबल साउथ के लिए स्थायी और व्यावहारिक समाधान साझा किए जाएं, ताकि वैश्विक दक्षिण के देशों की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक बदलाव आ सके।”
उन्होंने आगे कहा कि ISSCA एक ऐसा मंच है जो कृषि ज्ञान को सबके लिए सुलभ बनाएगा और व्यवहारिक अनुभवों को नीतियों में बदलने में मदद करेगा। ICRISAT और DAKSHIN की साझेदारी शक्तिशाली कृषि प्रणालियों को मजबूत करने और जलवायु के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी।
सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक डॉ मांगी लाल जाट ने कहा, “ICAR और ISSCA की साझेदारी से विकासशील देशों में विज्ञान आधारित कृषि समाधानों के आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
“आईएसएससीए (ISSCA) डिजिटल प्लेटफॉर्म विकासशील देशों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किए गए स्केलेबल, विज्ञान-आधारित कृषि समाधानों को लक्षित रूप से अपनाने में सक्षम बनाएगा।”